Nifty 50 Kya Hai in Hindi | निफ़्टी 50 से पैसे कैसे कमाए?

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Nifty 50 Kya Hai in Hindi

Nifty 50 Kya Hai? जो लोग थोड़ा बहुत शेयर बाजार के बारे में जानते है, उन्होंने Nifty Fifty का नाम जरूर सुना होगा। और वह लोग यह भी जानना चाहते है, की Nifty 50 Kya Hota Hai? अगर आप भी निफ़्टी 50 के बारे में विस्तार से जानना चाहते है, तो आप बिलकुल सही लेख पर आये है, क्योकिं यहाँ पर हम निफ़्टी फिफ्टी क्या है (Nifty 50 in Hindi) और Nifty 50 Se Paise Kaise Kamaye? इसके बारे में विस्तार से जानने वाले है।

हालाकिं आपने कई बार समाचारों में पढ़ा होगा जिनमें निफ़्टी 50 का उल्लेख किया जाता है। समाचार पत्र से लेकर टीवी चैनल पर लगभग रोज़ाना ही निफ्टी 50 का चार्ट फ्लैश होता रहता है एवं निवेश विशेषज्ञ शेयर मार्केट में क्या होगा इस बात का विश्लेषण करते वक्त हमेशा ‘निफ्टी 50’ शब्द का इस्तेमाल करते रहते हैं। मगर आखिर यह निफ्टी 50 क्या है, जिसके बारे में आप हर रोज़ सुनते रहते हैं?

अगर आप इस लेख को पूरा ध्यानपूर्वक पढ़ते है, तो आप बहुत ही आसानी से निफ्टी 50 क्या है, इसमें कैसे निवेश होता है, इससे क्या फायदे होते हैं एवं आप इससे कैसे पैसे कमा सकते हैं। इससे जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी आपको मिलने वाली है, और इसके अलावा आपको समझाएंगे और बताएंगे लंबी अवधि में अच्छी संपत्ति बनाने के लिए आप इसमें किस तरह निवेश कर सकते हैं।

निफ़्टी 50 क्या है (What is Nifty 50 in Hindi)

निफ्टी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड 50 मुख्या शेयरों का एक इंडेक्स है, जो कि दो शब्दों नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना हुआ है एवं इसे निफ्टी 50 के नाम से भी जाना जाता है। इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के ऊपर लिस्टेड शीर्ष 50 शेयर पर आधारित है। यह टॉप 50 शेयर विभिन्न कंपनियों के होते हैं।

निफ्टी इंडेक्स इन सारे शेयर्स की निगरानी करता है एवं इनके प्राइज में आने वाले उतर-चढाव को भी प्रदर्शित करता है। निफ्टी में जो 50 कंपनियां लिस्टेड होती हैं वह 12 अलग-अलग सेक्टर से होती हैं। यह प्रमुख तौर पर इन 12 सेक्टर का प्रतिनिधित्व करता है। अब आपको निफ्टी को लेकर बुनियादी जानकारी तो मिल ही गयी होगी।

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निफ्टी इंडेक्स फंड्स

निफ्टी इंडेक्स फंड्स एक तरह का म्यूचुअल फंड होता है, जिसमें पोर्टफोलियो (स्टॉक, इंडेक्स, बॉन्ड, करेंसी, इत्यादि) का निर्माण होता है। यह स्टॉक एवं उनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है। जब भी आप निफ्टी इंडेक्स फंड में पैसा लगाते हैं, तो आप इक्विटी में नहीं बल्कि म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करते है।

निफ्टी इंडेक्स फंड को इस प्रकार से बनाया गया है जिससे कि फंड के कंपोनेंट्स निफ्टी 50 इंडेक्स में कंपनियों के साथ एकदम अनुरूप नज़र आते हैं। निफ्टी फंड प्रमुख तौर पर निफ्टी 50 इंडेक्स को दिखता है। इसीलिए यह मार्केट के परिदृश्य के बावजूद इंडेक्स के प्रदर्शन को फॉलो करता है।

म्यूचुअल फंड में, फंड मैनेजर कुछ मानदंडों के आधार पर शेयर्स का चुनाव करता है। हालांकि यह म्यूचुअल फंड आपको ब्रॉड मार्केट रिस्क या रिस्क डायवर्सिफिकेशन प्रदान करते हैं। इसके चलते नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) के कम होने की संभावना रहती है। तब भी जब कि फंड पोर्टफोलियो में कुछ चुनिंदा कंपनियों की अंडरपरफॉर्मेंस के चलते वित्तीय मार्केट अच्छा कर रहे हैं।

जब भी आप निफ्टी इंडेक्स फंड में पैसे लगाते हैं, तो यह परिदृश्य होने की संभावना नहीं रहती। क्योंकि कुछ शेयर्स के अंडरपरफॉर्मेंस अंत में अन्य आउटपरफॉर्मिंग शेयरों के द्वारा संतुलित हो जाते हैं। निफ्टी इंडेक्स फंड आपके रिस्क को कम करता है एवं लंबे समय में आपको स्थिर रिटर्न देकर सिक्योरिटी का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करता है।

निफ्टी 50 का हिस्सा बनने के लिए कैसे होता है शेयरों का चयन?

नियमों के कुछ सेट होते हैं जो यह तय करते हैं कि कौन से 50 स्टॉक निफ्टी 50 इंडेक्स का हिस्सा रहने चाहिए। यहां कुछ रूल्स एवं क्राइटेरिया हैं, जिन पर निफ्टी 50 का निर्माण आधारित है :-

यूनिवर्स : निफ्टी 50 का हिस्सा बनने के लिए प्राइमरी क्राइटेरिया यह है कि कंपनी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होना चाहिए। इसी के साथ, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए कंपनी के स्टॉक का उपलब्ध होना ज़रूरी है। अगर कंपनी लिस्टेड नहीं है एवं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार करती है, तो यह निफ्टी 50 का हिस्सा नहीं बन सकती है।

बेसिक स्ट्रक्चर : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के यूनिवर्स से, टॉप 50 लार्ज-कैप कंपनियों का चुनाव उनके फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर किया जाता है। फ्री-फ्लोट मार्केट कैप की गणना की बात करें तो यह कंपनी के शेयर की कीमत को मार्केट में सरलता से उपलब्ध शेयरों की संख्या से गुणा करके की जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी के 1 लाख शेयर्स मार्केट में सरलता से उपलब्ध हैं एवं प्रति शेयर कीमत 30 रूपये है, तो कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 30 लाख रूपये है।

लिक्विडिटी : निफ्टी 50 का हिस्सा बनने के लिए स्टॉक के लिए एक अन्य अहम कारक इसकी लिक्विडिटी है। इसका अर्थ यह है कि जो स्टॉक निफ्टी 50 इंडेक्स का हिस्सा हैं, उनको खरीदना एवं बेचना सरल होना चाहिए। इस तरह के स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम ज्यादा होना चाहिए।

रीबैलेंसिंग एंड रिस्ट्रक्चरिंग : निफ्टी 50 इंडेक्स में 50 कंपनियां फिक्स नहीं होती हैं। इंडेक्स के द्वारा हर साल जून एवं दिसंबर में अर्ध-वार्षिक आधार पर रीबैलेंसिंग करता है। रीबैलेंसिंग की प्रक्रिया के ज़रिये निफ्टी 50 इंडेक्स उन शेयर्स को हटा देता है, जो कि मार्केट कैप में गिर जाते हैं या फिर निलंबन या डीलिस्टिंग से गुजरते हैं। इन हटाए गए शेयर्स को उभरते हुए शेयर्स के साथ बदल दिया जाता है, जो कि मार्केट कैप में बढ़ गए हों। यह रीबैलेंसिंग की प्रक्रिया स्वचालित तौर पर उभरते हुए शेयर्स एवं क्षेत्रों में निफ्टी 50 के रिस्क को बढ़ा देती है।

निफ्टी 50 में विभिन्न कंपनियों एवं सेक्टर्स के भारांक पर स्टॉक चयन का प्रभाव

निफ्टी 50 में 50 शेयर्स में से हर एक का निफ्टी 50 इंडेक्स में समान भार नहीं होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हाई फ्री-फ्लोट मार्केट कैप वाली कंपनियों का नेचुरल तौर पर इंडेक्स में ज्यादा वेटेज होता है। उदाहरण के तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज,

जिसका मार्केट कैप जून 2021 के अंत में लगभग 14 लाख करोड़ रूपये, एचडीएफसी बैंक की तुलना में इंडेक्स में थोड़ा ज्यादा वेटेज है, जिसका मार्केट कैप लगभग 8.3 लाख करोड़ रूपये है। इसी प्रकार रिलायंस इंडस्ट्रीज एवं एचडीएफसी बैंक दोनों का वेटेज एक्सिस बैंक से अधिक है, जिसका मार्केट कैप लगभग 2.3 लाख करोड़ है।

निफ्टी 50 का केसा है प्रदर्शन और इसने कितना रिटर्न दिया है?

इक्विटी मार्केट की प्रकृति को देखते हुए 1996 में अपनी स्थापना होने के बाद से निफ्टी 50 ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं। ऐसे बहुत से वर्ष रहे हैं जब इंडेक्स में 51% तक की गिरावट देखी गई है एवं कुछ साल तो ऐसे भी थे जब इंडेक्स 70% से ज्यादा ऊपर चढ़ गया। मगर लंबी अवधि के आधार पर इंडेक्स में काफी बढ़ोतरी हुई है

एवं पिछले 15 सालों में निफ्टी इंडेक्स ने 13% का सालाना औसत रिटर्न दिया है। इस रिटर्न को पर्सपेक्टिव में रखने हेतु, अगर आपने 10,000 रुपये प्रति माह का निवेश किया था, तो पिछले 15 सालों से निफ्टी 50 इंडेक्स में आपने लगभग 13% के वार्षिक औसत रिटर्न पर जून 2021 तक 53 लाख रूपये से ज्यादा जमा कर लिए होंगे।

पहले कुछ सालों के लिए फुल रिटर्न ज्यादा बड़ी राशि नहीं होगी। कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब आपका लगाया हुआ पैसा 2-3 साल बाद निगेटिव में रहा होगा। मगर यदि आप रास्ते पर बने रहे, तो धीरे-धीरे बढ़ने वाली प्रॉफिट की लाइन ने अच्छे रिटर्न के साथ-साथ कंपाउंडिंग के प्रभाव के चलते अचानक गति पकड़नी शुरू कर दी।

निफ्टी 50 में निवेश कैसे करें? (How to Invest in Nifty 50)

जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, निफ्टी 50 में इंडिया की टॉप कंपनियां शामिल हैं एवं अगर आप निफ्टी 50 खरीदते हैं, तो आप भी इन बड़ी कंपनियों के हिस्सेदार बन जाते हैं। आपको बता दें निफ्टी 50 में निवेश करने के लिए दो तरीके हैं।

पहला तरीका है कि निफ्टी 50 में उनके वेटेज के बराबर प्रतिशत में सीधे स्टॉक खरीदें एवं दूसरा तरीका है कि निफ्टी 50 को ट्रैक करने वाले इंडेक्स म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाएं। यह इंडेक्स म्यूचुअल फंड निफ्टी 50 को को फॉलो करते हैं इसका मतलब इंडेक्स की तरह एक पोर्टफोलियो है।

यही कारण है कि निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निफ्टी 50 के समान अनुपात में 50 स्टॉक होते हैं एवं आपको बस यह करना है कि आप इन फंडों में जो भी पैसा लगाना चाहते हैं, लगाएं।

डायरेक्ट स्टॉक रूट अथवा निफ्टी 50 इंडेक्स फंड, कौनसा है बेहतर?

यदि आप निफ्टी 50 में उनके वेटेज के आधार पर शेयर्स में सीधे पैसे लगाने का निर्णय लेते हैं, तो यह एक महंगा, बिजी एवं जटिल अभ्यास होगा। अगर आप सीधे शेयर्स के अंदर निवेश करते हैं, तो अहम चुनौतियों में से एक वह अमाउंट है जो कि आपको निफ्टी 50 इंडेक्स को दोहराने के लिए ज़रूरी है।

आप इंडिया में शेयर्स का एक हिस्सा नहीं खरीद सकते हैं, इसका मतलब है कि आपको पूरा स्टॉक खरीदना चाहिए, ना कि इसका सिर्फ एक हिस्सा। इसका अर्थ है कि आपको निफ्टी 50 के सारे 50 शेयर्स को खरीदने के लिए अच्छा खासा पैसा लगाना होगा।

आइए इन चुनौतियों को एक उदाहरण के ज़रिये समझते हैं। मान लीजिए आप निफ्टी 50 में हर महीने 20,000 रुपये लगाना चाहते हैं। अब नेस्ले के एक शेयर का प्राइज आपको 17,500 रूपये, वहीं बजाज फाइनेंस के एक शेयर का प्राइज आपको 6,000 रूपये पड़ता है।

इसीलिए अगर आप इन दोनों कंपनियों में से हर एक का केवल एक स्टॉक खरीदते हैं, तब आप 20000 रुपये की अपनी मासिक सीमा को पार कर जायेंगे। कल्पना कीजिये कि निफ्टी 50 इंडेक्स वाले सारे शेयर्स को खरीदने के लिए आपको कितने रूपये की ज़रूरत होगी।

अधिक मात्रा में पैसे के साथ-साथ आपको इंडेक्स में उनके वास्तविक भार के अनुसार सभी 50 शेयर्स को खरीदने की भी ज़रूरत होगी एवं हर रोज़ बदलने वाले भारांक के साथ बने रहने की ज़रूरत पड़ेगी।

यह एक काफी समय लेने वाला व्यायाम है। क्योंकि शेयर्स का भार उनकी कीमत में बढ़ोतरी या गिरावट के साथ बदलता रहता है। आपको इंडेक्स को दोहराने के लिए अपने पोर्टफोलियो में हर रोज़ बदलाव करने की ज़रूरत होगी।

इन सभी चुनौतियों का हल इंडेक्स म्यूचुअल फंड में आसानी से निवेश करना है।

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि

निफ़्टी 50 में पैसा लगाने के लिए कई ऑप्शन मौजूद हैं एवं इसमें पैसे लगाना उतना ही सरल है जितना कि किसी स्टॉक या म्यूच्यूअल फण्ड में। मगर एक शुरुआती सबसे बड़ा प्रश्न यह सामने आता है कि निफ़्टी 50 में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि कितनी होती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह आपके चुने गए विकल्प के ऊपर निर्भर करता है। यदि आपको किसी इंडेक्स फण्ड में पैसे लगाने हैं तो उसमे दिए गए Lumpsum एवं SIP के मुताबिक आपके निवेश की राशि तय की जाती है।

SIP में आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट से निवेश कर सकते है, जो कि 500 रुपये भी हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ निफ़्टी 50 में पैसे लगाने के लिए आपको ऑप्शन ट्रेडिंग का विकल्प भी मिलता है। जहां पर राशि आपकी पोजीशन के ऊपर निर्भर करती है।

यदि आप निफ़्टी 50 में ऑप्शन खरीदना चाहते है, तो इसके लिए आपको सिर्फ प्रीमियम की आवश्यकता होती है। दूसरी तरफ एक सैलर को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन रखना पड़ता है, जिसकी राशि वोलैटिलिटी, एक्सपायरी के ऊपर निर्भर करती है।

तो एक सही ट्रेडिंग सेगमेंट एवं विकल्प का चुनाव कर आप निफ़्टी 50 में निवेश की राशि की गणना कर सकते हैं।

निफ्टी 50 इंडेक्स फंड के ज़रिये निवेश के लाभ

लो इन्वेस्टमेंट अमाउंट – चूंकि इंडेक्स फंड बहुत से इन्वेस्टर्स से पैसा इकट्ठा करते हैं, म्यूचुअल फंड कंपनियां आपको कम अमाउंट का निवेश करने की सुविधा देती हैं। आप कम से कम 500 रुपये प्रति माह से एसआईपी के माध्यम से निवेश शुरू कर सकते हैं एवं इंडेक्स के बराबर अनुपात में निफ्टी 50 के सभी 50 शेयर्स का आंशिक मालिक हो सकते हैं।

इन्वेस्टमेंट फ्लेक्सिबिलिटी – इंडेक्स फंड के ज़रिये निफ्टी 50 में इन्वेस्टमेंट फ्लेक्सिबिलिटी एसआईपी के ज़रिये कम निवेश राशि तक सीमित नहीं है। आप जिस अमाउंट का निवेश करना चाहते हैं उसे अपनी इच्छानुसार किसी भी राशि से बढ़ा या घटा सकते हैं। यह निवेश की प्रक्रिया को असाधारण तौर पर काफी सुविधाजनक एवं परेशानी मुक्त बनाता है।

लो कॉस्ट इन्वेस्टमेंट – निफ्टी 50 इंडेक्स फंड सिर्फ निफ्टी 50 इंडेक्स को फॉलो करते हैं। इस तरह फंड मैनेजर को रणनीतिक निर्णय लेने में सहायता के लिए विश्लेषकों एवं शोधकर्ताओं की टीम की कोई ज़रूरत नहीं होती है। जैसे कि कौन सा स्टॉक खरीदना है या फिर कब खरीदना है एवं कब बेचना है आदि।

इसके अतिरिक्त शेयर्स की कोई एक्टिव परचेज़ एवं सेल्स नहीं है। यह सभी कारक निफ्टी 50 इंडेक्स फंड के मैनेजमेंट एक्सपेंसेस को काफी कम कर देते हैं। इसके परिणामस्वरूप यह आपके लिए एक निवेशक के तौर पर कम शुल्क में अनुवाद करता है।

रीबैलेंसिंग के बारे में चिंता की कोई ज़रूरत नहीं – जब आप निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में पैसा लगाते हैं, तो आपका पैसा एक फंड मैनेजर के द्वारा मैनेज किया जाता है, जो कि इसे निफ्टी 50 इंडेक्स के बराबर अनुपात में बनाए रखता है।

किसी स्टॉक के वेटेज में कोई भी बढ़ोतरी या फिर गिरावट फंड मैनेजर के द्वारा की जाती है। इसीलिए आपको निफ्टी 50 इंडेक्स के बराबर सटीक अनुपात में शेयर्स को रिबैलन्स करने या फिर बनाए रखने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

नो इन्वेस्टमेंट बायस – जब आप निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में पैसे लगाते हैं, तो आप एक स्वचालित और नियम-आधारित इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी को फॉलो करते हैं। फंड मैनेजर के पास डिफाइंड मैंडेट होता है कि किस स्टॉक को खरीदना है एवं कितना खरीदना है।

यह प्रक्रिया निवेश संबंधी निर्णय लेते वक्त ह्यूमन बायस को दूर करती है एवं यह फंड आपके पोर्टफोलियो के लिए एक एक्सीलेंट एडिशन हो सकता है।

Note : यह लेख Nifty 50 क्या है? इसके बारे में था। जिसमे आपको Nifty 50 से पैसे कैसे कमाए और निफ़्टी फिफ्टी में Invest कैसे करें? इसके बारे में भी विस्तार से बताया गया है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने सभी दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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