Amaltas Tree in Hindi – इस लेख में हम अमलतास के पेड़ की जानकरी के बारे में जानेगे। यह पेड़ अपनी खूबसूरती को समेटे हुए, गर्मियों के मौसम में पीले फूलो से लदा हुआ बहुत आकर्षक लगता है। जब सूरज की पहली किरण पेड़ पर पड़ती है, तो यह इन किरणों को और भी ज्यादा चमकीला बना देती है।
अमलतास को कई नामो से जाना जाता है, इसका वानस्पतिक नाम “कैसिया फिस्टुला” (Cassia Fistula) है, और अंग्रेजी में इसे “गोल्डन शावर ट्री” (Golden Shower Tree) के नाम से जाना जाता है। आज हम इसके बारे में विस्तृत रूप से जाएंगे। जिसमे इसके इतिहास से लेकर अमलतास की देखभाल कैसे करें? तक सभी कुछ इसमें शामिल होगा। तो चलिए सबसे पहले जानते है, इसके इससे सम्बंधित सभी जानकारी।
Table of Contents
अमलतास का पेड़ की जानकारी
अमलतास का पेड़ दिखने में बहुत सुन्दर और आकर्षक होता है, इसको अंग्रेजी में Golden Shower, Pudding-pipe Tree, Purging Cassia, और Indian Laburnum नामो से जाना जाता है। यह Plantae जगत का पेड़ है। जो की Cassia वंश से सम्बंधित है। यह एक सजावट वाला पौधा है, जिसको घरो और बगीचों के आस पास शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाता है।
अमलतास के पेड़ पुरे भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। इसके तने की परिधि लगभग चार मीटर तक होती है। यह पेड़ ज्यादा ऊँचे नहीं होते है, लेकिन यह अपनी परिधि को बढ़ाते रहते है। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 20 से 25 होती है, और अलग अलग जलवायु के करना यह लम्बाई और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
इसकी पत्तियों बहुत तेजी से बढ़वार करती है। इसके पत्तो का आकर एक से डेढ़ फिट लम्बा होता है। यह बड़े और संयुक्त होते है। यह पत्ते जोड़े में आते है। इनका जोड़ा चार से आठ पत्तियों का होता है। यह पत्ते पुरे वर्ष पौधे पर लगते है। लेकिन यह बरसात के दिनों में गिर जाते है। क्योकिं इन दिनों इस पर फूल आना शुरू हो जाते है।
इस पेड़ पर अप्रैल, मई और जून के दिनों में फूल खिलते है। यह पेड़ पूरी तरह से पीले फूलो से लद जाता है। इस पेड़ को गोल्डन शॉवर ट्री के नाम से भी जाना जाता है, इस नाम को लेकर कुछ लोगो का ऐसा कहना है, की जिस समय अमलतास के पेड़ पर फूल खिलते है, इसके दो महीनो के अंदर अंदर बारिश जरूर होती है।
दूसरे शब्दों में इसे इसलिए गोल्डन शॉवर ट्री कहा जाता है, क्योकिं इसके पेड़ पर लगे पीले फूल जब गिरते है, तो ऐसा लगता है जैसे की सोने की बारिश हो रही हो। इस पेड़ को अमलतास के अलावा दो और नामो गोल्डन शॉवर ट्री, और इंडियन रेन इंडिकेटर ट्री से जाना जाता है।
जब इस पेड़ से सभी फूल गिर जाते है, तो इसके बाद इस पर काले रंग की फलियां आती है, जो की सर्दियों के मौसम में आती है। इन फलियों की लम्बाई लगभग 30 – 60 सेंटीमीटर होती है, और इसकी मोटाई लगभग 3 – 5 सेंटीमीटर होती है। इनका आकर बेलनाकार होता है। अमलतास की फली के अंदर कई कक्ष होते हैं, जिनके अंदर बीजो होते है।
इसके बीज एक लसदार, काले पदार्थ के साथ फली के अंदर होते है। इसके अंदर जो पदार्थ होता है, उसकी गंध बहुत तीखी होती है। इन फलियों के अंदर लगभग 30 – 100 बीज निकलते है, इन बीजो का रंग भूरा होता है। अगर इसके पेड़ की शाखाओं को छिला जाता है, तो इसके अंदर से लाल रंग का रस निकलता है। जब यह रस सुख जाता है, तो यह गोंद की तरह बन जाता है।
अमलतास को थाईलैंड में “डोक ख्यून” के नाम से जाना जाता है। यह थाइलैंड का राष्ट्रीय फूल है। थाईलैंड में यह बहुत अधिक मात्रा में उगाये जाते है। इसके पीले और सुनहरे फूलो का रंग राजसिकता व बौध धर्म का प्रतिक माना जाता है। थाईलैंड में हुए 2006 के एक फूल समाहरोह में इसे शाही फूल “रेचाफ्रूइक” का नाम दिया गया था। जो की डोक ख्यून का ही एक दूसरा नाम है।
अमलतास की सुंदरता और इसके औषधीय गुणों को ध्यान में रखकर 20 नवंबर 2002 को 20 रुपये का लिफाफा जारी किया था। जिस पर अमलतास के पेड़ की फोटो लगी थी।
यह जानकारी भी जरूर पढ़े
अमलतास के फायदे
अमलतास एक खूबसूरत पौधा होने के साथ साथ, हमारे शरीर के लिए लाभदायक भी होता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक ओषधियाँ बनाए के काम में आता है। अमलतास के फूल, फलियां, और बीज सभी चीजे काम में आती है। अब जानते है अमलतास के फूल, फली और बीज के क्या फायदे है?
- अमलतास के पत्तो का लेप शरीर पर होने वाली फुंसियों को ठीक करने के काम में आता है।
- अगर आपके मुँह में छाले हो जाते है, तो आप अमलतास के पेड़ की फली को धनिया के साथ मिलकर और इसमें कत्था मिलकर इसको छाले वाली जगह पर रखने से मुँह के छालो में आराम मिलता है।
- अमलतास के पत्तो के साथ अन्य जड़ी बूटियां मिलकर घाव पर लगाने से घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
- अमलतास की चाय पीने से गले में होने वाली समस्याओं में रहत मिलती है।
- अमलतास के एक या दो पत्तो को नमक के साथ खाने से पेट साफ़ होता है।
- अमलतास की कच्ची फलियों को लेकर उसमे उन्हें सेंधा नमक के साथ मिलकर ऊपर से थोड़ा नीबू का रस डालकर तैयार की गयी सामग्री का सेवन करने से कब्ज की समस्यां ठीक हो जाती है।
- अगर आपके पेरो की एड़ियां बहुत ज्यादा फटती है, तो आप अमलतास के कुछ पत्ते लेकर, इनका लेप बनायें और इन्हे फटी एड़ियों पर लगाएं। ऐसा नियमित रूप से कुछ दिन करने पर आपकी फटी एड़ियां ठीक हो जाती है।
अमलतास के नुक्सान
अमलतास के वैसे तो कोई भी नुक्सान नहीं होते है। अगर आप अमलतास के किसी भी हिस्से पत्ते, फूल या फलियां आदि का अधिक मात्रा में सेवन करते है, तो आपको दस्त जैसी समस्यां का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आपको कभी भी यह सब चीजे खुद से नहीं करनी चाहिए।
अमलतास का कोई भी आयुर्वेदिक उपाय अपनाने से पहले आपको किसी आयुर्वेदिक वैद्य या डॉक्टर से मिलना चाहिए। उसके बाद आपको इन्हे अपनाना चाहिए। इस ब्लॉग पर यह सभी अमलतास के फायदे सिर्फ जानकारी के लिए बताये जाते है
अमलतास के पेड़ को कैसे उगायें
अमलतास के पेड़ को उगाना बहुत ही आसान है। इस पेड़ को उगाने का सही समय फरवरी से अगस्त के महीने तक होता है। इसको आप कई प्रकार से ऊगा सकते है। अमलतास को कटिंग से कैसे उगायें? अमलतास को बीज से कैसे उगायें? इस तरह के सवाल लोग अक्सर करते है। तो इस पोस्ट में हम इन सभी टॉपिक को कवर करेंगे।
कुछ लोगो को बोन्साई का पेड़ बहुत पसंद होता है। अगर आपको भी बोन्साई पसंद है, तो आप अमलतास के बोन्साई को बनाकर अपने घर में लगा सकते है। इस पोस्ट में हम अमलतास का बोन्साई कैसे बनाये? इसके बारे में भी जाएंगे। मुझे पूरी आशा है, की आपको यह जानकारी जरूर पसंद आयेगी।
अमलतास के पौधे को बीज से कैसे उगायें
अमलतास को उगाने के लिए आपके पास इसके बीजो होने जरुरी है। सबसे पहले आपको इसके बीजो को किसी भी अमलतास के पेड़ से लेना है। अगर आपके घर के आस पास कोई पेड़ नहीं है, तो आप किसी नर्सरी से भी इसके बीजो को लेकर आ सकते है।
बीजो को लाने के बाद, आपको एक सीडलिंग ट्रे (जिसमे बीजो से पौधे उगायें जाते है) लेनी है। अगर आपके पास ट्रे नहीं है, तो आप प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलास का भी इस्तेमाल कर सकते है। इन गिलास के निचे आपको एक छेद कर देना है। इसके बाद अगर आपको बहुत अच्छा रिजल्ट देखना है, तो आप मिटटी की जगह कॉकपिट की इस्तेमाल करें।
अगर आपके पास कॉकपिट नहीं है, तो आप सामान्य बगीचे की मिटटी का इस्तेमाल भी कर सकते है। इसके अंदर थोड़ा पुराना गोबर का खाद मिलकर आपको चार या पांच गिलास में डालना है। प्रत्येक ट्रे या गिलास में आपको कम से कम दो या तीन बीजो को डालना है। और इन्हे मिटटी में दो इंच अंदर दबा देना है।
बीजो को मिटटी में दबाने के बाद, आपको इसमें पानी का छिड़काब करना है। पानी देते समय यह ध्यान रखे की, बीज हिल ना पाये। पानी देने के बाद इस ट्रे या गिलास को ऐसी जगह पर रखे। जहाँ पर छाया रहती हो।
जब तक आपके बीज जमकर नहीं आते है, तब तक इसमें नमी बनाये रखे। यह बीज लगभग दो सफ्ताह में जम जायेगे। जब पौधे जमकर थोड़े बड़े हो जाए, तो आपको इन्हे किसी बड़े गमले में लगा देना है। इन सभी बातो को ध्यान में रखकर अगर आप अपने पौधे को उगाते है, तो आपका पौधा बहुत जल्दी से जमकर आएगा।
अमलतास का पेड़ बीज से कैसे उगाएं वीडियो में देखें
अमलतास को कलम से कैसे उगायें
अमलतास के पौधे को कटिंग द्वारा बहुत कम लोग उगाते है, क्योकिं कलम से उगाने पर इसके इतने ज्यादा अच्छे रिजल्ट देखने को नहीं मिलते है। इस पौधे को सबसे ज्यादा बीजो के द्वारा ही उगाया जाता है। अगर आप इसको कटिंग से उगाते है, तो आपको इन सभी तरीको को फॉलो करना होगा।
आपको एक नई शाखा की चार से पांच कलम को काटना है। इन सभी को लगभग सात इंच का रखे और सभी के निचे शार्प कट लगायें। इसके बाद इन सभी कटिंग को रूटिंग हार्मोन पाउडर के घोल में पांच मिनट के लिए रख दे।
तब तक आप कलम लगाने के लिए मिटटी तैयार करें। मिटटी आपको इसी तरह से तैयार करनी है, जिस तरह से पौधे को बीजो से लगाने के लिए की थी। तीन हिस्से सामान्य मिटटी और एक हिस्सा पुराना गोबर का खाद। मिटटी को तैयार करने के बाद आपको इसके अंदर कलम लगनी है ल
कलम को रूटिंग हार्मोन के घोल से बहार निकलकर। फिर से इसके ऊपर रूटिंग हार्मोन पाउडर को लगायें। इसके बाद इन सभी कलम को गमले में तीन से चार इंच तक गाड़ दे। और भरपूर मात्रा में पानी भर दे। इसके बाद आप इस गमले को कुछ दिन के लिए छाया वाले स्थान में रख दे जब तक इन कलम के अंदर से कोपल निकलना शुरू ना हो जाएँ।
जब आपकी कलम से कोपल निकलने लगे तो आप इसे धुप में रख सकते है। इस तरह से आप इस पौधे को कटिंग से ऊगा सकते है।
अमलतास के पौधे की देखभाल कैसे करें
इस पौधे की ज्यादा देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है। जिस समय पर यह पेड़ छोटा है, उस समय इसको सही तरीके से पानी देते रहे। जब यह बड़ा हो जाए, तो आप इसको अगर अपनी ना भी कुछ तीन तक तो भी यह बहुत अच्छे से बढ़वार करता है।
अगर आपने अमलतास का पेड़ गमले में लगाया है, तो आपको समय समय पर इसकी कटिंग करनी चाहिए। जिससे की यह ज्यादा फेल ना पाये। और इसकी जड़ो के आस पास समय समय पर गुड़ाई भी करनी है। महीने में एक बार आप इस पेड़ पर नीम के तेल का स्प्रे कर सकते है। इससे आपके पौधे पर किट पतंगे नहीं लगते है।
इस तरह से आपको अपने अमलतास के पेड़ की देखभाल अच्छी तरह से कर सकते है। इसके अलावा अमलतास के पेड़ की बोन्साई भी बनाई जाती है। अगर आप इसके ऊपर भी कोई लेख चाहते है, तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं।