Firewall क्या है और कैसे काम करता है [Firewall in Hindi]

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Firewall Kya Hai

क्या आप जानते हैं Firewall Kya Hai? आखिर आप फ़ायरवॉल से क्या समझते हैं? यदि आप कंप्यूटर एवं इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, तो आपने भी फ़ायरवॉल का नाम कभी ना कभी अवश्य ही सुना होगा। मगर क्या आप जानते हैं कि फ़ायरवॉल क्या होता है और Firewall कैसे काम करता है।

अगर आपको Firewall के बारे में बिलकुल भी जानकारी नहीं है, तो कोई बात नहीं अगर आप इस लेख को पूरा पढ़ते है, तो आपको यहाँ पर फ़ायरवॉल के प्रकार और फ़ायरवॉल का मुख्य काम क्या होता है? इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने वाली है। इसमें बताया गया है कि आखिर फ़ायरवॉल क्या है, फ़ायरवॉल कितने प्रकार के होते हैं,

फ़ायरवॉल कैसे काम करता है, फ़ायरवॉल के प्रयोग, फ़ायरवॉल से जुड़ी हिस्ट्री, फ़ायरवॉल का महत्व एवं फ़ायरवॉल के लाभ और हानि क्या होते हैं। इसका मतलब इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़ने के बाद आपको फ़ायरवॉल से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगा। काफी लोगों को फ़ायरवॉल के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं होती हैं।

इसका प्रमुख कारण है कि कई लोगों को तो इसका नाम तक भी पता नहीं होता है। हालांकि फ़ायरवॉल के बारे में जानना सभी के लिए आवश्यक भी नहीं होता है। इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क के क्षेत्र में किया जाता है। इसीलिए अगर आप कंप्यूटर या फिर कंप्यूटर नेटवर्किंग के फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको फ़ायरवॉल के बारे में अवश्य जानकारी होनी चाहिए। एक स्मार्ट कंप्यूटर यूजर को इसके बारे में ज़रूर पता रहता है।

यदि आपको कंप्यूटर एवं कंप्यूटर नेटवर्क के बारे में जानने में रूचि है एवं आप इसकी कार्यप्रणाली को अच्छे से समझना चाहते हैं, तो आपको भी फ़ायरवॉल के बारे में जानना होगा एवं इसे समझना होगा। क्योंकि एक कंप्यूटर नेटवर्क बनाने के लिए कई प्रकार की तकनीक और उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

इसीलिए हमने सोचा कि आज आपको फ़ायरवॉल के बारे में भी जानकारी दी जाए। सभी जीव-जंतु किसी भी प्रकार के कार्य करने के दौरान एक बात का ध्यान रखते हैं, वह है सुरक्षा, जिसे कि अंग्रेजी में सिक्योरिटी भी कहते हैं। मनुष्य एक समाज में रहते हैं, हमें कई प्रकार की सिक्योरिटी का ध्यान रखना पड़ता है।

वहीं जंगल के जीवों को अपनी रक्षा बड़े जानवरों से करनी होती है। ठीक इसी प्रकार किसी नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर को भी सुरक्षा की ज़रूरत होती है एवं फ़ायरवॉल यह सुरक्षा देता है। आइये जानते हैं कि फ़ायरवॉल क्या होता है एवं यह किस तरह किसी नेटवर्क में कंप्यूटर को सुरक्षित रखता है।

Firewall क्या है? (What is Firewall in Hindi)

फ़ायरवॉल कंप्यूटर सिस्टम या फिर नेटवर्क का एक मुख्या हिस्सा या फिर एक ऐसा घटक है, जो किसी स्पेशल नेटवर्क या सिस्टम की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। यह नेटवर्क में आने और जाने वाले ट्रैफिक (मतलब डेटा पैकेट) को प्री-डिफाइंड रूल्स के अनुसार निरिक्षण करता है। अगर सब सही होता है तभी यह ट्रैफिक को आने या जाने की अनुमति प्रदान करता है।

आमतौर पर फ़ायरवॉल सॉफ्टवेयर या फिर फर्मवेयर होते हैं, यह डेडिकेटेड हार्डवेयर भी होते हैं। यह किसी नेटवर्क में अनाधिकृत पहुँच को रोकने का काम करते हैं एवं नेटवर्क को खतरों से बचने का कार्य करते हैं। यह खतरों को पहचानने के लिए नियमों के एक सेट जो कि प्री-डिफाइंड होता है का इस्तेमाल करते हैं।

फ़ायरवॉल का इस्तेमाल पर्सनल एवं एंटरप्राइज दोनो के ही लिए किया जाता है। कुछ उपकरण फ़ायरवॉल के साथ इन-बिल्ट होते हैं। जैसे कि; Mac, Windows एवं Linux आदि। फ़ायरवॉल को नेटवर्क सिक्योरिटी के लिए व्यापक तोर पर अनिवार्य घटक माना जाता है।

फ़ायरवॉल खास रूप से किसी बड़े आर्गेनाईजेशन के नेटवर्क के लिए अहम होता है, जिससे कि काफी सारे कम्प्यूटर्स एवं सर्वर्स जुड़े रहते हैं। जिसमें कि कोई प्राइवेट काम होता है या फिर जहाँ कोई गोपनीय या संवेदनशील डाटा होता है। ऐसे नेटवर्क्स को हाई सिक्योरिटी की ज़रूरत पड़ती है। जिससे कि कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति इस नेटवर्क को एक्सेस ना कर सके।

इसलिए यहाँ फ़ायरवॉल का इस्तेमाल काफी अहम होता है, क्योंकि फ़ायरवॉल की खासियत यह है कि यह ऑथोराइज़्ड को नेटवर्क के अंदर आने या फिर बाहर जाने की अनुमति प्रदान करता है। मगर जब कोई अनऑथोराइज़्ड आने या फिर जाने का प्रयास करता है, तो उसे अनुमति प्रदान करता है।

बल्कि यह उसे ब्लॉक करता है एवं यह सारे कार्य अपने नियमों के सेट के मुताबिक करता है। आज के टाइम में हर घर खास तौर पर किसी व्यवसाय या संगठन हेतु फ़ायरवॉल का होना काफी जरूरी होता है।

जिससे कि उनका नेटवर्क या डेटा सुरक्षित रह सके। फ़ायरवॉल हमारे कंप्यूटर या नेटवर्क को मलिशियस सॉफ्टवेयर या मालवेयर से भी बचाता है, जो कि चुपके से हमारे सिस्टम में घुस जाती हैं। जब भी हम हमारे सिस्टम को इंटरनेट से जोड़ते हैं, तो यह हमारे सिस्टम की तरफ आने वाले डेटा को ब्लॉक कर सकता है।

उदाहरण के लिए; जब कभी भी हम अपने सिस्टम को इंटरनेट से जोड़ते है एवं कोई वेबसाइट ओपन करते हैं, तो सबसे पहले वेबसाइट के सर्वर को ओपन करने की रिक्वेस्ट भेजी जाती है। इसी तरह विडियो चलाने पर, फोटो खोलने पर या फिर इंटरनेट पर कोई भी काम करने पर एक रिक्वेस्ट भेजी जाती है।

जिसके बाद सर्वर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करता है एवं डाटा को सिस्टम तक भेजा जाता है। ऐसे में जो भी ट्रैफिक हमारे सिस्टम के लिए होता है, उसे सबसे पहले फ़ायरवॉल से गुजरना पड़ता है। फ़ायरवॉल को आप इस तरह से समझ सकते हैं कि यह सिस्टम के चारों ओर एक दीवार है, जो कि अनवांटेड सॉफ्टवेयर एवं फाइल्स को सिस्टम में जाने से रोकती है।

इस प्रकार यह हैकिंग या फिर वायरस अटैक से बचाता है। फ़ायरवॉल सिर्फ उन्हें ही सिस्टम में प्रवेश करवाती है, जिन्हें यूज़र्स के द्वारा प्रवेश करने की अनुमति होती है। फ़ायरवॉल का प्रयोग कॉलेज और कंपनीज कुछ पब्लिक वेबसाइट को ब्लॉक करने के लिए भी करती है।

फ़ायरवॉल का अर्थ (Firewall Meaning in Hindi)

फ़ायरवॉल दो शब्दो फायर एवं वॉल से मिलकर बनाया गया है, जिसमें से फायर का हिंदी अर्थ होता है आग एवं वॉल का हिंदी अर्थ होता है दीवार। इसका मतलब है वो दीवार जो बिल्डिंग को आग लगने से बचाती है। इसी प्रकार की अगर दीवार के एक तरफ आग लगी हो, तो वह दीवार उस आग को दूसरी तरफ फैलने से रोकती है।

कुछ इसी प्रकार फ़ायरवॉल इंटरनेट की दुनिया में यह कार्य करता है। यह अनवांटेड फाइल्स एवं सॉफ्टवेयर को फैलने से रोकता है। यह हमारे कंप्यूटर या फिर नेटवर्क में प्रवेश करने वाले ट्रैफिक का निरिक्षण करके अनऑथोराइज़्ड पकड़े जाने पर ब्लॉक करता है।

ठीक इसी प्रकार अगर अनवांटेड फाइल्स या सॉफ्टवेयर हमारे कंप्यूटर में मौजूद है, तो यह उसे बाहर जाने से रोकता है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि फ़ायरवॉल दोनों ओर से सुरक्षा देता है।

फ़ायरवॉल के काम

आमतौर पर फ़ायरवॉल के काम की बात करें तो यह एक सिक्योरिटी गार्ड की तरह काम करता है। यह नेटवर्क के बाहर या बाउंड्री पर रहता है एवं नेटवर्क के अंदर या फिर बाहर अनऑथोराइज़्ड एक्सेस को ब्लॉक करता है। प्रमुख तोर पर एक फ़ायरवॉल का निम्नलिखित काम होता है।

  • पब्लिक नेटवर्क या इंटरनेट से अनऑथोराइज़्ड इनकमिंग डाटा पैकेट्स को प्राइवेट नेटवर्क में एंट्री करने से ब्लॉक करता है।
  • ठीक इसी प्रकार प्राइवेट नेटवर्क के अनवांटेड सॉफ्टवेयर एवं फाइल्स को पब्लिक नेटवर्क में एंट्री करने से रोकता है।
  • हालांकि यह ऑथोराइज़्ड एक्सेस को एंट्री करने कि अनुमति देता है एवं यह सब कुछ यह अपने प्री-डिफाइंड रूल्स के आधार पर करता है।
  • इसका मतलब फ़ायरवॉल अनवांटेड ट्रैफिक को नेटवर्क में आने या जाने से रोकता है एवं परमिट ट्रैफिक को एक्सेस प्रदान करता है। इस प्रकार फ़ायरवॉल अनवांटेड ट्रैफिक से प्राइवेट एवं पब्लिक दोनों नेटवर्क को सुरक्षा प्रदान करता है।
  • इंटरनेट से हैकर या फिर स्कैमर द्वारा हानि पहुंचाने के मकसद से भेजे गए दुर्भावनापुर्ण ट्रैफिक को भी फ़ायरवॉल रोकता है।
  • फ़ायरवॉल किसी नेटवर्क या फिर होस्ट में अनऑथोराइज़्ड रिमोट एक्सेस को भी ब्लॉक करता है।

कुछ इसी प्रकार का काम फ़ायरवॉल का होता है, जो कि यह किसी नेटवर्क या फिर सिस्टम के प्रति करता है। चलिए जानते हैं कि एक फ़ायरवॉल किस तरह काम करता है।

फ़ायरवॉल कैसे काम करता है?

जैसा कि हम बता चुके हैं फ़ायरवॉल एक सिक्योरिटी गार्ड कि तरह कार्य करता है। मतलब जिस तरह किसी बिल्डिंग के लिए सिक्योरिटी गार्ड होते हैं, जो ऑथोराइज़्ड पर्सन को आने देते है। जबकि अनऑथोराइज़्ड पर्सन को बाहर रोक देता है। कौन ऑथोराइज़्ड पर्सन है और कौन अनऑथोराइज़्ड पर्सन यह पहचानने के लिए इनके पास कुछ रूल होते हैं। जिसके आधार पर यह उन्हें आने-जाने की अनुमति देते हैं। ठीक इसी प्रकार कंप्यूटर नेटवर्क में फ़ायरवॉल का काम होता है।

फ़ायरवॉल इन्ही रूल्स के आधार पर अपना कार्य करते हैं एवं इन रूल्स को प्री-डिफाइंड रूल्स कहते हैं। यानी जिसे पहले से डिफाइन किया गया है, जिसे कि व्यवस्थापक द्वारा डिफाइन किया जाता है। इन रूल्स को बदला जा सकता है एवं मनमुताबिक अनऑथोराइज़्ड ट्रैफिक को ब्लॉक कर सकते हैं। फ़ायरवॉल आने या फिर जाने वाले ट्रैफिक को किस-किस पैरामीटर पर अनुमति देगा और किन-किन पैरामीटर पर नहीं, यह सब प्री-डिफाइंड रूल्स में बताया जाता है।

फ़ायरवॉल के प्रकार (Types of Firewall)

वैसे फ़ायरवॉल कई तरह के होते हैं, मगर इसकी संरचना के अधार पर इसे तीन प्रकारों में बनता जा सकता है। पहला हार्डवेयर फ़ायरवॉल दूसरा सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल एवं तीसरा दोनों का मिश्रण होता है, चलिए जानते हैं हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल क्या होते हैं।

1. हार्डवेयर फ़ायरवॉल

हार्डवेयर फ़ायरवॉल एक अच्छा एवं शक्तिशाली फ़ायरवॉल होता है, जिसे फ़िलहाल अलग से खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि यह फ़ायरवॉल राऊटर एवं मॉडेम में पहले से ही इन-बिल्ट आता है। जब भी राऊटर या फिर मॉडेम को नेटवर्क के साथ जोड़ा जाता है, तो यह फ़ायरवॉल एक्टिव हो जाते हैं एवं नेटवर्क को फ़ायरवॉल की सिक्योरिटी प्रदान करते हैं।

जब भी बाहर के नेटवर्क से ट्रैफिक आता है, तो यह सबसे पहले यह ट्रैफिक का निरिक्षण करता है, जिसमें कि कंप्यूटर की नेटवर्क ID का प्रयोग होता है। जब भी किसी सर्वर को रिक्वेस्ट भेजी जाती है, तो उस रिक्वेस्ट के साथ नेटवर्क ID भी होता है एवं जब सर्वर से रिप्लाई आता है, तो उसके साथ भी नेटवर्क ID मौजूद होता है।

इस प्रकार फ़ायरवॉल समझ पाता है कि डाटा सही है एवं उसे नेटवर्क में प्रवेश करने की अनुमति देता है। वहीं यदि कोई अन्य डाटा प्रवेश करने का प्रयास करता है, तो फ़ायरवॉल उसे अनट्रस्टेड मानकर ब्लॉक कर देता है। अगर नेटवर्क के किसी एक कंप्यूटर में किसी प्रकार का मलिशियस सॉफ्टवेयर आ जाता है, तो यह उसे नेटवर्क के अन्य कंप्यूटर में प्रवेश करने से रोकता है।

2. सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल

आजकल सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल काफी फेमस है, यह कुछ कंप्यूटर सिस्टम के अंदर इन-बिल्ट भी आता है। उदाहरण के लिए न्यू जनरेशन के विंडोज जैसे कि; विंडोज 7, 8, 10, विस्टा एवं XP आदि। सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल भी हार्डवेयर फ़ायरवॉल की ही तरह काम करते हैं। जब कंप्यूटर सिस्टम में किसी भी प्रकार के मलिशियस सॉफ्टवेयर आते हैं, तो यह उन्हें अपने नेटवर्क के बाकी कंप्यूटर में जाने से रोकता है एवं यूज़र को इसके बारे में सुचना देता है।

सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल की सेटिंग्स को हम अपनी जरूरत के हिसाब से बदल भी सकते हैं। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर भी फ़ायरवॉल की ही तरह कार्य करते हैं, जो कि हमारे सिस्टम में डिफ़ॉल्ट इन्सटाल्ड हो सकते हैं अथवा हम इसे अलग से भी इनस्टॉल भी कर सकते हैं। जैसे कि; Avast, Norton, McAfee, Quick Heal आदि।

फ़ायरवॉल का इतिहास (History of Firewall)

पहला फ़ायरवॉल अमरिकी कंपनी सिस्को सिस्टम्स एवं डिजिटल इक्विपमेंट कारपोरेशन के द्वारा 1980 के दशक में बनाया गया था। इस दशक में इंटरनेट अपने शुरुआती दौर में था, जब पहला फ़ायरवॉल सामने आया। फ़ायरवॉल के विकसित होने से पहले नेटवर्क सुरक्षा हेतु राऊटर का प्रयोग किया जाता था।

हालांकि यह नेटवर्क लेयर फ़ायरवॉल डाटा पैकेट्स को कुछ सामान्य जानकारी जैसे कि; सोर्स, डेस्टिनेशन एवं कनेक्शन टाइप आदि के तोर पर परिक्षण करता था। इन तेज और पारदर्शी फ़ायरवॉल सिस्टम को बड़ी ही आसानी से नाकाम कर दिया गया। जिसके बाद 1990 के दशक के शुरुआती दौर में ‘एप्लीकेशन लेयर’ फ़ायरवॉल की एक न्यू जनरेशन की शुरुआत हुई।

यह हानिकारक HTTP को पता करना, FTP, DNS एवं बाकी ब्राउज़िंग के कामों मे होता था। इसके बाद थर्ड जनरेशन में स्टैटफुल फ़ायरवॉल आया, यह फ़ायरवॉल से गुजरने वाले सभी कनेक्शन का रिकॉर्ड रख सकता था। इसे सर्किट लेवल फ़ायरवॉल के नाम से जाना जाता है। वक्त के साथ-साथ फ़ायरवॉल में भी कई विकास कार्य हुए। जिसके परिणामस्वरूप आज यह सारे कंप्यूटर को सुरक्षा प्रदान कर रहा है।

फ़ायरवॉल के लाभ (Advantages of Firewall)

  • फ़ायरवॉल नेटवर्क में आने या जाने वाले ट्रैफिक पर नजर बनाये रखता है एवं उसे मॉनिटर भी करता रहता है।
  • फ़ायरवॉल हमारे सिस्टम को हैकर्स एवं स्कैमर्स से बचता है, ताकि वह हमारे सिस्टम में वायरस को न फैला सके।
  • अगर आपका सिस्टम किसी नेटवर्क की सहायता से कई अन्य कम्प्यूटर्स के साथ जुड़ा हो, तो यह बखूबी अपना कार्य करता है एवं एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में वायरस अथवा अनवांटेड फाइल्स को रोकता है।
  • चूँकि फ़ायरवॉल नेटवर्क से जाने वाले ट्रैफिक पर भी नज़र बनाये रखता है, इसीलिए इसका इस्तेमाल कर कुछ वेबसाइट तक पहुंच को बंद किया जा सकता है।

फ़ायरवॉल की हानियां (Disadvantages of Firewall)

  • अगर फ़ायरवॉल अच्छी कंपनी का नहीं हुआ तो यह सिस्टम की परफॉरमेंस पर बुरा असर डाल सकता है।
  • अगर सिस्टम में किसी भी तरह का मलिशियस सॉफ्टवेयर आ जाता है, तो फ़ायरवॉल उसे दूसरे सिस्टम में जाने से बचा सकता है। मगर यह उस सिस्टम को नहीं बचा सकता।
  • अगर आप अपने सिस्टम में सॉफ्टवेयर फ़ायरवॉल का प्रयोग करते हैं, तो यह सिर्फ आपके सिस्टम की सुरक्षा करता है। यह बाकी सिस्टम की सुरक्षा नहीं कर सकता है।

Note : यह लेख Firewall Kya Hai? इसके बारे में था। जिसे आपको फ़ायरवॉल से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया गया है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने सभी दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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