तुलसी के पौधे की जानकरी – Tulsi Plant Information in Hindi

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Tulsi Plant Information in Hindi

इस लेख में हम तुलसी के पौधे (Tulsi Plant in Hindi) के बारे में जानेगे। तुलसी का पौधा  हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसकी पूजा भी की जाती है। आज हम जानेगे, तुलसी के पौधे की जानकारी, तुलसी के पौधे को घर में लगाने के फायदे और तुलसी के पौधे को घर में या गमले में कैसे लगाया जाता है, इससे सम्बंधित सभी जानकारी, तो चलिए जानते है, तुलसी के बारे में –

तुलसी की जानकारी 

तुलसी का पौधा शाखाओ वाला होता है, इसका इस्तेमाल औषिधीय पौधे के रूप में किया जाता है। यह सामान्य पोधो से अलग होता है, यह झाड़ी के आकर में उगता है, इस पौधे की ऊंचाई लगभग 1 से 5 फुट तक हो जाती है। तुलसी के पौधे की पत्तियों का रंग हल्का बैंगनी और हरा होता है।

यह अलग अलग प्रजाति के अनुसार पाया जाता है। कुछ प्रजातियों में तुलसी के पौधे की पत्तियों का रंग पूरी तरह से हरा होता है। इन पत्तियों का आकर अंडाकार होता है, जिनकी लम्बाई 1-2 इंच होती है। तुलसी की पत्तियां कोमल और सुगन्धित होती है, जब यह पौधा थोड़ा बड़ा होने लगता है, तो सर्दियों में इस पर फूल आने लगते है।

इन फूलो की माजरी बहुत कोमल होती है, यह लगभग 7 इंच तक लम्बे हो जाते है, इन पर छोटे छोटे हृदयकार बैंगनी और गुलाबी रंग के पुष्प लगते है, जो की तुलसी के पुष्प से निकली मंजरी के चारो और लगे रहते है।

इन बीजो का आकर चपटा होता है, यह रंग में काले और अंडाकार होते है। तुलसी के नए पौधे बरसात के मौसम में उगते हैं, और यह सर्दियों के मौसम में वृद्धि करते है। तुलसी के पौधे की आयु सामान्य तौर पर  दो-तीन साल तक रहती है, अगर इसकी देखभाल अच्छे से की जाए तो, तीन साल के बाद पौधा सुखना शुरू हो जाता है। 

जब तुलसी के पौधे की आयु समाप्त होने लगती है, तो इसके पत्ते छोटे होने लगते है, और कुछ शाखाएं सूखने लगती है। जब पौधा सुख जाए, तो इसकी जगह पर आप नए पौधे को लगा दीजिये।         

तुलसी की मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रजातियां पायी जाती है। 

  1. आसीमम ग्रेटिसिकम – इस प्रजाति के अंतर्गत वन तुलसी, राम तुलसी और अरण्यतुलसी आती है।  
  2. ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम।
  3. ऑसीमम विरिडी।
  4. ऑसीमम अमेरिकन इस प्रजाति के अंतर्गत मामरी और काली तुलसी आती है। 
  5. ऑसीमम सैक्टम
  6. ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी)।
  7. ऑसीमम वेसिलिकम इस प्रजाति के अंतर्गत मुन्जरिकी या मुरसा तुलसी आती है। 
  8. इन प्रजातियों के अलावा नीबू तुसली भी होती है।

इन सभी प्रजातियों में ऑसीमम सैक्टम को सबसे पवित्र और मुख्य तुसली माना जाता है, इस प्रजाति में भी दो मुख्य प्रजातियां है, जिसमें से पहली का नाम है, श्री तुलसी इसकी पत्तियों का रंग हरा होता है, और दूसरी का नाम है, श्यामा तुलसी इसकी पत्तियों का रंग बैंगनी होता है।

अगर हम तुलसी में गुण और धर्म के अनुसार बात करने, तो सबसे श्रेष्ठ काली तुलसी को माना गया, लेकिन विद्वानों के अनुसार दोनों ही तुलसी में सामान्य गुण पाए जाते है। तुलसी को हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है, लोक तुलसी को अपने घरो और आँगन में लगते है। भारतीय संस्कृति के अनुसार तुलसी का वर्णन हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथो में मिलता है। इसके अलावा तुलसी का होम्योपैथिक, आयुर्वेदक, और यूनानी दवाओं में भी प्रयोग किया जाता है।  

तुलसी के पौधे से संबंधित कुछ अन्य जानकारी – 

तुलसी की माला को इसके पौधे की तरह ही पवित्र माना जाता है, इस माला को तुलसी की 108 गुरियों से बनाया जाता है। तुलसी की माला को गले में पहनने से हृदय को बहुत शांति मिलती है, और व्यक्ति तनाव मुक्त रहता है। 

तुलसी को एक औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में इसे प्राचीन कल से ही पूजा जाता है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है। आयुर्वेद में तुलसी को विशेष महत्त्व दिया गया है। यह एक ऐसी औषधि है, जो सबसे ज्यादा बीमारियों को दूर करने में काम आती है। इसके अलावा यह दांत, सांस, खांसी, और सर्दी जुकाम को दूर करने में भी काम आती है। 

तुलसी के फायदे एवं उपयोग 

औषधीय दृष्टि के अनुसार तुलसी के सबसे ज्यादा महत्पूर्ण पत्तो को माना गया है। आप तुलसी के पत्तो को पौधे से तोड़कर और उन्हें पानी से धो कर खा सकते है। इसके अलावा तुलसी के बीज और इसकी शाखाये भी बहुत गुणकारी होती है। बाजार में तुलसी के पत्तो का चूर्ण भी मिलता है, यह भी बहुत ज्यादा लाभकारी होता है। आप इस चूर्ण को घर में भी बना सकते है। तुलसी के पत्तो का चूर्ण पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके आवला यह पौधा बुखार, और दिल सम्बन्धी बिमारियों में भी लाभदायक माना गया है, तो चलिए जानते है, तुलसी से सम्बंधित गुणों और फायदों के बारे में – 

मस्तिष्क के लिए तुलसी की पत्तियों का महत्त्व 

तुलसी की पत्तियां मस्तिष के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। यह दिमाग को तेज करती है, आप तुलसी की चार या पांच पत्तियों को रोजाना पानी के साथ खाये। इससे आपका मस्तिष्क स्वस्थ और तेज रहेगा। 

सिर दर्द में उपयोगी तुलसी की पत्तियां 

जब भी हम ज्यादा काम करते है, तो हमारे सर में दर्द होने लगता है। इस समस्या को दूर करने के लिए आप तुलसी के तेल की दो बूंद नाक में डाल सकते है, इससे आपके सर का दर्द ठीक हो जाएगा। वैसे तो आयुर्वेदिक उपचार किसी भी तरह की परेशानियां नहीं पहुंचते, लेकिन फिर भी, किसी भी आयुर्वेद उपचार को अपनाने से पहले किसी आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। 

कान के दर्द और सूजन में लाभदायक तुलसी की पत्तियां 

तुलसी की पत्तियां कान दर्द और कान की सूजन में भी बहुत लाभकारी होती है। अगर आपके कान में कभी दर्द होता है, तो आप तुलसी के पौधे से कुछ पत्तियां तोड़कर उनका रस निकल ले। इसके बाद तुलसी के इस रस को हलकी आंच पर गर्म करके, थोड़ा गुनगुना होने पर रस की कुछ बुँदे उस कान में डेल जिस में दर्द हो रहा हैं। ऐसा करने से आपके कान के दर्द में तुरंत आराम मिलता है।  

दांत दर्द में तुरतं आराम पहुँचती है, तुलसी की पत्तियां 

अगर आपके दांत में बहुत तेज दर्द हो रहा, तो आप तुलसी की कुछ मुलायम पत्तियां तोड़कर उसके साथ काली मिर्च मिलकर गोली बना ले। यह गोली उस दांत के निचे रखने से जिसमे दर्द हो रहा है, तुरंत आराम मिलता है। 

गले से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी तुलसी 

अक्सर बदलते मौसम के कारन गले में खराश होना, या गले का बैठ जाना, और सर्दी जुकाम जैसी समस्यांए हो जाती है। इन सभी समस्यांओ से छुटकारा पाने के लिए, आप तुलसी का इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए आप तुलसी के रस को हलके गुनगुने पानी में मिलकर उससे कुल्ला करते है, तो आपके गले से सम्बंधित सभी विकार दूर हो जाते है। आप तुलसी के रस के साथ सेंधानमक मिलकर भी कुल्ला कर सकते है।  

साँसों की दुर्गंध दूर करने में लाभदायक तुलसी 

कभी कभी हमारी सांसो में दुर्गन्ध आने लगती है, यह हमारी पाचन क्रिया सही ना होने के कारण होता है। अगर हमारे शरीर की पाचन क्रिया अच्छी रहती है, तो हमें किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती है। अगर आपकी सांसो में भी किसी तरह की दुर्गन्ध आती है, तो आप तुलसी की पत्तियों का सेवन कर सकते है। यह अपनी स्वाभाविक सुगंध से सांसो की दुर्गन्ध को दूर करती है, और हमारी पाचन क्रिया को बढ़ाती है।

तुलसी के फायदे

तुलसी का पौधा आयुर्वेदिक औषिधि के रूप में प्राचीन काल से उपयोग में आ रहा है। इसके सभी हिस्सों का इस्तेमाल स्वस्थ के लिए लाभदायक होता है। इस लेख में हम जानेंगे, तुलसी की पत्तियों के फायदे, तुलसी के फूल के फायदे, और तुलसी के रस के फायदे इसके अलावा कई और गुण इस लेख में शामिल है।

तुलसी की पत्तियों के कुछ अन्य फायदे

तुलसी के पत्तो में प्राकृतिक रूप से ऐंटी-ऑक्सिडेंट और ऐंटी-बायॉटिक समृद्ध मात्रा में पाए जाते है। यह हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करते है। आप तुलसी के पत्तो को भिगोकर खा सकते है।

तुलसी के अंदर मौजूद अडैप्टोजेन शरीर की रक्त ध्वनि को सामान्य करता है। जिसकी वजह से हमारे शरीर में किसी भी तरह का तनाव नहीं होता है, जिसके कारन आप खुद को अच्छा और स्वस्थ महसूस करते है। इसके सेवन से सिर दर्द को भी रहत मिलती है।

अगर आप प्रतिदिन तुलसी के दो पत्तो को कहते है, तो इससे आपको खासी जैसी सभी समस्याओं से छुटकारा मितला है। आप सेहतमंद रहते है।

तुलसी के पत्तो के सेवन से मुँह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते है। जिसकी वजह से आपके मुँह से बदबू नहीं आती है। और आप एक ताजा साँस को महसूस करते है।

अगर आप प्रतिदिन एक तुलसी का पत्ता खाया जाता है, तो इससे आपको सर्दी-खांसी में कुछ दिन तक आराम मिल जाता है। इसके अंदर मौजूद ऐंटी-बैक्टीरियल सभी तरह के कीटाणुओं को नष्ट कर देते है।

तुलसी आपके शरीर के पीएच लेवल को सामान्य रक्त है। इसके साथ ही यह आपकी पाचन क्रिया को भी ठीक करता है। जिससे आपको पेट में जलन नहीं होती है। और आपका पेट साफ़ रहता है।

तुलसी के बीज के फायदे 

तुलसी के बीज के अंदर समृद्ध मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, पॉलीफेनोलिक घटक, फाइबर, विटामिन k, आयरन, और प्रोटीन सहित कई गुण पाए जाते है। तुलसी के बीजो को अन्य संस्कृतियों के अनुसार अलग अलग नामो से जाना जाता है। जिन बीजो के फायदे के बारे में हम इस लेख में बात कर रहे है, यह सामान्य तुलसी में नहीं पाए जाते है।

यह बीज एक ख़ास प्रकार के पौधे “स्वीट बेसिल” (जो की एक तरह की तुलसी होती है) इसमें पाये जाते है। दिखने में यह बीज घरो में उगायें जाने वाली तुसली के बीजों की तरह ही दिखते है। जानते है, स्वीट बेसिल के बीजो के फायदे

तुलसी के बीजो में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवोनॉयड्स पाये जाते है, जो की मानव शरीर की त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होते है। यह हमारे शरीर की नई कोशिकाओं को सक्रीय करते है। यह हमारे शरीर की त्वचा पर होने वाले दाग धब्बे और झुर्रियों को कम करता है।

तुलसी के बीजो में विटामिन k, एंटीऑक्सीडेंट्स, और आयरन हमारे बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह बढ़ती उम्र के कारन झड़ रहे बालों के लिए बहुत लाभदायक होतें है। यह हमारे सिर की त्वचा की रक्त कोशिकाओं और बालों को मजबूत करते है।

इन बीजो में सभी विटामिन के अलावा फाइबर की मात्रा भी पायी जाती है। जो की हमारे शरीर के वजन को कम करने में बहुत कारगर होते है। जब आप इन बीजो का सेवन करते है, तो यह आपके पेट में बहुत आसानी से पच जाता है। और आपको भूक भी नहीं लगती है और आपका पेट भरा हुआ लगता है। इसके सेवन से आप कैलोरी ज्यादा होने की समस्या से बच सकते है।

तुलसी के बीज केलोस्ट्रोल को कम करने में भी बहुत फायदेमंद होते है। जिसकी वजह से आप कई ह्रदय सम्बन्धी परेशानियों से बच सकते है। यह शरीर के रक्त संचरण को भी सामान्य रखता है।

इसके बीजो का इस्तेमाल उन लोगो के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है, जिन लोगो की आँखों की रौशनी कम होने लगती है। क्योकिं इसके अंदर मौजूद विटामिन K आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। और आप मोतियाबिंद जैसी कई बिमारियों से बच सकते है।

तुलसी के बीजो का इस्तमल करने से आपके शरीर में होने वाले हड्डियों के दर्द को भी बहुत राहत मिलती है। इसके अंदर आयरन और विटामिन के साथ साथ कैल्शियम, मैगनीस, पोटैशियम, कॉपर, और कैल्शियम कई पोषक तत्व होते है। जो हमारी हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करते है।

तुलसी के बीज के बीज शरीर को ठंडक प्रदान करने में भी लाभदायक होते है। कई देशो में इसका सेवन किया जाता है। आमतौर पर बुखार में तुलसी के बीजो का सेवन किया जाता है।

तुलसी के बीज के नुकसान 

तुलसी के बीजो के कई नुक्सान भी हो सकते है। इससे आपके शरीर के हार्मोन में उतार-चढ़ाव या गले में समस्या हो सकती है। इस लेख में दिए गए तुलसी के सभी फायदे सिर्फ आपको जानकारी देने के लिए थे।

तुलसी के बीजों का इस्तेमाल कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। इससे आपको समस्यां हो सकती है। आपको कोई भी आयुर्वेदक औषिधि अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरुरी है।

तुलसी का पौधा कैसे उगायें 

तुलसी के बीज से पौधा कैसे लगाएं? तुलसी के पौधे को बीजों से उगाने के लिए, आपको सबसे पहले तुलसी के पके हुए बीज लेने है। जो की पूरी तरह से सुख चुके है। इसके बाद आप इन्हे गमले में या फिर जमीन में लगा सकते है।

लगाने से पहले आपको उस जगह को अच्छी तरह से गुड़ाई कर लेना है। जहाँ पर यह बीज लगाने है। गुड़ाई करने के बाद आपको यह बीज उसके अंदर दोनों हाथो से मसलकर मिटटी में मिला देने है।

बीजो को मिटटी में मिलाने के बाद आपको इसके अंदर पानी का छिड़काब करना है। और इस गमले को किसी छायादार जगह पर रख देना है। अगर आपने यह बीज किसी खुली जगह में लगाए है, तो आप इसको कुछ सुखी घास से भी ढक सकते है।

ऐसा करने के बाद आपको लगभग एक महीने का इंतजार करना है। एक महीने बाद आपको तुलसी के पौधे बढ़ते नजर आने लगेंगे।

तुलसी की कलम कैसे लगाएं 

तुलसी के पौधे को कटिंग से लगाने के बहुत फायदे है, अगर हम तुलसी के पौधे को कलम के द्वारा लगते है। तो यह बहुत जल्दी बढ़ता है। इसके लिए आपको सबसे पहले सात से आठ तुलसी की कलम को काटना है।

कलम की लम्बाई पांच से सात इंच के बीच रखे। कलम को निचे से ऐसी जगह से काटें जहाँ से नई पत्तियां निकल रही है। क्योकिं इसी जगह से कलम के अंदर से जड़े तैयार होती है।

कलम को काटने के बाद उसके निचे की पत्तियों को हटा दे। और इन्हे किसी ग्लास में पानी भरकर 15 दिन के लिए उसमे रख दे। आपको प्रत्येक पांच दिन में इनका पानी बदलना है। 15 दिन के अंदर आपकी सभी कटिंग से जड़ें निकल जाएंगी।

इसके बाद आप इन्हे गमले में या फिर जमीन लगा सकते है। अगर आप गमले में लगते है, तो इसके लिए 70% सामान्य बगीचे की मिटटी और 30% गोबर का पुराना खाद मिलकर मिटटी को तैयार करना है। इससे आपके पौधे बहुत तेजी से बढ़वार करते है।

तुलसी के पौधे की कटाई कैसे लगाएं वीडियो में देखें

तुलसी के पौधे की देखभाल कैसे करें

जिस तरह से तुलसी के पौधे का महत हिन्दू धर्म में होता है। उसी तरह से इसकी देखभाल करना भी बहुत जरुरी होता है। तो हम जानेगे की तुलसी के पौधे को हरा भरा कैसे करें? और इसे सूखने से कैसे बचाएं जिससे की यह हमेशा हरा रहे। ज्यादातर तुलसी का पौधा सर्दियों के दिनों में सूखता है। अगर आपने इसकी सर्दियों में अच्छे से देखभाल कर ली, तो यह फिर पुरे साल अच्छे से चलता है। तो चलिए जानते है, कैसे तुलसी के पौधे की देखभाल करें।

आप अगर तुलसी के पौधे को नर्सरी से लाते है, तो एक बात का हमेशा ध्यान रखे की इसकी कोई भी पत्ती काली ना हो। इसके अलावा आपके पौधे के सभी पत्ते हरे भरे हो। अगर आप ऐसा पौधा खरीदते है, तो आपका पौधा पहले से ही स्वस्थ रहेगा और जल्दी से किसी तरह का रोग इसको नहीं लगेगा।

तुलसी के पौधे को बरसात के बाद किट पतंगे लगना शुरू हो जाते है। पौधे को इन से बचाने के लिए आपको इस पर अच्छे से पानी का स्प्रे करके, ऊपर से रख बिखेर देनी चाहिए। इससे आपका पौधा किट पतंगों से बचा रहता है।सितम्बर से अक्टूबर के महीने में आपको इसके पौधे की गुड़ाई करनी चाहिए। और इसके अंदर गोबर का पुराना खाद मिलाना चाहिए।

सर्दियाँ आपने पर आपको अपने गमले को ऐसी जगह पर रख देना चाहिए जहाँ पर कोहरा और पाला बहुत कम आता हो। अगर आपके घर में ऐसी कोई जगह नहीं है, तो आपको तुलसी के पौधे को रात को किसी भी ऐसी चीज से ढक देना चाहिए, जो की पाला और कोहरे को रोक सके।

आप इसके ऊपर कोई बड़ी पोलोथिन या कोई मोटा कपड़ा भी रात को इस पौधे पर ढक सकते है। जब पौधे पर मंजरी आनी शुरू हो जाए, तो आपको इन सभी मंजरियों को कटिंग करके हटा देना चाहिए।

सर्दियों के मौसम में तुलसी के पौधे को पानी नहीं देना चाहिए। इससे इसकी जड़े गलना शुरू हो जाती है। इसलिए आपको सर्दियों में पानी नहीं देना है।

जब आपका पौधा दो या तीन साल पुराना हो जाए, तो आपको इसके गमले की मिटटी को बदल देना चाहिए। इससे पौधा बहुत जल्दी बढ़वार करता है। और इस पर नई शाखाएं आती है।

Note – यह जानकारी तुलसी के पौधे की जानकारी पर आधारित थी। आपको यह पोस्ट Tulsi Plant Information In Hindi कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें, ध्यानवाद।

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