100+ Short Moral Stories in Hindi | हिंदी नैतिक कहानियां

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Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi | Small Story in Hindi | Top 10 Moral Stories in Hindi | 

आज हम इस लेख में नैतिक कहानियों (Short Moral Stories in Hindi) के बारे में जानेगे। जिन्हे पढ़ने के बाद आपको बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। जब भी हम कहानियों के बारे में पड़ते है, तो हमें ज्यादातर कहानियां बच्चो से समन्धित पढ़ने के लिए मिलती है। क्योकिं एक छोटे बच्चो को कुछ भी समझाने के लिए कहानियों को सुनाना बहुत जरुरी है। क्योकिं बच्चे कहानियों को बहुत ध्यान से सुनते है।

कुछ नैतिक कहानियां तो ऐसी होती है, जो की सीधे हमारे हृदय मन उतर जाती है। हमें इन कहानियों से बहुत सिखने को मिलता है। ज्यादातर छोटे बच्चे अपने दादा – दादी और नाना – नानी से कहानियां सुनना पसंद करते है। अगर आप भी अपने बच्चो को कहानियां सुनना चाहते है, तो आप यहाँ पर लिखी सभी कहानियों को अपने बच्चो को सुना सकते है। यह सभी कहानियां शिक्षाप्रद है। कहानियों को लेखक कई प्रकार से लिखते है, जिससे की किसी भी कहानी को अधिक से अधिक रोचक बनाया जा सके।

ज्यादातर बच्चो को जानवरो की कहानियों को पढ़ना और सुनना बहुत पसंद होता है। तो आज हम यहाँ पर चिड़ियाँ की कहानी, जानवरो की कहानी, प्यासे कौए की कहानी और भी कई रोचक कहानियों को आपके लिए लिखने वाले है। मुझे पूरी उम्मीद है, की आपको यहाँ पर दी गयी सभी कहानियों से बहुत कुछ सिखने के लिए मिलेगा। आइये पढ़ते है, नैतिक कहानियां हिंदी में (Short Moral Stories in Hindi) –

Short Moral Stories in Hindi | हिंदी नैतिक कहानियां

यहाँ पर हम आपको सभी ऐसी कहानियों की List देने जा रहे है, जो की शिक्षाप्रद होने के साथ साथ बहुत मनोरंजक, और रोचक भी है। जिन्हे पढ़ते हुए आपको बहुत मजा आने वाला है। यहाँ पर लिखी गयी सारी कहानियां सभी वर्ग के आयु के लोगो के लिए है। क्योकिं कोई भी कहानी सिर्फ बच्चो को ही कुछ नहीं सिखाती है। बल्कि बड़े लोगो को भी कहानियों से बहुत कुछ सिखने के लिए मिलता है। अगर आप भी अपने बच्चो को कुछ रोचक कहानियां सुनाना चाहते है, तो आप यहाँ से पढ़कर सुना सकते है।

1. खजाने की खोज की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi


🎙️ कहानी को सुनिए 🎧


पुराने समय की बात है, गांव में धनीराम नाम का एक किसान रहता था, उसके पास चार लड़के थे। धनीराम अपना घर चलने के लिए अपने खेत में कृषि कार्य करता था। लेकिन धनीराम के चारो लड़के बहुत ज्यादा आलसी थे, वह कभी भी खेतो में काम करने के लिए नहीं गए थे। वह सारा दिन अपना समय गांव में इधर उधार बैठ कर बिताया करते थे।

एक दिन धनीराम अपनी पत्नी से बोला की आज तो में जिन्दा हूँ तो सब कुछ सही चल रहा है, मेरे बाद कौन खेती करेगा। हमारे बच्चो ने तो आज तक खेतो में कदम तक भी नहीं रखा है। धनीराम पत्नी ने इस पर कहाँ कोई बात नहीं धीरे धीरे यह काम करने लगेंगे। इसी तरह से धीरे धीरे समय गुजरता जा रहा था। एक दिन धनीराम की अचानक से तबियत ख़राब हो जाती है, और वह बहुत ज्यादा बीमार पड़ जाता है।

इस दौरान धनीराम अपनी पत्नी से कहता है, की चारो लड़को को मेरे पास बुलाऊँ मेरे पास समय बहुत कम है। इतना सुनने के बाद धनीराम की पत्नी अपने चारो लकड़ो को उनके पिता के पास बुलाकर लाती है। धनीराम इस बात से बहुत ज्यादा चिंतित था, की उसके बाद उसके लड़को का क्या होगा। इसलिए उसने अपने चारो लकड़ो को अपने पास बैठाकर कहा, की मेरे पास जितना भी कमाया हुआ धन था, मैंने वह सारा अपने खेतो के निचे दबाया हुआ है।

जब में इस दुनिया में ना रहूं, तो मेरे बाद तुम खेतो में से दबाया हुआ सारा खजाना निकल कर आपस में बाँट लेना है। इतना सुनने के बाद धनीराम के चारो बेटे बहुत खुश हुए। इसके कुछ समय बाद धनीराम की बहुत ज्यादा बीमार होने की वजह से मृत्यु हो गयी। धनीराम की मृत्यु के कुछ दिन बाद, उसके चारो बेटे खेत में दबे हुए खजाने को खोदने के लिए निकल गए।

खेत में पहुंचने के बाद चारो बेटों ने पूरा खेत खोद डाला लेकिन उनमे से किसी को भी खजाने जैसा कुछ नहीं मिला। इस बात से वह चारो बहुत निराश हुए, और उन्होंने घर आकर अपनी माँ से कहा, की पिताजी ने खेत जो खोजने के बारे में बताया था, वह एक झूठ था। हम चारो ने पूरा खेत खोद डाला लेकिन हमें खेत में कोई भी खजाना नहीं मिला। यह सुनकर उनकी माँ बोली की तुम्हारे पिताजी ने अपने पुरे जीवन में यह घर और खेत ही कमाया है, अब जब तुमने इतनी मेहनत करके पूरा खेत खोद दिया है, तो अब उसमे बीज भी डाल दो।

इसके बाद चारो बेटों ने खेत में बीज वो दिए, और माँ के कहे गए अनुसार खेत में समय पर पानी और खाद डालने लगे। समय बीतता गया है, और कुछ समय बाद खेत में फसल तैयार हो गयी। फसल काटने के बाद चारो बेटों ने फसल को बाजार में बेचा और उससे जो भी पैसे मिले उससे उन्हें बहुत ख़ुशी मिली। इसके बाद जब चारो बेटे घर गए, तो माँ ने कहा की बेटा तुम्हारे पिताजी तुम्हे यही समझाना चाहते है, की जो हम मेहनत करते है, उसके बदले में ही हमें खजाना मिलता है।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है। अगर हमें अपने जीवन में सफल होना है, तो हमें मेहनत करनी चाहिए। अगर कोई भी व्यक्त ज्यादा आलस करता है, तो वह अपने जीवन का कीमती समय बर्बाद कर रहा होता है। आपको हमेशा अपने जीवन में सही दिशा में मेहनत करनी चाहिए।

2. लकड़हारा और कुल्हाड़ी की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है, एक गांव में एक लकड़हारा रहता है, जो की जंगल से लकड़ियों को काटकर उन्हें बाजार में बेचकर पैसे कमाता था, जो भी पैसे उसे लकड़ी बेच कर मिलते थे, वह उसी से अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। एक दिन वह जंगल में रोज की तरह लकड़ी काटने के लिए गया, और नदी किनारे एक वृक्ष से लकड़ी काटने लगा।

अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ी छूटकर नदी में गिर गयी। इससे लकड़हारे को बहुत दुःख हुआ, और वह नदी में कुल्हाड़ी ढूंढ़ने का प्रयत्न करने लगा। लेकिन उसे नदी में अपनी कुल्हाड़ी नहीं मिली। इस बात से लकड़हारा बहुत ज्यादा दुखी था, और वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा। जब वह नदी किनारे रो रहा था, तो लकड़हारे की आवाज सुनकर नदी से भगवान प्रकट हुए।

भगवान् जी ने लकड़हारे से पूछा की तुम क्यों रो रहे हो, इस पर लकड़हारे ने शुरू से अंत की पूरी कहानी भगवान को सुनाई। लकड़हारे की कहानी सुनकर भगवान को उस पर दया आ गयी, और उन्होंने लकड़हारे की मेहनत को देखते हुए उसकी मदद करने की योजना बनाई। इसके बाद भगवान जी नदी में गायब हो गए, और एक सोने की कुल्हाड़ी लकड़हारे को देते हुए बोले ये लो तुम्हारी कुल्हाड़ी।

सोने की कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारे बोलै की “हे भगवन” यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है, इस बात को सुनकर भगवान फिर से नदी में गायब हो गए और इस बार एक चांदी की कुल्हाड़ी लकड़हारे को देते हुए बोले यह लोग तुहारी कुल्हाड़ी, इस बार भी लकड़हारे ने यही कहा की यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है, और मुझे सिर्फ मेरी कुल्हाड़ी चाहिए। भगवान् ने फिर से नदी में गायब होकर एक लोहे की कुल्हाड़ी निकाली और लकड़हारे को देते हुए कहा ये लो तुम्हारी कुल्हाड़ी।

इस बार लकड़हारे के चेहरे पर मुस्कान थी, क्योकिं यह कुल्हाड़ी लकड़हारे की थी। उसने कहा ये मेरी कुल्हाड़ी है। भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी से खुश होकर उसे सोने और चंडी की दोनों कुल्हाड़ियाँ भी उसी लकड़हारे को दे दी। इससे लकड़हारा ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया।

Moral of The Story

लकड़हारे की इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है, हमें हमेशा अपनी ईमानदारी पर ही रहना चाहिए। क्योकिं जीवन में ईंमानदार व्यक्ति को कोई भी नहीं हरा सकता है।

3. मेहनत के फल की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

एक गांव में दो दोस्त रहते थे, एक का नाम मोहन और दूसरे का नाम सोहन था। दोनों में बहुत ही गहरी मित्रता थी। मोहन बहुत ही धार्मिक व्यक्ति था, वह हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहता था, जबकि सोहन बहुत ज्यादा मेहनती था। एक बार दोनों ने एक बीघा जमीन लेकर उसमे फसल उगाने के बारे में सोचा, जिसके बाद वह एक अच्छा सा घर बनाना चाहते थे।

इसके बाद दोनों दोस्तों ने खेत खरीद लिया, सोहन दिन रात खेत में मेहनत करता, और मोहन मंदिर में बैठकर फसल अच्छी होने के लिए भगवान से प्रार्थना किया करता। इसी तरह से समय बीतता गया, और कुछ दिन बाद फसल पक गयी। फसल पकने के बाद उसकी कटाई करके उसे बाजार में जाकर बेच दिया। इसके बाद उन्हें अच्छा पैसा मिला। इस पर सोहन ने कहा की इसमें से मेरा ज्यादा हिस्सा है, क्योकिं मैंने दिन रात एक करके खेत को खाद पानी देकर फसल उगाई है।

लेकिन यह बात सुनकर मोहन गुस्सा हो जाता है, और कहने लगता है, की धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना छाइये, क्योकिं मैंने अपने खेत में अच्छी फसल होने के लिए भगवान से प्रार्थना की है। और जब तक भगवान की मर्जी ना हो तब तक कोई भी कुछ नहीं कर सकता है। दोनों इसी बात को लेकर लड़ने लगे, अब यह बात गांव के मुखिया तक पहुंच गयी।

गांव के मुखियां ने सारी बात सुनने के बाद एक फैसला किया। मुखियां ने दोनों दोस्तों को चावलों की एक एक बोरी दी, जिसमे चावलों के बिच छोटे छोटे कंकड़ मिले हुए थे। मुखियां ने कहाँ इस चावलों की बोरी को घर ले जाओ और इसमें से सुबह तक चावल और कंकड़ अलग अलग करके लेकर आओ फिर में सुबह फैसला करूँगा की फसल का ज्यादा धन किसको मिलना चाहिए।

दोनों अपनी अपनी चावलों की बोरी लेकर घर चले गए। सोहन अपने चावलों की बोरी को खोलकर उसमे से कंकड़ अलग अलग करने में लगा गया। मोहन अपनी चावलों की बोरी को लेकर मंदिर में चला गया और भगवान से चावलों से कंकड़ को अलग करने के लिए प्रार्थना करने लगा, बोलै ही भगवान मेरे चावलों से कंकड़ अलग कर दो। दोनों अगली सुबह मुखियां के पास पहुंचे, सोहन ने तो पूरी रात जागकर चावलों से एक एक करके सारे कंकड़ अलग कर दिए।

इस पर मुखियां बहुत खुश हुआ। और मोहन ने अपनी बोरी मंदिर से ले जाकर ऐसी की ऐसी मुखिया के सामने रख दी। और मुखिया से बोला आप बोरी को खोल कर देख लीजिये मुझे भगवान पर पूरा विशवास है, की इस चावल की बोरी से सारे कंकड़ निकल चुके होंगे। लेकिन जब मुखियां ने चावलों की बोरी खुलवाई तो देखा सारे कंकड़ चावलों के बिच ही मौजूद थे।

मुखियां ने मोहन को समझाते हुए कहाँ, की भगवान भी हमारी मदद जब ही करते जब हम अपनी तरफ से मेहनत करते है। यह बात समझाते हुए मुखियां ने फसल का ज्यादा धन सोहन को दे दिया। इसके बाद से मोहन भी सोहन के साथ खेत में मन लगाकर मेहनत करने लगा। इस बार इनके खेत में और भी ज्यादा अच्छी फसल हुई।

Moral of The Story

यह कहानी हमें सिखाती है, की हमें कभी भी पूरी तरह से भगवान के भरोसे पर नहीं बैठना चाहिए। क्योकिं भगवान भी हमारी सहायता तभी करते है, जब हम अपनी तरफ से मेहनत करते है।

4. गरीब और आमिर की बारिश की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

एक गांव में एक किसान रहता था, जिसका नाम रामु था, उसके घर के बाहर ही उसका एक छोटा सा खेत था। उसका पूरा परिवार उसके साथ खेत में काम करने में मदद किया करता था। रामु के बच्चे सब्जियों को पानी भी दे दिया करते थे। इस बार रामु के खेत की फसल बहुत अच्छी थी, वह अपनी पत्नी से कहता है, की इस बार हामरी फसल बहुत अच्छी है, और अगर सब कुछ सही रहा तो हम इस बार फसल बेचकर अपना पक्का घर बना लेंगे।

इतना कहने के बाद वह अपनी पत्नी सरला से कहता है, की में बाजार जा रहा हूँ कुछ सब्जियों और धन को बेचने के लिए, तुम खेत में कीटनाशक दवाइयां छिड़क देना। इतना कहने के बाद वह बाजार चला जाता है, और इधर उसकी पत्नी और बच्चे खेत का सारा काम खत्म कर देते है। जब रामु बाजार से बापिस आता है, तो वह बहुत खुश होता है, और अपनी पत्नी से कहता है, की हमारी सब्जियां उच्च गुणवत्ता वाली है, हमें इस बार बाजार में बहुत अच्छे दाम मिलेंगे। बाजार में जल्दी से सब्जियां तोड़कर बेचनी होगी।

यह सुनकर उसकी पत्नी ने कहा ठीक है, हम कल ही सारी सब्जियां तोड़कर बाजार में बेचने के लिए तैयार करे देंगे। इतना कहने के बाद वह अपने परिवार के साथ ख़ुशी खुसी सो जाते है, लेकिन रात में अचानक बारिश होने लगती है। बारिश होने की वजह से रामु बहुत दुखी होता है, और वह अपनी पत्नी को उठाता है, और कहता है, सरला यह देखो कितनी तेज बारिश हो रही है। इस सरला भी बहुत दुखी हो जाती है, और वह कहती है, हे भगवान हमारी फसल का क्या होगा।

दोनों पति पत्नी भगवान से बारिश बंद होने के लिए प्रार्थना करने लगे। लेकिन बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। यहाँ तक की कुछ देर बाद ओले भी पड़ने लगे, पुरे खेत में बारिश का पानी भर गया। इससे वह दोनों बहुत परेशान थे, रामु ने कहाँ सरला बारिश का पानी बढ़ता जा रहा है, धीरे यह पानी हमारे घर में भी भरने लगेगा, और हवा की वजह से हमारे घर का छप्पर भी टूटने लगा है। दोनों बहुत परेशान थे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, की ऐसी परेशानी में उन्हें क्या करना चाहिए।

सरला ने अपने दोनों बच्चो को उठाया और अपने पति के साथ किसी सुरक्षित स्थान पर जाने का फैसला किया। जब वह अपने घर से निकले तो देखा पहले से ही बारिश के पानी की वजह से कई घर टूट चुके थे। पुरे गांव में पानी भर चुका था, और गांव के अन्य लोग भी अपना सामान सर पर रखकर गांव से निकल रहे थे। पूरा गांव दुखी था, सभी एक दूसरे की मदद कर रहे है। सभी गांव वाले गांव के बहार के पुल के ऊपर आकर रुक गए।

कुछ समय बाद बारिश रुक गयी, और अगले दिन सुबह सरकारी लोग गांव में फसे लोगो के लिए खाना लेकर आये। गांव वाले खाने को देखकर कर्मचारियों की और दौड़े रामु को भी खाने के कुछ पैकेट मिल गए थे। रामु ने वह खाने के पैकेट अपने बच्चो को खिला दिए, और दोनों पति पत्नी भूखे रहे। अब गांव वालो को कुछ रहत सी महसूस होने लगी, अब उन्हें पूरी उम्मीद थी, की वह अब अपने गांव में लौट जाएंगे। लेकिन तभी थोड़ी देर बाद फिर से बारिश होना शुरू हो गयी।

इस बार बारिश बहुत देर से लगातार पड़ रही थी पानी बढ़ता जा रहा था। जिसकी वजह से गांव में राहतकर्ता भी खाना लेकर नहीं आये थे। इस रामु ने कहा की इस बार हमारे गांव में सरकारी गाड़ियां खाना लेकर नहीं आएगी। में खाना लेने के लिए गांव से बहार जाता है। कुछ देर बाद रामु खाना लेकर सरला और बच्चो के पास पंहुचा, लेकिन रामु के शरीर पर बहुत चोट के निशान बने हुए थे। जिन्हे देखकर सरला घबराते हुए बोली यह सब कैसे हुआ, इस पर रामु ने कहाँ की पास वाले गांव में सरकार मुफ्त में खाना बाँट रही थी। जिसकी वजह से वहां पर बहुत भीड़ थी, मुझे खाने लेते हुए भीड़ में यह चोट लग गयी।

इतना सुनकर सरला रोने लगी, और कहने लगी जो हाथ अनाज उगाते थे आज वह खुद आनाज के लिए परेशान है। यह कैसी स्तिथि आ चुकी है, रामु ने सरला को समझाया और कहा की तुम घबराओ मत सब कुछ जल्दी ही ठीक हो जाएगा। इसके बाद रामु ने अपने बच्चो को खाना दिया, लेकिन बच्चो ने कहाँ आप भी इसमें से हमारे साथ खाना खाइये, क्योकिं आप दोनों ने कल से कुछ भी नहीं खाया है। बच्चो ने सरला और रामु के साथ खाना खाया। यह देखकर सभी को बहुत अच्छा लगा।

सभी का हँसता खेलता परिवार पूरी तरह से परेशान था। इसके बाद धीरे धीरे बारिश कम होने लगी। और सभी गांव वाले अपने अपने घर लौटने लगे। जब रामु अपने परिवार के साथ घर पंहुचा तो देखा, रामु का पूरा घर उनका टूट चुका था। इस पर सरला बहुत ज्यादा दुखी थी, रामु ने कहाँ की हम घर फिर से बना लेंगे। सरला ने कहाँ और खाने के लिए कहाँ से लाएंगे। बच्चो ने कहाँ की अभी भी कुछ सब्जियां खेत में बची हुई है, हम उनको तोड़कर ले आते है।

बच्चे सब्जियां तोड़ने में लग जाते है, रामु और सरला अपने घर को फिर से बनाने में लग जाते है। तभी उनके एक व्यक्ति अपने घर की और आता हुआ दिखाई देता है, वह बोलता है, की में सरकार की तरफ से आया हूँ। मुझे यह देखना की आपका इस बारिश की आपदा में कितना नुक्सान हुआ है, क्योकिं सरकार आपको आपके नुक्सान का पूरा मुआवजा देगी, और आपको एक पक्का घर भी बनाकर देगी। ऐसा सुनने के बाद सरला को बहुत अच्छा लगा, रामु और सरला ने अपने बारे में सारी इनफार्मेशन उस सरकारी व्यक्ति को दे दी।

वह सारी जानकारी लेने के बाद वहां से चला गया। और कुछ सरकारी कर्मचारी गांव में राशन देने के लिए आये। राशन लेने के बाद रामु और गांव वालो ने उन कर्मचारियों को बहुत बहुत धन्यवाद दिया। कर्मचारियों ने कहाँ आप एक किसान है, जो की पुरे देश के लिए अनाज उगाते है, आपकी मदद करना हमारा कर्तव्य है। इतना कहने के बाद वह गांव से चले गए। इसके कुछ दिन बाद रामु के गांव में सरकार की बहुत सारी गाड़ियां आयी, और जिन लोगो के भी बारिश की वजह से घर टूटे थे, उन सभी लोगो को मजबूत और पक्के घर बनाकर दिए गए।

आज सरला की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे। इस पर सरला ने कहाँ की हे भगवान में अनजाने में आपको बहुत कुछ बुरा भला कहा मुझे इसके लिए माफ़ कर देना। भगवान को धन्यवाद कहते हुए वह बहुत खुश हुई। रामु के परिवार को अंत में पक्का मकान भी मिल गया और आर्थिक मदद भी मिल गयी। इसके बाद उन्होंने फिर से फसल उगाई। हालाकिं बारिश का कहर रामु और पुरे गांव वालो पर बहुत वर्षा लेकिन अंत में सब कुछ ठीक हो गया और सभी गांव वाले बहुत खुश थे।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, की जब आमिर लोग अपने पक्के घरो में बारिश का आनंद लेते है। वही एक गरीब किसान अपने खेतो को बचने के लिए भगवान से प्रार्थना करता है। आज भी कई गांव ऐसे है, जहाँ पर बारिश के कारण लोगो के घर टूट जाते है।

5. डरपोक पत्थर की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था। उसे एक मूर्ति बनाने के लिए पत्थर की आवश्यकता थी। वह पत्थर खोजने के लिए जंगल में चला गया, वहां पर उसे एक अच्छा और सुन्दर सा पत्थर मिल जाता है, जिसे मूर्ति का आकार देना बहुत ही आसान था, वह इस पत्थर को देखकर खुश हो जाता है। और उस पत्थर को उठाकर अपने साथ अपने घर ले जाने लगता था। जब वह रस्ते में आ रहा होता है, तो उसे एक पत्थर और मिल जाता है, मूर्तिकार उस पत्थर को भी अपने साथ ले जाता है।

मूर्तिकार दोनों पत्थर को घर ले जाता है, और अपने औजारों से पत्थर को मूर्ति का आकार देने लगता है। जैसे ही वह पत्थर पर चोट मरता है, पत्थर कहने लगता है, की मुझे छोड़ दो इससे मुझे दर्द हो रहा तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना लो। अगर तुम मेरे ऊपर ज्यादा चोट मरोगे तो में टूट कर बिखर जाऊंगा। पत्थर की यह बात सुनकर मूर्तिकार को उस पर दया आ जाती है, और वह उस पत्थर को छोड़ देता है, और दूसरे पत्थर की मूर्ति बनाने लग जाता है। यह पत्थर कुछ नहीं बोला और कुछ ही समय में मूर्तिकार इस पत्थर को एक भगवान की मूर्ति मन बदल देता है।

भगवान् की मूर्ति बनने के बाद गांव वाले उस मूर्ति को लेने केलिए आते है। जब गांव वाले उस मूर्ति को ले जाने लगते है, तो वह सोचते है, की मूर्ति के पास नारियल तोड़ने के लिए एक पत्थर की आवश्यकता और पड़ेगी। इसके लिए वह दूसरे पत्थर को भी अपने साथ ले जाते है। गांव वालों ने मूर्ति को मंदिर में रख दिया और उसी मूर्ति के निचे दूसरे पत्थर को भी रख दिया। जब भी मंदिर में लोग पूजा करने के लिए आते तो वह मूर्ति पर दूध चढ़ाते और फूलो की माला डालते और निचे रखे पत्थर पर नारियल को फोड़ते थे। इससे पत्थर बहुत परेशान होता था।

जब भी लोग उस पर नारियल फोड़ते थे, उसको दर्द होता था। इस पर वह पत्थर मूर्ति बने पत्थर से बोलता है, की तुम तो बहुत ही आराम मन हो लोग तुम्हे दूध स्नान कराते है, और तुम्हे लड्डू का भोग लगाते है, और मेरी किस्मत तो बहुत ही ख़राब है। इस बात पर मूर्ति वाले पत्थर ने जबाब दिया की मूर्तिकार तो तुम्हे मूर्ति बनाना चाहता था, लेकिन तुमने दर्द की वजह से इंकार कर दिया अगर तुम उस समय ऐसा नहीं करते तो शायद आज में तुम्हारी जगह पर होता, और लोग मेरे ऊपर नारियल फोड़ रहे होते।

लेकिन तुमने शुरुआत का दर्द सहन नहीं किया और तुमने आराम का रास्ता चुना जिसकी वजह से अब तुम्हे दर्द सहना पड़ रहा है। यह बात उस पत्थर को समझ आ गयी, और वह आगे से कभी कुछ नहीं बोला जब भी लोग उस पर नारियल को फोड़ते वह सभी दुःख हसकर सहता था। जब लोग मूर्ति को लड्डू का भोग लगाते थे, तो उस पत्थर पर भी लड्डू का भोग लगाते थे।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की हमें कभ भी किसी भी कठिन से कठिन परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए। क्योकिं शुरुआत में हमारे जीवन में कठिनाइयां आती है, लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है। जो व्यक्ति शुरुआत की कठिनाइयों को सामना करके आगे बढ़ जाता है, उसका आने वाला जीवन पूरा सुखमय हो जाता है।

6. गरीब हलवा पराठा वाले की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Small Story in Hindi

एक गांव में दो भाई रहते थे, एक का नाम अली था और दूसरे भाई का नाम अकरम था। अली हलुवा पराठा का ठेला लगाता था, और अकरम कुछ नहीं करता था, लेकिन फिर भी वह कुछ जुगाड़ करके पैसे कमा लिया करता था। अकरम अपनी भाभी के लिए एक दिन घर पर सूट लेकर गया है, अकरम की भाभी बोली यह तो बहुत अच्छा है, लेकिन आपके पास इतने पैसे कहाँ से आये। अकरम बोला भाभी आप यह सब मुझ से मत पूछा करो, में सिर्फ जुगाड़ ढूंढ़ता हूँ और बहुत जल्दी में आमिर बन जाऊंगा।

तभी घर पर उसका भाई अली पंहुचा और वह बोला तू भले ही जुगाड़ से आमिर बन जायगा। लेकिन तू उन पैसो से कभी आमिर नहीं बन पायेगा। अपने भाई की बात सुनकर अकरम बोला भाई जान आप हमेशा ऐसे ही बोलते है, आप इतनी ईमानदारी करके क्या करोगे। मुझे तो जल्दी से आमिर बनना है। यह सब बोलकर वह अपने भाई अली का मुँह बंद कर देता था। लेकिन अली की सोच बिलकुल सही थी, वह एक ईमानदार व्यक्ति था, लेकिन उसकी जिंदगी में बहुत उतार चढ़ाव थे।

वह हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले सामन से हलवा पराठा बनाता था। वह कभी भी अपने मुनाफे के बारे में नहीं सोचता था। एक दिन दुकानदार ने कहाँ की तुम इतने महंगे मैदा और तेल से क्यों हलवा पराठा बनाते हो, इससे तुम्हे कुछ भी मुनाफा नहीं होता है। इस पर अली बोला मेरे ग्राहकों की सेहत का ख्याल रखना मेरा कर्तव्य है। और में कभी भी अपने ग्राहकों को ख़राब और सस्ती गुणवत्ता वाली चीजों से बना हलवा पराठा नहीं खिला सकता। वह अपने ग्राहकों का बहुत ख्याल रखता था।

अली का हलवा पराठे ठेला बिच बाजार में था, इसलिए उसके ठेले पर बहुत भीड़ रहती थी। लोग अली के ठेले से हलवा पराठा घर के लिए पैक कराकर भी ले जाया करते थे। लोगो को उसके हलवे पराठे को खाने में बहुत स्वाद आया करता था। अली अपने पुरे महीने का मुनाफा अपनी पत्नी फातिमा को दिया करता था। इस बार जब अली ने पुरे महीने का मुनाफा अपनी पत्नी को दिया, तो उसकी पत्नी बोली यह तो पिछले महीने से भी कम है।

यह सुनकर अली बोला की हां इस महीने तेल के दाम बढ़ चुके है, इसलिए मुनाफा थोड़ा कम हुआ है। यह सुनकर उसकी पत्नी फातिमा बोली की आप भी अपने हलवा पराठा का दाम बढ़ा दीजिये। यह बात सुनकर अली बोला नहीं फातिमा, अगर मैंने अपने हलवा पराठा के दाम बढ़ा दिए, तो ज्यादा लोग खरीद नहीं पाएंगे। यह सुनकर उसकी पत्नी फातिमा बोली की इस तरह से तो हमारा बहुत नुक्सान हो जायेगा। यह सुनकर अली बोला कोई बात नहीं।

यह सारी बात उसका भाई अकरम सुन रहा था, वह बोला भाई जान आप यह कब सीखोगे की सबसे पहले आपको अपना भला सोचना चाहिए। इसके बाद दुसरो के बारे में सोचा करो। यह सुनकर अली बोला में यह कभी नहीं सोचूंगा, लेकिन तुम मेरी तरह एक ईमानदार व्यक्ति बनो। अकरम बोला नहीं नहीं भाईजान आप अपने तरीके से काम करो और में अपने तरीके से करता हूँ, मुझे तो कोई भी जुगाड़ करके जल्दी से जल्दी आमिर बन जाना है।

यह सुनकर अली बोला ठीक है, लेकिन एक बात का हमेशा ख्याल रखना की तेरी वजह से किसी का कोई नुक्सान नहीं होना चाहिए। दोनों भाइयों की सोच बिलकुल अलग थी। एक हमेशा अपना भला सोचा करता था, तो एक हमेशा दूसरे लोगो का भला सोचा करता था। एक दिन फातिमा को एक फ़ोन आता है, और वह फ़ोन पर ही रोने लगती है, इस पर उसका पति अली पूछता है, की क्या हुआ फातिमा, वह रोते हुए बोली की आपकी चाची जिन्दा नहीं रही है।

यह सुनकर अली चाची के यहाँ चला जाता है, और अपने भाई अकरम से कहता है, की जब तक में बहार जा रहा हूँ, तुम मेरा ठेला चलाते रहना। और वह जाते जाते कह जाता है, की हमेशा महंगे सामान ही खरीदना, क्योकिं सस्ते सामने में केमिकल मिला हुआ रहता है। अकरम यह सुनकर कहता है, ठीक है, भाईजान में ख्याल रखूँगा। यह कहकर अली अपनी पत्नी फातिमा के साथ गांव चला जाता है। और इधर अकरम अली का हलवा पराठे का ठेला लगाने के लिए चला जाता है।

ग्राहक ठेले पर आकर अली के बारे में पूछा करते थे, की अली भाई कहाँ पर गए है, इस अकरम ने कहाँ वह अभी गांव गए है, कुछ दिन में वापस आ जायेगे। वह ठेले पर हलवा पराठा बनाकर बेच रहा था, सब कुछ ठीक चल रहा था। फिर उसने देखा की तेल का डब्बा खत्म होने वाला है। अकरम ने कहाँ सारा सामान कल सुबह खरीद लेता हूँ। वह अगली सुबह सामन खरीदने के लिए होल सेल की दुकान पर पंहुचा।

दुकानदार से सामान के बारे में पूछा उसने कहाँ, की सस्ता वाला चाहिए, या महंगा वाला। अकरम ने दोनों में फर्क पूछा, दूकानदार बोला की सस्ता वाला खुला तेल है, और उसकी गुणवत्ता भी कम है। और महंगा वाला अच्छा होता है। उसने दुकानदार से कहाँ की मुझे सस्ता वाला तेल दे दो। मुझे कौन सा अपने घर का खाना बनाना है। दुकानदार ने अकरम को तेल और सारा सामन सस्ता वाला दे दिया।

अकरम ने सारा सस्ता सामान खरीद लिए और उसने अपने ठेला लगा। रोज की तरह ठेले पर ग्राहकों की भीड़ लग गयी। लोग अकरम से हलवा पराठा खरीदने लगे। आज अकरम खुश था, क्योकिं आज उसका मुनाफा ज्यादा हो रहा था। वह लगातार बहुत दिनों तक सस्ते सामान से हलवा पराठा बनाकर बेचता रहा। कुछ दिन बाद उसके ठेले पर भीड़ कम होने लगी। ग्राहकों ने ठेले पर आना बहुत कम कर दिया।

तभी दो ग्राहक अकरम के ठेले पर हलवा पराठा लेने के लिए आते है। और आपस में बात करते है, की कल में डॉक्टर के यहाँ पर गयी थी, और वहां पर बहुत भीड़ थी। सभी के पेट में दर्द था। पता नहीं क्या खाया था। डॉक्टर बोल रहे है, की Food Poisoning हो गयी है। यह बाते सुनकर अकरम थोड़ा चिंतित हो गया था। क्योकिं वह बहुत दिनों से सस्ते सामान से हलवा पराठा बना रहा था। वह सोच रहा अगर यह सब मेरी वजह से हुआ होगा, तो पुलिस मुझे पकड़ लेगी।

सुने तुरंत अपने भाई अली को फ़ोन लगाया और बोला भाईजान मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मैंने आपकी कोई भी बात नहीं मानी और मैंने सस्ते सामान से हलवा पराठा बनाया और मेरी वजह से सभी लोगो को Food Poisoning हो गयी है। भाईजान अब मेरी मदद कीजिये। इस पर अली बोला मैंने तुझे पहले ही मना किया था, अब देख सभी मासूम लोग बीमार हो गए है। अली बोला सबसे पहले वह सारे सामान फेक दें, और ऊपर वाले से दुआ कर की सभी लोग जल्दी से ठीक हो जाएँ।

अकरम ने सारे सामान को फेक दिया। अकरम बहुत परेशान था, उसे अपनी गलती का बहुत एहसास हो रहा था। वह मन ही मन कह रहा था, की में कभी भी किसी के साथ ऐसा कुछ नहीं करूँगा। जिससे कोई मेरी वजह से बीमार और या किसी कोई मेरी वजह से कुछ नुक्सान हो। वह कह रहा था, कभी भी जुगाड़ से पैसे नहीं कमाऊंगा। और वह घर जाकर सभी Food Poisoning के मरीजों के लिए दुआ मांगने लगा।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है। हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। कभी भी जुगाड़ से पैसे नहीं कमाने चाहिए। अगर अकरम अपने सामान में मिलावट नहीं करता तो उसके ग्राहकों की संख्या भी कम नहीं होती। हमें हमेशा ईमानदारी से कार्य करना चाहिए। और मेहनत से पैसे कमाने चाहिए।

7. नकारात्मक लोगो की बिल्कुल भी नहीं सुननी चाहिए (Short Moral Stories in Hindi)

Small Story in Hindi

एक बार एक जंगल में बहुत सारे मेंढकों का ग्रुप घूम रहा था। यह सभी जंगल में आगे यात्रा करते जा रहे है। तभी उनमे से दो मेंढक एक गड्डे में गिर जाते है। यह देखकर दूसरे सभी मेंढक को लगा की अब यह जीवित नहीं बचेंगे, क्योकिं वह गड्डा बहुत गहरा था। सभी मेंढक एक साथ चिल्ला रहे थी, की अब तुम बाहर नहीं आ सकते हो। हालाकिं दोनों मेंढक गड्डे से बहार निकलने का प्रयास कर रहे थे। उनके लगातार प्रयास करने पर भी अन्य मेंढक उन्हें यही बोल रहे थे, की तुम्हारी कोशिश बेकार है, तुम गड्डे से बहार नहीं निकल सकते हो।

यह बात गड्डे में गिरे एक मेंढक ने सुन ली। और वह हिम्मत हर गया और अंत तक प्रयास करते करते मर गया। लेकिन दूसरे मेंढक ने हिम्मत नहीं हारी वह अपना पूरा प्रयास करता रहा। पहले मेंढक के मरने पर दूसरे मेंढक जोर जोर से चिल्ला रहे थे। लेकिन गड्डे में गिरा हुआ मेंढक अभी भी बहार निकलने का पूरा प्रयत्न कर रहा था। और उसने सभी को नजर अंदाज करके बार बार प्रयास करने के कारण कूद कूद कर गड्डे से बहार निकलने में सफल हो गया।

जब वह मेंढक गड्डे से बाहर आया तो अन्य सभी मेंढक बोले की जब हम तुम्हे जोर जोर से बोल रहे थे, की तुम गड्डे से बहार नहीं निकल सकते हो, तो क्या तुम्हे यह आवाज नहीं सुनाई दी थी। उस मेंढक ने कहा नहीं मुझे किसी की कोई भी आवाज नहीं सुनाई दी। क्योकिं में बहरा हूँ और मुझे लगा आप सब जोर जोर से बोलकर मेरा उत्साह बढ़ा रहे हो। इसी कारण में गड्डे से बहार निकलने में सफल रहा।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है। की हमें कभी भी किसी भी ऐसे व्यक्ति की नहीं सुननी चाहिए, जो हमें ऊपर उठने में या किसी समस्यां को हल करने से रोकते है। बस आपको आपने ऊपर पूरा विशवास रखना चाहिए। अगर आपको अपने ऊपर पूरा विशवास है, तो आप किसी भी समस्यां का हल ढूंढ सकते है।

8. भेड़िया और सारस की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

एक जंगल में एक भेड़िया रहता था। वह एक दिन एक शिकार करके उस जानवर को खा रहा था। खाते खाते उसके गले में एक हड्डी अटक जाती है। बहुत कोशिश करने के बाद भी भेड़ियाँ अपने गले से उस हड्डी को नहीं निकाल पाता है। और उसकी स्तिथि बहुत ज्यादा बुरी हो जाती है। अब वह बहुत परेशान हो जाता है। तभी उसे सामने एक सारस दिखाई देता है। उसकी लम्बी चोंच देखर भेड़ियाँ उस सारस से मदद मांगता है।

पहले तो सारा बहुत ज्यादा डरा हुआ सा रहता है, क्योकिं उसे एक भेड़ियें की मदद करना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन जब भेड़ियाँ उससे बोलता है, की तुम मेरे गले में फांसी हड्डी को निकालो में तुम्हे इनाम दूंगा, तो इस पर सारस को लालच आ जाता है, और वह भेड़ियें की गले की हड्डी को अपनी लम्बी चोंच से निकल देता है। हड्डी निकल जाने के बाद भेड़ियाँ वहां से जाने लगता है।

यह देखकर सारस कहता है, मैंने तुम्हारे गले की हड्डी निकाली है, मेरा इनाम कहाँ है। यह सुनकर भेड़ियाँ सारस से कहता है, तुम्हारी गर्दन मेरे गले से सुरक्षित बहार आ गयी है। यही तुम्हारा इनाम है। इस बात से सारस को बहुत दुःख हुआ।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की हमें कभी भी स्वार्थी लोगो के साथ नहीं रहना चाहिए। जिस व्यक्ति का कोई आत्मसम्मान नहीं होता है, उसकी सहायता करने पर बदले में किसी भी तरह के लाभ की अपेक्षा ना करें।

9. जिद्दी बच्चे की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

एक राजू नाम का लड़का था, जिसे बाहर का खाना खाने का बहुत शोक था। वह हमेशा बाहर का खाना पसंद करता था। राजू के मम्मी पापा उसे बहुत समझाते थे, लेकिन वह उनकी एक बात भी नहीं सुनता था। एक दिन राजू स्कूल से घर आय और बोला मम्मी मुझे बहुत तेज भूख लगी है, उसकी मम्मी ने कहाँ में तुम्हारे लिए पोहा बना देती है, राजू ने कहा मुझे पोहा नहीं खाना है। उसकी मम्मी ने उसे फल खाने के लिए कहा, लेकिन राजू ने कहा मुझे चिप्स और पेप्सी चाहिए।

राजू की मम्मी ने कहा यह तो घर में नहीं है। इस बात को सुनकर राजू ने कहा मुझे पैसे दो में बाहर से लेकर आता हूँ। राजू ने जिद करके अपनी माँ से पैसे लिए और बाहर चला गया। उसी रात को राजू की मान ने पराठे और आलू गोभी की सब्जी बनायीं थी। रात को राजू और उसके मम्मी पापा तीनो खाना खाने के लिए बैठे, राजू ने कहाँ पापा मुझे गोभी की सब्जी पसंद नहीं है। इस पर उसके पापा ने डाटते हुए कहा, की तुम्हारे लिए रात में बाहर से खाना थोड़ी लायेंगे चुपचाप खा लो।

लेकिन राजू का मन पेटीज और आइसक्रीम आदि खाने का कर रहा था। उससे खाना बिल्कुल भी नहीं खाया जा रहा था। उसने अपने मम्मी – पापा की नजर से बचकर सारा खाना पास में रखे फूल दान में डाल दिया। और अपने कमरे में जा कर सो गया। अगली सुबह राजू स्कूल के लिए तैयार हो जाता है। राजू की मम्मी ने उसे दूध पीने के लिए दिया। लेकिन राजू ने अपनी माँ से कहा की उसे दूध पसंद नहीं है, और वह दूध नहीं पियेगा।

तभी राजू के पापा वहां आ गए और उसने अपने पापा के डर की वजह से दूध का गिलास मम्मी के हाथ से ले लिया। लेकिन उसने वह दूध पीया नहीं और नजर बचाकर खिड़की से बहार सारा दूध का गिलास गिरा दिया। और फिर स्कूल चला गया। जब राजू की मम्मी घर की सफाई कर रही थी, तो उन्हें फूल दान में रात की सब्जी और पराठे मिले। तभी राजू के पापा वहां आये और उन्होंने राजू की मम्मी से कहा की तुम्हारे लाडले बेटे ने सारा दूध सुबह खिड़की से बाहर फेक दिया था, और देखो मेरी चप्पल पर भी दूध लग गया है।

राजू के पापा बोले आज भी बाहर ऐसे बहुत से बच्चे है, जिन्हे दूध देखने को भी नहीं मिलता है। और हम अपने बेटे को सब कुछ देते है, लेकिन फिर भी इसे इन सब चीजों की कोई क़दर नहीं है। राजू की मम्मी ने कहा की इसने रात सारा खाना फूल दान में फेक दिया था। यह घर का खाना बिल्कुल भी नहीं खाता है, और इसकी सेहत भी दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। राजू के पापा बोले जब खाना ही ठीक से नहीं खायेगा तो सेहत कहाँ से बनेगी।

राजू से उसके मम्मी – पापा बहुत परेशान थे। राजू की मम्मी बोली की आप ही कुछ कीजिये। इस पर राजू के पापा बोले हमारी मदद राजू के स्कूल की मैडम कर सकती है। अगले दिन राजू के मम्मी – पापा उसके स्कूल में गए और सारी कहानी स्कूल की मैडम को बताई। स्कूल की मैडम बोली अच्छा तो इसी वजह से राजू अपनी क्लास में इतना कमजोर है। यह ठीक से खाना पीना ना खाने की वजह से खेल कूद में भी दूसरे बच्चो बहुत ज्यादा कमजोर है।

उसके पापा ने स्कूल की मैडम से कहा की हमें राजू को समझाना चाहिए, की बहार की चीजों से हम बहुत बीमार हो सकते है, और इससे हमारे शरीर को बहुत नुक्सान होता है। राजू के स्कूल की मैडम ने कहा मेरे पास एक तरकीब है। यह तरकीब राजू की मैडम ने उसके पापा को बता दी। अगले दिन राजू का जन्मदिन था। राजू को आज पुरे दिन कुछ भी खाने की पूरी छूट थी। उसने पुरे दिन बहुत सी बहार की चीजे खायी।

बाद में राजू के स्कूल की टीचर ने राजू को गिफ्ट में एक पौधा दिया और कहा की यह बहुत अनमोल पौधा है। यह जिसके पास रहता है, उसके पास किसी भी चीज की कमी नहीं होती है। तुम इस पौधे का पूरा ख्याल रखोगे। राजू को वह पौधा बहुत पसंद आया, और राजू बोला जी मैडम में इस पौधे का पूरा ख्याल रखूँगा। पार्टी खत्म हो गयी और सभी लोग अपने अपने घर को चले गए। और राजू भी अपने पौधे को लेकर अपने कमरे में गया और सो गया।

अगली सुबह राजू अपनी मम्मी से बोला की मुझे पानी देना, मुझे अपने पौधे में पानी डालना है। यह सुनकर उसकी मम्मी बोली पानी क्यों पौधे में कोल्डड्रिंक डाल दे। क्योकिं तुझे कोल्ड ड्रिंक बहुत पसंद है। राजू बोला माँ आप किस तरह की बात कर रही हो। पौधे में कोई कोल्ड ड्रिंक डालता है। उसकी माँ बोली जब तू कोल्ड ड्रिंक पी सकता है, तो यह तेरा पौधा क्यों नहीं पी सकता है। राजू ने अपनी माँ के कहने पर पौधे में कोल्ड ड्रिंक डाल दिया।

अब प्रतिदिन ऐसे ही होने लगा। जब भी राजू पौधे में पानी डालने के लिए बोलता माँ उससे कोल्ड ड्रिंक डालने के लिए कह देती थी। इस तरह से धीरे धीरे पौधा सूखता चला जा रहा था। राजू को बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था, की पौधा क्यों सुख रहा था। उसने आपने पापा से कहा की पापा में तो पौधे में पानी से भी अच्छी चीज कोल्ड ड्रिंक डालता हु फिर भी पौधा सूखता जा रहा है।

उसके पापा ने कहा की लगता है, की पौधे में खाद डालनी पड़ेगी। यह सुनकर राजू बोला खाद कहाँ से मिलेगी पापा। उसके पापा ने कहा तुम्हारे पास ही तो है, तो जो चिप्स और पेटीज खाते हो, उसी को चुरा करके पौधे में डाल दो। यह सुनकर राजू बोला क्या यह पौधे के लिए अच्छा होगा। उसके पापा ने कहा जब यह सब तुम्हे अच्छा लगता है, तो तुम्हारे पौधे को भी अच्छा लगेगा।

राजू ने अपने पापा के कहने पर पौधे में चिप्स और पेटीज का चुरा डाल दिया। इससे उसका पौधा और भी ज्यादा सूखने लगा। उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, की उसका पौधा क्यों सूखता जा रहा है। तभी उसके मम्मी – पापा आ गए। और उसकी मम्मी ने उसको समझाते हुए कहा की तुम्हारा पौधा इसलिए सुख गया क्योकिं तुम इसमें पानी की जगह कोल्ड ड्रिंक डाल रहे थे और खाद की जगह चिप्स।

तुम्हे लगता है, की यह सभी चीजे पानी से ज्यादा अच्छी और लेकिन इन्होने पौधे को बहुत सूखा दिए है। इसी तरह से तुम भी यह सभी चीजे खाते हो। जिसकी वजह से तुम भी दिन प्रतिदिन अपने दोस्तों से खेल कूद में पीछे होते जा रहे हो। हालाकिं यह सभी बाहर की चीजे खाने में बहुत अच्छी होती है। लेकिन इनमे किसी भी तरह का कोई पोषक तत्व नहीं होता है। अगर हम रोज रोज इस तरह की चीजे खाते है, तो इससे हमारा शरीर कमजोर होने लगता है। और हमारे शरीर में बहुत सी बीमारियां होने लगती है।

जिस तरह से पौधे को बढ़ने के लिए खाद और पानी की आवश्यकता होती है। ठीक उसी तरह से शरीर को मजबूत बनाने के लिए अच्छे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जो की सिर्फ घर के खाने से ही मिलती है। यह बात राजू समझ चुका था। राजू बोला आज के बाद में कभी भी बाहर का कुछ नहीं खाऊंगा और हमेशा घर का खाना खाऊंगा। उस दिन के बाद राजू घर का खाना खाता और अपने पौधे को पानी और खाद देता।

कुछ दिन बाद ही राजू की सेहत भी अच्छी होने लगी और उसका पौधा भी फिर से लहरा उठा।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है। हमें हमेशा अपने माता पिता की बात माननी चाहिए। जो भी हमारे माता पिता हमें समझाते वह हमेशा हमारी अच्छी सेहत और अच्छे भविष्य के लिए ही समझाते है।

10. जादुई सोने का कुआँ (Short Moral Stories in Hindi)

Short Moral Stories in Hindi

आसमान साफ़ नहीं था चारो और काले काले बदल छा गए थे कभी भी बारिश हो सकती थी। सुजाता जैसी बारिश पढ़ने से पहले जल्दी जल्दी सनराइज अपार्टमेंट में पहुंचना चाहती थी। जिससे की वो बारिश में भीग ना जाए, क्योकिं सुजाता पिछले हफ्ते बारिश में भीगने की वजह से बीमार हो गयी थी। वो भागते भागते अपार्टमेंट तक पहुंच तो गयी, लेकिन बिच में बारिश होने लगी, और सुजाता ना चाहते हुए भी भीग गयी। जिसकी वजह से वह परेशां हो गयी वह सोचने लगी की इस बार अगर वह बीमार हुई तो भरी मुसीबत आ जाएगी।

सुजाता ने अपार्टमेंट पहुंचने पर दरवाजे की घंटी बजायी। कुछ देर तक दरवाजा खोलने के लिए कोई नहीं आया, सुजाता ने फिर से दरवाजे की घंटी बजायी, एक औरत ने दरवाजा खोला, उस औरत ने सुजाता को घूरते हुए पूछा क्या है? किस से मिलना है। सुजाता ने कहा जी में नेहा वाशिंग पाउडर कंपनी से आयी हूँ, और हमारी कंपनी अभी अपना प्रचार कर रही है, जिसकी वजह से यह वाशिंग पाउडर बहुत ही कम दामों में बेच रही है। इसकी कीमत सिर्फ 25 रूपये में आधा किलो है, हमारा वाशिंग पाउडर आपके महंगे से महंगे वाशिंग पाउडर से अच्छी सफाई करता है।

इतना कहकर सुजाता ने कहा की अगर आपके पास कोई गन्दा कपड़ा है, तो ले आइये में आपको अभी कपड़ा साफ़ करके डेमो दिखा देती हूँ। इस पर उस औरत ने मुँह बनाते हुए कहा, की मुझे नहीं चाहिए, यह तुम्हारा घटिया वाशिंग पाउडर और ना ही इसका डेमो चाहिए। इतना सुनकर सुजाता ने कहा मैडम आप एक बार डेमो तो देख लीजिये अगर आपको यह वाशिंग पाउडर पसंद नहीं आया तो आप मत लेना डेमो का कोई पैसा नहीं है।

सुजाता की बात सुनकर वह औरत बोली अरे !!! तुम कम सुनती हो क्या, नहीं चाहिए मतलब नहीं चाहिए। इतना कहकर उस औरत ने धाड़ाम से अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया। सुजाता के चेहरे पर एक निराशा सी छाई हुई थी जो की उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी। लेकिन उसने प्रयास करना जारी रखा। वह अपार्टमेंट के अन्य घरो में भी गयी, लेकिन इस अपार्टमेंट में सिर्फ एक ही औरत ने उसका वाशिंग पाउडर ख़रीदा बाकि लोगो ने उसको भगा दिया।

अब रात होने वाली थी, वह अपने घर वापिस लोट रही थी। सुजाता के दिमाग में एक ही बात बार बात घूम रही थी। जो उसके मैनेजर ने उसको कहा था, सुजाता के मैनेजर ने कहा था – की महीने का अंत चल रहा है, और तुम्हे 20 वाशिंग पाउडर बेचने का टारगेट दिया गया है, और तुमने अभी तक सिर्फ 3 ही पैकेट बेचे है। यह सुनकर सुजाता है, ने कहा की सर में वाशिंग पाउडर बेचने की पूरी कोशिश करती हूँ, लेकिन हमारी कंपनी नई होने की वजह से में लोगो को कन्वेन्स नहीं कर पाती है।

यह सुनकर सुजाता का मैनेजर कहता है, देखो हम किसी को भी फ्री की सैलरी नहीं देते है, अगर तुमने टारगेट पूरा नहीं किया तो हम तुम्हे नौकरी से निकल देंगे। यह सुनकर सुजाता ने कहा, सर ऐसा मत कहिये, क्योकिं इसी नौकरी के भरोसे मेरा घर चल रहा है। इस बात को सुनकर मैनेजर कहता है, यह सब में नहीं जानता अगर तुमने कल तक 20 वाशिंग पाउडर के पैकेट नहीं बेचे तो तुम्हे कल के बाद नौकरी पर आने की कोई जरुरत नहीं है।

लेकिन सुजाता टारगेट पूरा नहीं कर पायी, वह बहुत परेशान थी। वह मन ही मन सोच रही थी, की कल वह मैनेजर मुझे नौकरी से निकल देगा, फिर में कैसे गुड़िया और सुनीता का ध्यान रखूंगी। उसने भगवान् से कहाँ भगवान् मेरी मदद कीजिये। सुजाता के पति की कपड़े की एक छोटी सी दुकान थी, जो की बहुत अच्छी चलती थी। क्योकिं उसका पति ग्राहकों से बहुत प्यार से बात करता था।

अगर एक बार ग्राहक उसकी दुकान में आ जाते थे, तो कुछ भी ख़रीदे बिना नहीं जाते थे, चाहे कोई छोटी ही चीज क्यों ना ख़रीदे। सुजाता के पति महेश का बहुत ही अच्छा हस्ता खेलता परिवार था, लेकिन एक दिन अचानक महेश की दुकान में किसी शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी। महेश भी उस समय दुकान के अंदर ही था, उसने बहार निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन उस आग में कपड़ो के साथ वो भी झुलस गया था, जिसकी वजह से वह इस दुनिया में नहीं रहा था।

महेश के चले जाने के बाद दोनों बच्चो की जिम्मेदारी सुजाता के ऊपर आ गयी थी। पिछले आठ महीनो से सुजाता सेल्स की नौकरी कर रही थी, कभी टारगेट पूरा हो जाता था, तो कभी नहीं होता था। लेकिन इस बार सुजाता को टारगेट पूरा ना हो पाने की वजह से नौकरी से निकल दिया गया था। पिछले कई दिनों से वह एक नयी नौकरी की तालाश में थी, लेकिन उसे कोई भी काम नहीं मिल रहा था।

घर का किराया और बच्चो की फीस भी देनी थी, घर का राशन भी ख़त्म होने वाला था। आज जब सुजाता शाम को घर लोटी तो वह बहुत उदास थी। तभी उसकी बेटी ने कहा माँ क्यों उदास हो, चलो हमारे साथ खेलो ना। सुजाता ने कहा कुछ नहीं हुआ है, सब कुछ ठीक है। अब वह अपने मासूम बच्चो को कैसे बताती की वह क्यों उदास है। लेकिन बच्चो के जिद्द करने की वजह से सुजाता अपने बच्चो के साथ बॉल खेलने के लिए चली गयी।

बॉल खेलते खेलते बच्चो नो बॉल को इतनी तेज मारा की वह लुड़कते हुए झाड़ियों में चली गयी। उसकी बेटी ने कहा माँ बॉल झाड़ियों में चली गयी है, में लेकर आती है। आप गुड़िया के पास रहो में झाड़ियों से बॉल लेकर आती हूँ। सुनीता बॉल लेने के लिए झाड़ियों के पीछे चली गयी है, लेकिन तभी उसकी जोर जोर से आवाज आने लगी, माँ बचाओ, बचाओ। जैसे ही सुजाता ने सुनीता की आवाज सुनी, सुजाता और गुड़िया सुनीता की तरफ भागे।

जैसे ही सुजाता ने झाड़ियों के पीछे देखा, उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी। झाड़ियों के पीछे एक गहरा सा कुआँ था, जिसमे सुनीता गिर गयी थी। सुनिया निचे से जोर जोर से बोल रही थी, माँ बचाओ में डुब रही हूँ। अचानक सुनीता कुँए में से गायब हो गयी, गुड़िया भी उसी कुँए में देख रही थी, अचानक गुड़िया का पैर फिसला और वह भी कुँए में गिर गई। गुड़िया भी कुँए से अपनी माँ को आवाज लगा रही थी, माँ बचाओं। यह सुनकर सुजाता के हाथ पाँव फूल गए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसलिए सुजाता भी कुँए में कूद गयी।

कुँए में कूदने के बाद सुजाता अपनी बेटियों को आवाज लगाने लगी, तभी उसका पैर पकड़ कर किसी ने उसे कुँए के अंदर खींचा। जहाँ पर वह एक दूसरी दुनिया में थी। वहां पर सभी कुछ सोने का था, सोने के जेवर, सोने की ईंट, और सोने के बिस्किट। तभी उसने देखा उसकी दोनों बेटियां भी सही सलामत वही पर बैठी थी।

जैसे ही दोनों बच्चो ने अपनी माँ को देखा वह अपने माँ के पास दौड़ी चली आयी। सुजाता ने कहाँ तुम दोनों ठीक हो मेरी बच्चियों, भगवान् का लाख लाख शुक्र है, की तुम दोनों ठीक हो। सुनीता और गुड़िया ने कहाँ हां मन हम दोनों बिलकुल ठीक है। उन्होंने अपनी माँ से पूछा, माँ यह कौन सो जगह है, यहाँ पर तो कोई भी इंसान नहीं नजर आ रहा है। और यह चारो और पीली पीली चीजे क्या है।

तभी वहां पर एक व्यक्ति प्रकट हुआ, जिसका आधा शरीर इंसान का था, और आधा शरीर पत्थर का, उसने कहाँ यह पीली चीजे सोना है सोना। यह सुनकर सुजाता चौंक गयी, बोली इतना सारा सोना, यहाँ कहाँ से आया और यह सोना किसका है। और यह कौन सी जगह है। यह सुनकर उस व्यक्ति ने, सुजाता को बताया की यह पाताल लोक है। और मेरा नाम अंगद सेन है, में पाताल लोक का निवासी हूँ।

मैंने एक बार लालच में आकर पाताल लोक के मंदिर से सोने की चोरी कर ली थी। कुछ दिन बाद यह बात वहां के पुजारी को पता चल गयी थी और उसने मुझे श्राप दे दिया, की वह पत्थर का बन जाएँ। जब पुजारी ने अंगद सेन को श्राप दिया तो वह पुजारी के पेरो में गिर गया और क्षमा मांगने लगा, बोलै मुझे माफ़ कर दो मुझे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। पुजारी ने कहा यह भूल नहीं पाप है, तुमने देवी के मंदिर से चोरी की है। अंगद सेन बोला मुझे इतनी बड़ी सजा मत दीजिये।

यह बात सुनकर पुजारी को दया आ गयी, पुजारी ने कहा में अपना श्राप तो वापिस नहीं ले सकता है। लेकिन तुम्हारा एक साल में एक बार पूर्णिमा के दिन आधा शरीर पहले की तरह आ जाएगा। और वह समय होगा, जब तुम किसी की मदद करोगे। तुम जैसे जैसे किसी की मदद करोगे तुम्हारा पाप कम होता जायेगा। और एक दिन तुम्हारा पूरा पाप खत्म हो जाएगा, और तुम पूरी तरह से अपने पूर्ण रूप में आ जाओगे।

आज पूर्णमासी थी, और अंगद सेन अपने पूर्ण रूप को पाने के लिए सुजाता की मदद करना चाहता था। अंगद सेन ने कहा मुझे तुम्हारी सारी परेशानी के बारे में पता है, इसलिए में तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। अंगद सेन ने सुजाता को 100 सोने की मोहरे दी और कहा, इससे तुम अपनी नई जिंदगी शुरू करो। इतना कहकर अंगद सेन फिर से पत्थर का बन गया।

कुछ देर बाद सुजाता अपनी दोनों बेटियों के साथ कुँए से बाहर थी, और वह कुआँ भी अब वहां से गायब हो गया। सुजाता ने सोने की सभी मोहरो को बेचा और अपनी एक कपड़े की दुकान खोली। थोड़े संघर्ष के बाद सुजाता की दुकान अच्छी चलने लगी। सुजाता आज अपना जीवन और अपनी दोनों बेटियों की पढ़ाई लिखे का सारा खर्चा उसी दुकान की कमाई से चलाती है।

Moral of The Story

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की हमें कठिन से कठिन समय में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। भगवान् हमेशा हमारे साथ है, बस आपको अपनी ईमानदारी से मेहनत करते रहना चाहिए। किसी ना किसी रूप में भगवान आपकी सहायता जरूर करता है।

Note – यह लेख Short Moral Stories in Hindi के बारे में आधारित था। जिसमे आपको हिंदी नैतिक कहानियां दी गयी है। मुझे उम्मीद है, की आपको यह सभी कहानियां बहुत पसंद आयी होगी। और आपको इनमे से बहुत सी कहानियां पढ़कर अपने बचपन की याद भी जरूर आयी होगी। इस लेख में Top 10 Moral Stories in Hindi को शामिल किया गया है। हालाकिं धीरे धीरे इस लेख में और भी कई महत्वपूर्ण कहानियों को जोड़ा जाएगा। अगर आपको इस लेख में अपनी कोई कहानी लिखवानी है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख हिंदी कहानियां पसंद आया तो कृपया इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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