लोकतंत्र किसे कहते है? लोकतंत्र के प्रकार, परिभाषा और विशेषताएं

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Loktantra Kya Hai

लोकतंत्र क्या है, लोकतंत्र किसे कहते है? यह एक बहुत अधिक पूछे जाने वाला सवाल है। आज भी बहुत से लोगो को लोकतंत्र के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। हालाकिं लोकतंत्र के बारे में बहुत से लोगो ने सुना भी होगा और इस शब्द का उपयोग भी किया होगा।

लोकतंत्र को अंग्रेजी भाषा में Democracy कहा जाता है, Democracy शब्द को यूनानी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, लोग और शासन। अगर हम लोकतंत्र शब्द के शाब्दिक अर्थ की बात करें, तो इसका अर्थ होता है, जनता द्वारा जनता के लिए चुना गया शासन।

जहाँ पर जनता ही अपनी इच्छा से किसी भी दल को वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुनती है। हालाकिं इस शब्द का अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अर्थ है। आज हम इस लेख में लोकतंत्र किसे कहते है, लोकतंत्र क्यों जरुरी है, और इसके प्रकार के बारे में जानेगे। आइये सबसे पहले जानते है, Loktantra Kise Kahate Hain :

लोकतंत्र किसे कहते है?

लोकतंत्र जिसे प्रजातंत्र भी कहते है, यह एक ऐसी प्रणाली होती है। जिसके अंतर्गत जनता अपनी इक्छा से दल में आये हुए किसी भी उम्मीदवार को वोट डालकर उसे अपना प्रतिनिधि चुनती है, उसे विधायिका का सदस्य बनाती है। मुख्य रूप से लोकतंत्र शब्द का उपयोग राजनीती के लिए किया जाता है।

लेकिन कई सिद्धांत ऐसे भी है, जहाँ पर इसका उपयोग संगठनों के लिए भी किया जाता है। अब्राहम लिंकन ही जो संयुक्त राज्य अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति थे, इनके अनुसार लोकतंत्र के बारे में ऐसा कहता है, लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा चुना गया शासन है।

जिन देशो में लोकतंत्र व्यवस्था होती है, वहां की जनता अपनी इक्छा से विधायिका का चुनाव कर सकती है। लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमे सभी व्यक्तियों को समान अधिकार होता है। इसके अंतर्गत राजनीतिक और सामाजिक न्याय के साथ-साथ आर्थिक न्याय की व्यवस्था भी शामिल है।

जिसमे देश के सभी शासन प्रणाली लोगो को सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। यह लेख विकिपीडिया से लिया गया है। मुझे उम्मीद है, की आपको आसानी से समझ में आ गया होगा, लोकतंत्र किसे कहते है।

लोकतन्त्र के प्रकार

लोकतंत्र को लोकतंत्र की परिभषा के अनुसार “जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है” इन शब्दों से संदर्भित किया जाता है। लेकिन अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग धारणाओं की वजह से इसकी अवधारणा कुछ जटिल हो गई है। जिसकी वजह से लोकतंत्र के दो प्रकार है। आइये जानते है, लोकतंत्र के प्रकार के बारे में –

1. प्रतिनिधि लोकतन्त्र

प्रतिनिधि लोकतन्त्र के अंतर्गत जनता विधायिकों/विधायिकों को अपने मत के अनुसार सीधी चुनती है। एक प्रतिनिधि किसी जिले या संसद क्षेत्र से चुने जाते है। जो की जनता के लिए कार्य करते है। जो की संविधान द्वारा निर्धारित अवधि तक जनता के आधीन होता है। उदहारण के लिए भारत।

2. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र

प्रत्यक्ष लोकतन्त्र अंतर्गत किसी फैसले पर सभी नागरिक अपना महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों पर मतदान करते है। इसमें किसी भी तरह का कोई प्रतिनिधि नहीं होता है। आमतौर पर यह उन देशो में लागू होता है, जहाँ की जनसँख्या कम होती है। उदहारण के लिए स्विट्जरलैंड एक प्रत्यक्ष लोकतन्त्र वाला देश है।

लोकतंत्र की सीमाएं क्या है?

जैसा की आपको ऊपर के लेख में बताया गया है, लोकतंत्र या प्रजातंत्र एक शासन प्रणाली है। इसके अंतर्गत प्रतिनिधि प्रजा के द्वारा ही चुना जाता है। जनता जब चाहे सरकार का तख्ता पलट सकती है।

जब भी कोई योजना सफल या असफल होती है, तो सरकार को इसके लिए जनता को जबाब देना होता है। लोकतांत्रिक सरकार में कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकता है।

इसके कुछ सिद्धांत होते है। जिसके बारे में आपको निचे के लिए में बताया गया है –

  • लोकतंत्र का बहुलवादी सिद्धांत : बहुलवादी सिद्धांत सत्ता को एक छोटे समाज में छोटे से समूह तक सिमित करने के बदले उसे प्रसारित करता है।
  • लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धांत : मार्क्सवादी सिद्धांत के अंतर्गत कारखाने, भूमि और अन्य कई ऐसी चीज का स्वामित्व जनता के आधीन होता है। राज्य सारी प्रोडक्टिव कैपिटल एसेट्स को अपने अन्तर्गत कर लेता है। इससे उतपादन और में वर्दी होती है। और नागरिको को आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त होते है।
  • लोकतंत्र का पुरातन उदारवादी सिद्धांत : इसके अंतर्गत जनता को अधिकार, समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता जैसी मुख्य अवधारणा का प्रमुख स्थान रहा है।
  • लोकतंत्र का सहभागिता सिद्धांत : इस लोकतंत्र सिद्धांत के अंतर्गत आम जनता को भी राजनितिक कार्यों में हिस्सा दिया जाता है। इसके लिए मतदान करना चुनाव अभियान, और राजनितिक दलों की सदस्य्ता आदि शामिल है।

लोकतंत्र क्यों जरूरी है?

हमें लोकतंत्र किसे कहते है? इसके बारे में तो पता चल चुका है। लेकिन लोकतंत्र क्यों जरुरी है? यह एक संदेह भरा प्रश्न है। आज के समय में दुनिया के सबसे ज्यादा देशों ने तानाशाही को छोड़कर स्वतंत्र लोकतंत्र की व्यवस्था शुरू क्या है। आइये जानते है, लोकतंत्र क्यों आवश्यक है –

  • लोकतंत्र में जनता के पास यह अधिकार होता है, की वह अपने अनुसार किसी भी प्रतिनिधि को चुन सकती है। अगर जनता सरकार के प्रदर्शन से खुश नहीं है, तो जनता सत्ता से प्रतिनिधि को हटा सकती है।
  • लोकतंत्र में अन्य शासन प्रणालियों की अपेक्षा निर्णय लेना अधिक बेहतर होता है।
  • लोकतंत्र शासन प्रणाली में सत्ता को बदलना आसान होता है। यहाँ पर सत्ता बदलने के लिए किसी भी तरह के दंगे और हिंसा का उपयोग नहीं किया किया जाता है। बल्कि उचित कानून व्यवस्था की सहायता से, सभी अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सत्ता को परिवर्तित किया जा सकता है।
  • लोकतंत्र में सबसे पहली प्राथमिकता कानून और व्यवस्था को दी जाती है। सरकार की सभी स्वकृतियां सविंधान पर आधारित होती है।
  • लोकतंत्र शासन प्रणाली में समानता और स्वतंत्र का विचार किया गया है। इसे इसी लिए लागू किया गया था, जिससे की सभी को एक जैसा अधिकार मिल सके। लोकतंत्र की कानून और व्यवस्था के अंतर्गत सभी नागरिको को समान अधिकार मिलता है। चाहे वह आमिर, गरीब, शिक्षित, या अनपढ़ ही क्यों ना हो।

लोकतंत्र की विशेषताएं लिखिए

लोकतंत्र के प्रकार और लोकतंत्र क्यों जरुरी है। यह जानने के बाद अब हम जानेगे, लोकतंत्र की विषेशताओं के बारे में। कई छात्रों को स्कूल में लोकतंत्र की विशेषताएं लिखने के बारे में कहा जाता है। यहाँ पर हम लोकतंत्र की दो, तीन, चार, और पांच नहीं बल्कि सभी प्रमुख विशेषताएं जानेगे। आइये जानते है, लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएं क्या है :

1. एक संविधान की उपस्थिति

सभी लोकतान्त्रिक देशो में मुख्य रूप से लिखित या मौखिक संविधान होते है। संविधान सिर्फ कानूनों या विनियमों का मूल समूह है। जो की राज्य और समाज को नियंत्रित करता है। इसके अलावा संविधान द्वारा ही सरकार के विधायिका, न्यानिक शाखाओं, और कार्यपालिका आदि का निर्माण होता है। सरकार के सभी अधिकारों और जनता के दायित्वों का उल्लेख भी संविधान में किया गया है।

2. कानून का शासन

लोकतान्त्रिक देशो में कानून का शासन होता है। जिसे अंतर्गत सभी तरह के लोगो को समानता का अधिकार मिलता है। जो की क़ानूनी शदन का एक ऐसा रूप सुनाचित सुनिश्चित करता है, जिसमे कोई भी अपनी मनमानी नहीं कर सकता है। इसी के अंतर्गत सत्ता के मनमाने कार्यो पर भी रोक लग सकती है। कानून के शासन का कोई भी उल्लंघन नहीं कर सकता है।

3. राजनीति में भागीदारी

लोकतंत्र में राजनीती प्रमुख विशेषताओं में से एक है। सभी लोग राजनीति में हिस्सा लेते है। क्योकिं राजनीति में भागीदारी नागरिको को सही प्रतिनिधि चुनने का अवसर देती है।

4. आवधिक चुनाव

लोकतंत्र देशो में जनता पूर्ण रूप से प्रभारी होती है। क़ानूनी व्यवस्था बनाये रखने और राज्य की शक्ति किसी एक हाथ में ना जाये, इसके लिए निश्चित समय पर चुनाव किये जाते है। चुनाव की व्यवस्था लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

क्योकिं किसी भी देश को उस समय तक लोकतंत्रक नहीं कहा जा सकता है, जब तक उसका संचालन किसी एक हाथ में है। लोकतंत्र देशो में नागरिक अपने नेताओं को अपने मतों के अनुसार चुनते है।

5. स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से चुनाव की व्यवस्था

लोकतान्त्रिक देशो में सभी नागरिको को स्वतंत्र रूप से चुनाव देने का अधिकार दिया जाता है। जो की पूरी तरह से जनता के आधीन होता है, इसमें किसी भी तरह का कोई पक्ष नहीं होता है, यह निष्पक्ष होता है। प्रतियेक मत का प्रतिनिधि चुनते समय समान महत्त्व होता है।

Note : यह लेख लोकतंत्र क्या है? लोकतंत्र किसे कहते है और इसके प्रकार के बारें में था। जिसमे आपको इससे जुड़ी बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया गया है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने सभी दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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