दीपावली पर निबंध | Essay on Diwali in Hindi

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Essay on Diwali in Hindi

दीपावली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) : दीपावली हिन्दुओं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार जो की पुरे धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छे की जीत का प्रतिक है। दीपावली आने वाली है, तो सभी स्कूलों में इस त्यौहार से परिचित कराने के लिए, शिक्षक सभी छात्रों से दीपावली पर निबंध लिखवाते है।

जिसमे class 1, Class 3, Class 4, Class 5, 6, 7, और 8 के छात्र मुख्य रूप से शामिल होते है। छोटी कक्षाओं में दिवाली पर निबंध हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में लिखवाते है। जो छात्र दिवाली पर निबंध लिखना चाहते है, उनके लिए यह लेख बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में आपको दिवाली पर एक शानदार निबंध मिलेगा।

जिसमे आपको दीवापली के बारे में सभी जानकारी मिल जायेगी। शुभ दीपावली निबंध (Diwali Festival Essay) के इस लेख में हम सभी छात्रों को दिवाली के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने का एक छोटा सा प्रयास कर रहे है। जिसमे हम सभी छात्रों को दिवाली के त्यौहार के बारे में जानकारी देने वाले है। आइये दीपाली पर निबंध लिखते है –

दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

प्रस्तावना (Introduction)

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ पर सभी त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाये जाते है। दिवाली भी एक बहुत ही धूम धाम से मनाये जाने वाला त्यौहार है। यह हिन्दुओ का मुख्य त्यौहार है। दिवाली को मुख्यतौर पर सुख समृद्धि का त्यौहार माना जाता है। दिवाली के दिन अमावस्य की रात होती है, लेकिन इस दिन दीपों की रौशनी से पूरा भारत जगमगाता है।

दिवाली का त्यौहार बुराई पर सत्य की जीत का प्रतिक है, इसका सिर्फ धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, बल्कि दिवाली का त्यौहार ऐतिहासिक, पौराणिक और सामाजिक तोर पर भी महत्त्व रखता है। दिवाली के त्यौहार को सभी लोग बहुत ही प्यार से मनाते है, सभी एक दूसरे के घर दिवाली के उपहार भेजते है।

यहाँ तक की दिवाली के त्यौहार पर सभी काम करने वाले कर्मचारियों को भी उपहार में कुछ ना कुछ दिया जाता है। साल 2022 में दिवाली 24 अक्टूबर सोमवार के दिन मनाई जायेगी। इस दिन सभी घरो में माता लक्ष्य जी की पूजा की जाती है। जो भारत के निवासी अन्य देशो में रहते है, वह भी दिवाली के त्यौहार को बहुत धूम धाम और खुशियों से मनाते है।

दीपावली का अर्थ

दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर हुई है, “दीप” जिसका अर्थ होता है “दिया” और आवली जिसका अर्थ होता है “लाइन” या “श्रृंखला” कुछ लोग इसे दीपावली कहते है, तो कुछ लोग इसे दिपावली कहते है। इन दोनों के अलावा इसे दिवाली भी कहा जाता है। शब्द की शुद्ध उत्पत्ति उसके अर्थ पर निर्भर करती है। इसका शुद्ध शब्द “दीपावली” है, जो की ‘दीप’ (दीपक) और ‘आवली'(लाइन) से मिलकर बना है। जिसका अर्थ दीपों की लाइन या पंक्ति होता है।

दीपावली त्यौहार की तैयारियां

दिपावली के त्यौहार की तैयारियां सभी जो कई हफ्ते पहले शुरू कर देते है। यह बहुत त्यौहार बहुत ही शुभ होता है। जिसकी वजह से इसे शुभ दिपावली भी कहा जाता है। सभी लोग अपने घरो की सफाई करते है। ज्यादातर लोग अपने घरो में दीपाली के त्यौहार के समय पर ही रंग भी करवाते है।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है, जो घर साफ़ सुथरे होते है, वहां पर लक्ष्मी जी विराजमान होती है और अपने आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि भर देती है। जैसे ही दिपावली नजदीक आती है, सभी लोग अपने घरो में तरह तरह की रंग बिरंगी लाइट लगाना शुरू कर देते है। सभी दुकानदार भी अपनी अपनी दुकानों को सजाने लगते है। बाजारों में बहुत भीड़ होती है, सभी लोग मिठाइयां, खील-बताशे का प्रसाद, और नये कपड़े खरीदते है।

दीपावली में पटाखों का महत्त्व

दीपावली अमावस्य की रात को आती है, इस दिन अंदर होता है। लेकिन इस दिन पूरा भारत वर्ष दीपावली के की रौशनी से जगमगाता है। सभी लोग अपने अपने घरो में तरह तरह की लाइट और मिटटी के बने दीपक जलाते है। बच्चे रंग बिरंगी फुलझड़ियां जलाते है। और कई तरह के आसमान में राकेट भी छोड़ते है। जिसमे जमीन पर घूमने वाली चकरी और अनार भी होते है। हालाकिं आज के समय में सरकार ग्रीन पटाखे जलाने को कहती है, क्योकिं इनसे प्रदुषण कम होता है।

दीपावली का इतिहास

भारत में दीपावली का प्राचीन इतिहास है। प्राचीन काल से ही विक्रम संवत के कार्तिक माह में दीपावली को गर्मियों की फसल काटने के बाद एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दीपावली का उल्लेख पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी देखने के लिए मिलता है।

इन पुराणों के बारे में ऐसा माना जाता है, की यह पुराण पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में कुछ केंद्रीय पाठ को विस्तृत करके लिखे गए थे। स्कन्द पुराण में दीये को सूर्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए माना गया है, सूरज जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करता है, हिन्दू धर्म में सूर्य को भगवान् के रूप में पूजा जाता है, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह कार्तिक महीने में अपनी स्तिथि को बदलता है।

दीपावली का इतिहास रामायण से जुड़ा हुआ माना जाता है, रामायण की कथा के अनुसार दीपावली के बारे में ऐसा कहा जाता है, की जब श्री राम चंद्र जी माता सीता जी को रावण की कैद से छुड़ाकर, माता सीता की अग्नि परीक्षा लेकर, जब वह 14 वर्ष का वनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लोटे थे, जिसके उपलक्ष्य में अयोधा में रहने वाले वासियों ने राम के स्वागत में दीप जलाये थे। उसी समय से यह दीपावली का त्यौहार मनाया जा रहा है।

दीपावली का महत्व

Essay on Diwali in Hindi

दीपावली का त्यौहार भारत में रहने वाले सभी वर्ग के लोगो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। दीपावली हिन्दुओ का एक बड़ा त्यौहार होता है। यह अपने अंदर कई तरह की आस्था के साथ कुछ महत्त्व को दर्शाता है। आइये जानते है, दीपावली का महत्त्व –

आध्यात्मिक महत्व

दीपावली का त्यौहार कई धार्मिक और ऐतिहासिक, और पौराणिक कथाओं से मिलकर बना है। दीपावली का त्यौहार बुराई पर अच्छे की जीत के उपलक्ष्य में बनाया जाता है। जब भी दीपावली का त्यौहार आता है, सभी लोग खुशियां मनाते है।

दीपावली का त्यौहार हिन्दू के साथ साथ, सिख, जैन और कई धर्मो के लोग बहुत धूम – धाम से मनाते है। इन सभी धर्मो में दीपावली के दिन कुछ ऐसी घटनाये हुई, जैसे की अज्ञान पर ज्ञान, निराशा पर आशा, अन्धकार पर प्रकाश, बुराई पर जीत। दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, यह आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ त्यौहार है।

हिंदू धर्म में दीपावली का महत्त्व

दिवाली का त्यौहार हिन्दू धर्म की कई मान्यताओं और किवदंतियों पर निर्भार है। जानते है, हिन्दू धर्म से जुड़ी दीपावली के बारे में कुछ मान्यताएं –

हिन्दुओं के प्राचीन ग्रन्थ रामायण के अनुसार जब श्री राम चंद्र जी 14 वर्ष का वनवास करने के बाद, रावण से सीता जी को छूटा कर लाये थे। इसके उपलक्ष्य में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। प्राचीन हिन्दू काव्य महाभारत के अनुसार ऐसा माना जाता है, की दीपावली को 12 वर्ष के पांडवो के वनवास के बाद और 1 वर्ष के अज्ञात वास के बाद जब पांडव घर वापस आये थे, तो इसके प्रतिक के रूप में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

कुछ किवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है, की देवताओं और राक्षसों द्वारा दूध के लौकिक सागर से जन्मी माँ लक्ष्य के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। दीपावली की रात वह रात होती है, जब माँ लक्ष्य, विष्णु जी को अपने पति के रूप में चुनती है। दीपावली के त्यौहार में माँ लक्ष्मी के साथ साथ भगवान् गणेश, माता सरस्वती और धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है।

कुछ मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है, की भगवान् विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। जो लोग दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते है, उनसे माँ लक्ष्मी बहुत प्रसन्न रहती हैं, और आने वाले पुरे वर्ष में शारीरक दुखो से मुक्ति मिलती है, और घर में खुशियां बनी रहती है।

उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में हिन्दू धर्म के लोग माता लक्ष्मी की जगह माँ काली की पूजा करते है। मधुरा और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रो में दीपावली के त्यौहार को भगवान् श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ मानते है। गोवर्धन पूजा में श्री कृष्ण जी के लिए 56 या 108 विभिन्न व्यंजनों का भोग बनाकर लगाया जाता है। भारत के कुछ पश्चिम और उत्तरी क्षेत्रो में दीपावली के त्यौहार को नई हिन्दू नव वर्ष की शुरआत का प्रतिक माना जाता है।

जैन धर्म में दीपावली का महत्त्व

जैन धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है, की जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष प्राप्त हुआ था। इस दिन महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य, गौतम गणधर को भी केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जैन समाज में दीपावली को महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या को महावीर को मोक्ष प्राप्त हुआ था। जैन समझ में अन्य सभी सम्रदायों से अलग तरह से दीपावली का पूजन किया जाता है।

सिख धर्म में दीपावली का महत्त्व

सिक्खों के लिए भी दीपावली एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। क्योकिं दीपावली के दिन अमृतसर में स्तिथ स्वर्ण मंदिर का सन 1577 में शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को सन 1619 में जेल से रखा किया गया था।

सामाजिक महत्व

दीपावली के त्यौहार का सामाजिक महत्त्व भी बहुत महत्वपूर्ण है। क्योकिं दीपावली को सभी धर्मो के लोग बहुत अच्छी तरह से मिल जुलकर मनाते है। सभी लोग एक दूसरे को मिठाइयां देते है। सभी लोग अपने देवी देवताओं और भगवान् की पूजा करते है। आज के समय में सभी लोग अपनी जिंदगी में बहुत ज्यादा व्यस्त है,

ऐसे में जब दीपावली का त्यौहार आता है, तो सभी लोग एक दूसरे के घर दीपावली की मिठाइयां देने के लिए जाते है, उन्हें शुभ दीपावली की शुभकामनाएं देते है, जिससे आपस में स्नेह बढ़ता है। इसलिए यह त्यौहार सामाजिक तौर पर भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।

आर्थिक महत्व

दीपावली के दिन सभी भारतवासी बहुत सा सामन खरीदते है। कुछ लोग सोने-चाँदी के आभूषण खरीदते है, तो कुछ लोग अपने लिए नये कपड़े और मिठाइयां खरीदते है। हिन्दू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है, की दीपावली के दिन खरदारी करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। दीपावली त्यौहार के समय बाजार में बहुत भीड़ होती है, सभी दुकानदारों की अधिक खारदारी होती है।

दीपावली के त्यौहार का आर्थिक महत्त्व किसानो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। भारत में गर्मियों की फसल दीपावली के त्यौहार से पहले ही पक जाती है। जिसे खेत से काटकर किसान बाजार में बेचकर आमदनी करता है। जिसके कारण इस त्यौहार का आर्थिक महत्त्व बढ़ जाता है।

ऐतिहासिक महत्व

दीपावली का ऐतिहासिक महत्त्व बहुत सी घटनाओ पर आधारित है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन भगवान् राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके आयोध्या वापस आये थे। इसके अलावा इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्य में जन्म भी हुआ था।

इस दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था। इसी दिन महावीर स्वामी जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था। इसके अलावा मुग़ल बादशाह अकबर ने अपने दोलत खाने में एक 40 फिट ऊँचा आकाश दीप जालकार दीपावली का त्यौहार मनाया था।

दीपावली के साथ मनाये जाने वाले त्यौहार

दीपावली का त्यौहार 5 दिनों तक चलता है। जिस समय दीपावली आती है, इस दौरान और भी कई तरह के त्यौहार दीपावली के साथ आते है, जो की इस प्रकार है –

  • दीपावली से एक दिन पहले धनतेरस का त्यौहार आता है, इस दिन सभी लोग कोई धातु की वास्तु खरीदते है, जैसे की सोने चाँदी के आभूषण आदि।
  • दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है, इस दिन भगवान् श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाते है।
  • तीसरा दिन दीपावली का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन सभी घरो में माँ लक्ष्मी और भगवान् गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • चौथे दिन सभी लोग गोवर्धन पूजा मनाते है, इस दिन भगवान् श्री कृष्ण ने इंद्र देव के क्रोध के द्वारा हुई भारी बारिश से सभी लोगो को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक ऊँगली पर उठा लिया था।
  • दीपावली के पांचवां दिन और आखिरी दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है।

दीपावली कैसे मनाई जाती है

दीपावली पर निबंध

दीपावली का मतलब होता है, दीप और प्रकाश। इस त्यौहार को सभी लोग बहुत खुशियों से मनाते है। दीपावली को सभी लोग अपने घरो में दीये जलाते है। इसके अलावा मंदिर में भी दीये जलाये जाते है। दीपावली के दिन बच्चे पटाखे भी जलाते है। लेकिन ज्यादा पटाखे नहीं जलाने चाहिए, क्योकिं इसे प्रदुषण होता है।

कुछ पटाखों की आवाज बहुत तेज होती है, जिससे ध्वनि प्रदुषण भी होता है। दीवापली बनाने के लिए आपको सिर्फ दीये के प्रकाश का उपयोग करना चाहिए। पटाखों का उपयोग ना करें। अगर फिर भी आप पटाखे उपयोग करना चाहते है, तो आपको कम धुएं वाले ग्रीन पटाखों का उपयोग करना चाहिए।

दीपावली में हमेशा मिटटी के बने हुए दियो का उपयोग करना चाहिए। जिससे की छोटे व्यापारियों और मिटटी के दीये बनाने वाले कुम्हारों को भी आर्थिक रूप से फायदा हों। दीपावली को इस तरह से मनाये की किसी को भी किसी तरह की हानि ना हो। यह खुशियों का त्यौहार है, और इसे खुशियों के साथ ही मानना चाहिए।

दीपावली त्यौहार के लाभ और हानियां (Advantages and Disadvantages of Diwali Festival)

दीपावली खुशियों का त्यौहार है। हालाकिं सभी त्यौहार हमारे जीवन में खुशियां लेकर आते है। लेकिन अगर हम कुछ बातों का ख्याल नहीं रखते है, तो त्यौहार में कुछ हानियां भी हो सकती है। आइये जानते है, दीपावली त्यौहार के लाभ और हानियों के बारे में –

दीपावली के लाभ

  • दीपावली के त्यौहार पर सभी लोग प्यार से रहते है, और रिस्तों में मिठास रहती है।
  • दीपावली के त्यौहार पर सभी छोटे बड़े व्यापारियों को फायदा होता है।
  • दीपावली के त्यौहार पर हमें चारो और साफ सफाई देखने के लिए मिलती है।
  • दीपावली के त्यौहार में सभी लोग अपने घरो के आस पास साफ सफाई करते है, जिससे आस पास का वातावरण भी साफ़ हो जाता है।
  • दीपावली के त्यौहार के समय लाइटिंग, मिटटी के सामान और कई तरह की चीजों की बिक्री अधिक होती है, जिससे की सभी की आमदनी बढ़ जाती है।

दीपावली की हानियाँ –

  • दीपावली के त्यौहार पर ज्यादातर चीजे महंगी हो जाती है।
  • दीपावली पर ज्यादा मिठाइयों खाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
  • कुछ लोग दीपावली के त्यौहार पर बहुत ज्यादा फिजूल खर्चा करते है।
  • दीपावली के त्यौहार पर अत्यधिक पटाखों की वजह से प्रदुषण होता है।

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  1. दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है : दीप + अवलिः जिसका अर्थ होता है, दीपको की पक्ति या फिर लाइन में रखे हुए दीये।
  2. दीपावली हर वर्ष भारतीय ऋतू के अनुसार शरद ऋतू में मनाया जाता है।
  3. दीपावली हिन्दू का मुख्य त्यौहार है।
  4. दीपावली के त्यौहार पर सभी लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मिठाइयां भेंट करते है।
  5. दीपावली के त्यौहार पर माँ लक्ष्मी और भगवान् श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।

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  • दीपावली का त्यौहार भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
  • दीपावली का त्यौहार आध्यात्मिक रूप से “अन्धकार पर प्रकाश की विजय” को दर्शाता है।
  • दीपावली का त्यौहार सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म में भी मनाया जाता है।
  • जैन धर्म के लोग दीपावली का त्यौहार महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते है।
  • सिख धर्म के लोग दीपावली का त्यौहार “बन्दी छोड़ दिवस” के रूप में मानते है।
  • दीपावली का त्यौहार भगवान् श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद आयोधा की ख़ुशी में लौटने पर मनाया था।
  • दीपावली के त्यौहार पर सभी हिन्दू धर्म के लोगो के घरो में दीये जलाये जाते है।
  • दीपावली के त्यौहार पर सभी लोग पाने घरो की सफाई करते है।
  • दीपावली के त्यौहार पर माता लक्ष्मी और भगवान् श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • दीपावली के दिन बच्चे ख़ुशी से पटाखे और फुलझड़ियां जलाते है।

Note – यह लेख दीपावली पर निबंध के बारे में था। जिसमे आपको दीपावली से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया गया है। जो लोग दीपावली के त्यौहार पर कुछ स्पीच देना चाहते है, वह भी इस लेख Diwali Speech in Hindi में से कुछ महत्वपूर्ण बातों को पढ़कर अपनी स्पीच को तैयार कर सकते है।

अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। आपको यह लेख दीपावली की जानकारी (Diwali Information in Hindi) के बारे में पसंद आया है, तो इस लेख को अपने सभी दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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