सूरज के अंदर क्या है, और सूरज का जन्म कैसे हुआ?

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सूरज के अंदर क्या है

आज हम जानेगे, सूरज के अंदर क्या है? यह एक ऐसा सवाल है, जो कभी न कभी सभी के मन में आता है। सूरज एक बहुत बड़ा तारा है, जो की पूरी दुनिया को अपने प्रकाश से प्रकाशित करता है। लेकिन क्या आप इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जानते है। जिसमे से सबसे बड़ा सवाल है, सूरज के अंदर क्या है? आज के लेख में हम कुछ महत्वपूर्ण सवालो को कवर करेंगे। आइये सबसे पहले जानते है, सूरज के अंदर क्या है –

सूरज के अंदर क्या है

सूरज एक तारा है, जो की 73.46% हाइड्रोजन और 24.85% हीलियम से बना हुआ है। जब यह दोनों आपस में मिलते है, तो इसी से हमें प्रकाश मिलता है। सूरज धरती की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है। सूरज के कौर में कई तरह की प्रतिक्रियां होती है, जो की हाइड्रोजन की खपत करती है।

सूरज के बारे में जानकारी (Sun Information in Hindi)

सूरज जिसे सूर्य के नाम से भी जाना जाता है। सूरज सौरमंडल के केंद्र में स्तिथ एक तारा है, जसके चारो और पृथ्वी और अन्य Component घूमते है। सूरज हमारे सौरमंडल का एक सबसे बड़ा पिंड है, इसका व्यास करीब 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है। जो की पृथ्वी की अपेक्षा 109 गुना ज्यादा है।

सूरज ऊर्जा का एक विशाल गोला है, जो की हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से भरा हुआ है। सूर्य के अंदर परमाणु का विलय ही उसके केंद्र में ऊर्जा प्रदान करता है। धरती पर सूरज का एक छोटे से हिस्सा का प्रकाश ही पहुंच पाता है। जिसमे से 15% हिस्सा अंतरिक्ष में ही परिवर्तित हो जाता है। जिसमे से 30% पानी को भाप बनाने के काम में आता है।

सूरज की बहुत सारी ऊर्जा को पेड़-पौधे और समुद्र सोख लेते है। सूरज की मजतबुत गुरुत्वाकर्षण शक्ति Different Classes में घूमते हुए भी अन्य ग्रहो और पृथ्वी को अपनी और खींच कर रखती है। सूरज की धरती से दुरी 14,96,00,000 Kilometers या 9,29,60,000 मील है। सूरज की किरणों को धरती तक पहुंचने में 8.3 मिनट का समय लगता है।

सूरज के प्रकाश से एक महत्वपूर्ण जैव रसायनिक अभिक्रिया होती है, जिसे प्रकाश-संश्लेषण कहते है, यह पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव जंतुओं और पेड़ो पौधों का आधार है। सूरज की सतह हाइड्रोजन, हिलियम, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, हिलियम, लोहा, हाइड्रोजन, निकेल, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम, ऑक्सीजन, सिलिकन तत्वों से मिलकर बनी है। जिसमे से सूरज पर सबसे ज्यादा मात्रा में हाइड्रोजन और हीलियम मौजदू है।

सूरज को जब दूरदर्शी यंत्र द्वारा देखा जाता है, तो इसकी सतह पर छोटे बड़े धब्बे दिखाई देते है। इन धब्बो को सौर कलंक के नाम से जाना जाता है। यह सौर कलंक अपनी जगह से हिलते रहते है। इनके अनुसार वैज्ञानिको का ऐसा मानना है, की सूरज पूरब से पश्चिम की और 27 दिनों में अपने अक्ष पर एक चक्कर लगता है।

जिस तरह से पृथ्वी और अन्य सभी ग्रह सूरज के चक्कर लगाते है, उसी तरह से सूरज भी आकाश गंगा के केंद्र के चक्कर लगाता है। सूरज को आकाशगंगा की परिक्रमा करने में 22 से 25 करोड़ वर्ष का समय लगता है, इस अवधि को एक निहारिका वर्ष भी कहते है। परिक्रमा करने की गति 241 किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है।

सूरज का जन्म कैसे हुआ

सूरज का जन्म कैसे हुआ

सूरज का जन्म एक विशाल Atomic Cloud के हिस्से के ढहने से लगभग 4.57 अरब पहले हुआ था। इसका ज्यादातर हिस्सा हाइड्रोजन और हीलियम का बना हुआ है। ऐसा माना जाता है, की इसी से कई और अन्य तारो का भी जन्म हुआ है। सूरज के जन्म से सम्बंधित यह आयु तारकीय विकास के कंप्यूटर मॉडलो के उपयोग और न्यूक्लियोकोस्मोक्रोनोलोजी के द्वारा आकलित की गयी है।

इसके अलावा वैज्ञानिको का ऐसा भी मानना है। जहाँ पर सूरज का जन्म हुआ, उस जगह पर अधिक सुपरनोवा जरूर होंगे, जिनके मेग्नाटिक्स वेव्स की वजह से बादलों में अट्रैक्शन और ग्रेविटीशनल फाॅर्स पैदा हुआ, जिसकी वजह से वह बदल घूमने लगे और एक बड़े बादल का एक बड़ा हिस्सा केंद्र में इकठ्ठा हो गया, बाकि बचा हुआ बादलों का हिस्सा कई लाख किलोमीटर तक उसके ऑर्बिट में चक्कर लगाने लगा।

इसके केंद्र में स्तिथ कई गैसों के कारण पलजमा बनना शुरू हो गया, जिसके बाद न्यूक्लियर फ्योजन का रिएक्शन होना शुरू हो गया। जिसकी वजह से बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा बनने लगी। यह प्रक्रिया कई लाख सालो तक चलती रही। और डिस्क के आस पास घूम रहे सभी बदल आपस में जुड़ने लगे। जो की धीरे धीरे एक परत का रूप लेने लगे। इसी तरह से सूरज का जन्म हुआ।

सूर्य का अंत कब होगा

वैज्ञानिको के अनुसार ऐसा मानना है, की सूरज ने अपनी आधी आयु पूरी कर ली है। लेकिन अभी तक इसमें किसी भी तरह के कोई परिवर्तन देखने के लिए नहीं मिला है। आगे भी यह कई सालो तक ऐसे ही बना रहेगा। कुछ वैज्ञानिक रीसर्च के अनुसार सूर्य की आयु करीब 10 बिलियन वर्ष है। लगभग पिछले 4 अरब साल में सूर्य के अंदर स्तिथ आधा हाइड्रोजन जल चुका है। बचा हुआ हाइड्रोजन अभी भी लगभग 5 अरब सालों तक चलेगा। जब तक सूरज के अंदर हाइड्रोजन है, तब तक यह हमें प्रकाश देता रहेगा।

सूरज रात को कहां जाता है

सूरज रात के समय कही नहीं जाता है, सूर्य सौरमंडल का केंद्र है। सूर्य रात के समय में भी बही होता है, जहाँ दिन के समय होता है। बल्कि पृथिवी सूर्य के चारो और चक्कर लगाती है। जिसकी वजह से 24 घंटे में 12 घंटे सूरज हमें दिखाई देता है, और बाकि समय में यह हमें नहीं दिखाई देता है। जिस समय सूरज हमें नहीं दिखाई देता है, उस समय पृथ्वी सूर्य के पीछे की तरफ होती है, और पृथ्वी पर अँधेरा हो जाता है, जिसे हम रात कहते है।

इस बात को हम एक उदाहरण से समझते है : इसके लिए आप एक ग्लोब ले सकते है, या फिर एक गोल गेंद ले सकते है। गेंद को आप पृथ्वी समाज लीजिये और खुद को सूरज। अब आप गेंद के बिच में किसी भी पेन से एक पॉइंट बना दीजिये। जब आप गेंद को पृथ्वी की तरह घुमात है, तो एक समय ऐसा आता है, जब आपको आपके द्वारा बनाया हुआ पॉइंट नजर नहीं आएगा, इसका मतलब है, की उस समय पृथ्वी पर रात होती है।

जिस समय पृथ्वी का एक सिरा सूरज के पीछे होता है। जैसे की कुछ देशो में दिन होते है, और कुछ देशो में रात होती है। जब पृथ्वी घूमती है, तो जहाँ पर अभी के समय दिन निकला है, वहां पर रात हो जाती है, और जहाँ पर अभी के समय रात है, वहां पर दिन हो जाता है। मुझे उम्मीद है, की आपको यह समझ आ गया होगा की सूरज रात को कहाँ जाता है।

भारत में सबसे पहले सूरज कहां निकलता है

कई लोगो के मन में यह सवाल होता है, की भारत में सबसे पहले सूरज कहाँ निकलता है। आपको बता दें, की भारत में सबसे पहले सूरज अरुणाचल प्रदेश की डोंग वैली की देवांग घाटी में निकलता है। इसके बारे में विस्तार से जाने के लिए आप यह लेख पूरा पढ़ सकते है : भारत में सबसे पहले सूर्य किस राज्य में निकलता है

सूर्य का मार्ग क्या कहलाता है

सूर्य का मार्ग तापपथ या सूर्यपथ कहलाता है। सूरज अपनी खुद की एक परिक्रमा को 27 दिनों की अवधि में पूरा करता है, सूर्य प्रतिदिन सूर्य पथ पर निकलता है।

सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक कितने समय में पहुंचता है

सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर पहुंचने में 8 मिनट 17 सेकंड का समय लगता है। हालाकिं हम सभी जानते है, सबसे तेज गति प्रकाश की होती है। लेकिन इसके बाबजूद भी सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर 8 मिनट 17 सेकंड में पहुंच पाता है। सूरज के प्रकाश की किरणों की गति 300000 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। सूरज की किरण एक वर्ष में जितनी दुरी तय करती है, उसे हम एक प्रकाशवर्ष कहते है। एक प्रकाशवर्ष = 94 खरब 60 अरब 52 करोड़ 84 लाख 5 हजार किलोमीटर होता है।

सूर्य में कितनी पृथ्वी समा सकती है

सूरज हमें पृथ्वी से देखने पर छोटा सा दिखाई देता है। लेकिन आपको बता दें, की सूरज पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। पृथ्वी को सूर्य का ऊर्जा के रूप में सिर्फ 2 अरबवां भाग मिलता है। सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हज़ार किलोमीटर है। जिसके अनुसार सूर्य के अंदर 110 पृथ्वी आसानी से समा सकती है।

सूर्य का तापमान कितना है

सूर्य के केंद्र को कौर कहते है, सूरज के कौर का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस है। हालाकिं सूर्य की सतह जिसे फोटोस्फीयर (Photosphere) के नाम से जाना जाता है, इसका तापमान सिर्फ 5,700 डिग्री सेल्सियस है। वही अगर हम सूर्य के चारो और स्तिथ वायुमंडल जिसे कोरोना कहते है, इसका तापमान सूर्य की सतह से ज्यादा है।

Note – यह लेख सूरज के अंदर क्या है? इसके बारे में था। जिसमे सूरज को किसने बनाया है, सूरज का व्यास कितना है, इसके अलावा सूरज से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया गया है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने सभी दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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