Daisy Flower Information in Hindi | गुलबहार का फूल की जानकारी

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Daisy Flower Information in Hindi

Daisy Flower in Hindi – इस लेख में हम गुलबहार का फूल में से जुड़ी सभी जानकरियों को आपके साथ साझा करेंगे। गुलबहार का फूल की जानकारी के अंदर हम गुलबहार के पौधे को कैसे उगाया जाता है, और इसके क्या फायदे होते है। गुलबहार के पौधे की देखभाल कैसे करें इससे सम्बंधित सभी तरह की जानकारी देंगे।

मुझे पूरी आशा है, की आप अगर की पूरी पोस्ट को पढ़ते है, तो आप इसके बारे सभी जानकारी समझ पाएंगे। गुलबहार का फूल सुन्दर और आकर्षक होता है। इसके फूल के अंदर एक मन्त्रमुगंध कर देने वाली सुगंध होती है। यह बगीचे में लगा हुआ आपके बगीचे की शोभा बढ़ाता है।

 गुलबहार फूल की जानकारी

गुलबहार का फूल का अंग्रेजी नाम डेज़ी फ्लावर (Daisy Flower) है। यह कम्पोजिटाई के डेज़ी परिवार से सम्बन्ध रखता है। इसका पूरा नाम बेलिस पेरेनिस डेसी है, जो की यूरोप में होने वाली एक सामान्य प्रजाति है। यह फूल दुनिया के सभी खूबसूरत फूलो की सूचि में आता है।

इसके पौधे ज्यादातर घरो की सजावट और बगीचे की शोभा बढ़ाने के लिए लगाएं आते है। जब हम किसी ख़ुशी में किसी से मिलने जाते है, तो ऐसे में गुलबहार के फूलो का गुलदस्ता भी उपहार में भी दिया जाता है। इस फूलो को मध्य यूरोप और उत्तर का मूल निवासी माना जाता है। Daisy शब्द का अर्थ मासूमियत और पवित्रता का प्रतीक है।

जिसकी उत्पत्ति Anglo Saxon Word “Daes Eage” शब्दों से मानी जाती है। इन शब्दों का अर्थ “दिन की आंख” “Day Eyes” होता है। माना जाता है, की ऐसा इसलिए कहते है, क्योकिं यह फूल सूरज की पहली किरण के साथ खिलना शुरू हो जाता है।

यूरोप की प्राचीन कथाओं में इस फूल का जिक्र मिलता है, जिसके अनुसार इसका वैज्ञानिक नाम Bellis Perennis पड़ा।गुलबहार का फूल ज्यादातर घास के मैदानों, बग़ीचों, और सड़को के आस पास प्राकृतिक रूप से भी उग जाता है। इस फूल के सुन्दर होने के साथ साथ कई आयुर्वेदिक औषिधीय गुण भी है।

गुलबहार का फूल सफ़ेद और गुलाबी रंगो में सबसे ज्यादा पाया जाता है। यह अपनी सफ़ेद पंखुड़ियों को एक पीले केंद्र के साथ जोड़े रखता है। जब यह पूरी तरह से खिलता है, तो बहुत ही आकर्षक लगता है। इसी कारण यह अपनी और तितलियों और मधुमखियों को आकर्षित करता है। इसके केंद्र को फ्लोरल डिस्क कहते है।

कुछ प्रजातियों में फ्लोरल डिस्क नारंगी, नीला, और बैगनी रंग की भी पायी जाती है। यह फूल दो प्रकार की डिस्क से बना होता है। बना होता है, एक फ्लोरल डिस्क इसके सफ़ेद पंखुड़ियों पर होती है। और दूसरी डिस्क इसके केंद्र में होती है। यह दोनों मिलकर ही इसे एक व्यवस्थित एक फूल बनाती है।

डेज़ी फूल के केंद्र में जो फ्लोरल डिस्क होती है, उसके केंद्र में कई छोटे छोटे फूल होते है, इन्हे फ्लोरेट्स के नाम से जाना जाता है। यही फ्लोरेट्स गुलबहार के फूल की पंखुड़ियों का निर्माण करते है। इस फूल का सबसे ज्यादा परागण मधुमखियां करती है।

गुलबहार का पौधा अलग अलग प्रजातियों के अनुसार 4 से 5 फिट तक की ऊंचाई तक बढ़ जाता है। यह शाकाहारी पोधो की सूचि में आता है। इस पौधे की पत्तियां बारहमासी हरी भरी रहती है। डेज़ी के पौधे का तना चिकना होता है, जिसके ऊपरी हिस्से पर फूल लगता है।

इसके फूल के डंठल की 3 से 4 इंच ऊँचे होते है। इसकी पत्तियों का आकर प्रजाति के अनुसार अलग होता है। पत्तो की सतह चिकनी होती है। जिसके ऊपर हलके रुएँ वाले बाल होते है। गुलबहार के पौधे के डंठल पत्तियों की तुलना में ज्यादा बड़े होते है।

गुलबहार के फूलो को आप शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन दोनों ऋतुएं पसंद होती है। जिन क्षत्रों में सर्दियाँ अधिक होती है। वहां पर इस पौधे को पूर्ण धुप की जरुरत होती है।

गर्मियों में यह हर तरह धुप और छाया दोनों में बहुत अच्छी बढ़वार करता है। डेज़ी के फूल को लगाने का सही समय वसंत के मौसम का होता है। अगर आप इस पौधे को वसंत में लगते है, तो यह गर्मियों के दौरान फूलो से भर जाता है।

Daisy Flower in Hindi

गुलबहार के पौधे की प्रजातियां

गुलबहार की लगभग 4,000 प्रजातियां पायीं जाती है। इसकी प्रतियेक प्रजाति के अनुसार फूल और पौधे का आकर और रंग अलग अलग होता है। ज्यादातर भारत में पाए जाने वाली प्रजातियों में सफ़ेद और गुलाबी गुलबहार के फूल पाए जाते है। यहाँ पर कुछ लोकप्रिय प्रजातियों की सूचि है, जो की इस प्रकार है –

क्रमांक प्रजातियां
1 स्वान नदी डेज़ी
2 पेरिस डेज़ी
3 क्राउन डेज़ी
4 टैटेरियन डेज़ी
5 लेज़ी डेज़ी या प्रेयरी डेज़ी
6 माइकलमास डेज़ी
7 ऑक्स-आई डेज़ी
8 स्पैनिश डेज़ी
9 चित्रित डेज़ी
10 ब्लू डेज़ी
11 शास्ता डेज़ी
12 अफ्रीकी डेज़ी
13 अफ्रीकी डेज़ी

गुलबहार फूल का उपयोग 

1. गुलबहार की पत्तियों और फूलो का उपयोग खाने के लिए भी किया जाता है। ज्यादातर लोग इसके पत्तो और फूलो का सूप बनाकर पीते है। यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इसके अंदर फूलों में समृद्ध मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है।

2. अगर डेज़ी के फूलों की चाय बनाकर पी जाए, तो यह खांसी के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके अलावा इस पौधे का उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है।

3. गुलबहार के फूलों का उपयोग उपहार में देने के लिए भी किया जाता है। अक्सर लोग इसके फूलों का गुलदस्ता भेट करते है। इसके अलावा इन फूलों का इस्तेमाल समारोह में सजावट के लिए भी किया जाता है।

डेज़ी फूल का पौधा घर में कैसे उगाएं

गुलबहार को कैसे उगाये? गुलबहार का फूल जिसे लोग डेज़ी फ्लावर के नाम से जानते है। कई लोग इस फूल को अपने घर में गमले में उगाना चाहते है। लेकिन पूरी जानकारी ना होने की वजह से वह उगा नहीं पाते है। यहाँ पर हम डेज़ी फ्लावर के पौधे को कैसे उगाएं? इससे जुड़ी सभी विधि के बारे में आपको बताएँगे।

जिसमे डेज़ी के पौधे को हम बीजो से कैसे उगाएं और इसको कटिंग से कैसे उगाएं। इसके अलावा हम जानेंगे गुलबहार के पौधे की देखभाल कैसे करें, जिससे की इसके ऊपर बहुत सारे फूल आयें। तो चलिए सबसे पहले हम जानते है, डेज़ी के फूल को बीजो के द्वारा कैसे उगाया जाता है।

गुलबहार का पौधा बीज से कैसे उगाएं

Step 1 – गुलबहार के पोधो को आप बीजों से नवंबर से दिसबर के महीनो में लगा सकते है। यह इन पोधो को उगाने का सबसे अच्छा समय होता है। इसके लिए आपको सबसे पहले डेज़ी के फूलों को सुखाकर इसमें से बीज निकल लेने है। इन बीजो को को तैयार करके रख लें। इन बीजो को गेंदे के फूल के बीजो की तरह ही निकला जाता है।

Step 2 – इसके बाद आपको एक गमले में अच्छी और उपजाऊ मिटटी को तैयार करना है। इसके लिए आप दो हिस्से बगीचे की सामान्य मिटटी और दो हिस्सा गोबर का पुराना खाद या फिर घर बनाने वाली रेत को मिलकर भी आप एक अच्छी मिटटी तैयार कर सकते है। (अगर आपके पास कोई ऐसा गमला पहले से है, जिसमे मिटटी पहले से ही है। तो आप उसकी मिटटी को अच्छे से गुड़ाई करके उसी में बीज लगा सकते है।)

Step 3 – गमले की मिटटी को तैयार करने के बाद आपको लगभग एक से दो इंच गेहरें में सभी बीजो को लगा दे , और ऊपर से इन्हे मिटटी से ढक देना चाहिए। बीजो को लगाने के बाद आपको इसमें किसी पानी को बहुत हलके हाथ से छिड़कना है। अगर आपके पास फुब्बारा है, तो आप उससे पानी का स्प्रे कर सकते है।

Step 4 – गमले में पानी देने के बाद आप इसको ऐसे ही छोड़ दे। और समय समय पर इसमें पानी का छिड़काब करते रहें। इन बीजो से पौधा निकलने में लगभग दो सफ्ताह का समय लग सकता है। जब पौधे बड़े हो जाएँ तो इन्हे एक बड़े गमले में लगा सकते है। या फिर आप इन पोधो को जमीन में भी लगा सकते है।

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गुलबहार की कलम कैसे लगाएं 

Step 1 – डेज़ी के फूलों को कटिंग से लगाने के लिए आपको सबसे पहले ऐसी कुछ कटिंग बनानी पड़ेगी जिन के ऊपर फूल ना हो। अगर सभी शाखाओं के ऊपर फूल है, तो आप ऐसी कलम को चुने जिसके ऊपर सिर्फ कली आ रही हो। इस तरह की लगभग आठ से दस कलम आपको पौधे से काटनी है। जिनकी लम्बाई लगभग 5-6 इंच होनी चाहिए।

Step 2 – पौधे से कलम को काटने के बाद सभी कलम के निचे से एक इंच के सभी पत्तो को हटन दे। अगर कलम के ऊपर कलियाँ है, तो उन्हें भी किसी साफ़ चाकू से काट दें। इसके बाद आपको इन सभी कलम के निचे के एक इंच हिस्से पर रूटिंग हार्मोन पाउडर को लगाना है।

Step 3 – रूटिंग हार्मोन पाउडर लगाने के बाद अपने गमले में किसी लकड़ी या हाथ की ऊँगली से दो इंच के गड्डें कर लें, और बहुत सावधानी से सभी कलम को उन गड्डो में लगाकर उन्हें अच्छी तरह से उँगलियों से दबा दे। जिससे की पौधे की मिट्टी में हवा ना रह जाएँ।

Step 4 – इसके बाद आपको गमले में पानी लगाना है। पानी लगाने के बाद गमले को किसी ऐसी जगह पर रख दें जहाँ पर लगभग 6 से 7 घंटे धुप आती है। जब तक आपकी सभी कलम से जड़ें नहीं निकल जाती तब तक इस गमले में नमी बनायें रखे। यह सभी कटिंग लगभग एक से दो महीनो में जड़े निकलना शुरू कर देती है। इसके बाद आप इन्हे किसी दूसरे बड़े गमलो में अलग अलग लगा दें।

गुलबहार के पौधे की देखभाल कैसे करें 

डेज़ी के फूलों और पौधे की देखभाल करना बहुत जरुरी होता है। जब यह फूल खिलते है, तो यह पुरे गमले में एक ही पेड़ भर जाता है। और इसके फूलों बहुत अधिक संख्यां में आते है। तो हम जानते है, की हमें किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए, जिससे की हमारे डेज़ी के पौधे पर अधिक संख्यां में फूल आयें। तो चलिए जाते है, गुलबहार के पौधे की देखभाल कैसे करें –

1. यह पौधा सर्दियों में बहुत अच्छी तरह से बढ़वार करता है, और इसके ऊपर सबसे ज्यादा फूल जनवरी और फरवरी के महीनो में आते है। जब भी आप अपने पौधे को लगाएं एक बात का ख़ास ध्यान रखें की, इसकी मिटटी हमेशा ऐसी चुने जो की ज्यादा से ज्यादा नमी अपने अंदर बनायें रखे। अगर आप इसकी देखभाल अच्छे से करते है, तो यह अप्रैल के महीने में भी फूल देता है।

2. इन फूलों को सर्दियों के दिनों में धुप की बहुत ज्यादा जरुरत होती है। सर्दियों में इन्हे पानी की ज्यादा जरुरत नहीं होती है। हालाकिं की यह पौधे मार्च के महीने में धुप ज्यादा सहन नहीं कर पाते है। आप मार्च से अप्रैल के महीने में इन सभी पोधो को प्रत्येक दिन पानी दें। 

3. जब भी आप अपने पोधो को पानी दें, तो फूलों के ऊपर पानी ना डालें। इससे फूलों की पत्तियां गलने का खतरा बना रहता है। आप दो या तीन सफ्ताह छोड़कर अपने पोधो को पानी से धो सकते है। लेकिन ऐसा रोज नहीं करना चाहिए। पानी हमेशा पौधे की जड़ में ही देना चाहिए। 

4. समय समय पर आपको इस पौधे से सभी ऐसी फूलों को काट देना चाहिए, जो की मुरझाने लगते है। इससे पौधे की आयु और फूल दोनों बढ़ जाते है।

5. इस पौधे को फर्टीलिज़ेर के लिए आप महीने में एक बार वर्मीकम्पोस्ट या फिर सरसो की थोड़ी सी खल को पानी में मिलकर उसको रात भर के लिए छोड़ दे, और उसको अच्छे से घोलकर लगभग एक कप के हिसाब से गमले में डाल सकते है। यह फर्टीलिज़ेर पौधे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। 

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Daisy Flower FAQ

डेज़ी का फूल ख़ास क्यों है?

डेज़ी के फूल सच्ची दोस्ती और प्यार का प्रतिक होते है। यह कई पौराणिक कथाओ के अनुसार निर्दोषता और पवित्रता का प्रतिक भी माने जाते है। यह आपस में बहुत अच्छी तरह संयोजित होते है। जिसकी वजह से इन्हे दोस्ती और खुशमिजाजी से कहीं अधिक प्रतिनिधित्वता दी गयी है।

डेज़ी के फूल के क्या उपयोग है?

डेज़ी के फूल को हिंदी में गुलबहार के नाम से जाना जाता है, यह औषधीय चाय बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। डेज़ी का उपयोग रक्त शोधक के रूप में भी किया जाता है।

डेज़ी के फूल कहाँ से आये है?

डेज़ी के फूल दुनिया के सभी महाद्वीपों में बहुत आसानी से देखने को मिल जाते है। हालाँकि यूरोप और एशिया के यह समशीतोष्ण क्षेत्रों से आये है। इन फूलों को सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका में पेश किया गया था। वर्तमान में डेज़ी अंटार्कटिका को छोड़ कर सभी महाद्वीपों में उगाये जा रहे है।

क्या सभी डेज़ी के फूल पीले होते हैं?

डेज़ी के फूल अलग अलग प्रजाति के अनुसार अलग अलग रंगो और आकारों में पाए जाते है। लेकिन आमतौर पर यह नारंगी, पीले, सफ़ेद पाए जाते है। वर्तमान में डेज़ी को संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राकृतिक रूप से तैयार किया जा रहा है। जहाँ पर कई किस्मों को तरह तरह के रंगो की एक बड़ी रेंज के साथ तैयार किया जा रहा है।

सफेद डेज़ी के फूल का क्या अर्थ है?

डेज़ी के फूल कई रंगो में पाए जाते है, प्रत्येक डेज़ी के रंग का अपना अलग अर्थ होता है। सफ़ेद रंग के डेज़ी को शुद्धता और मासूमियत का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा सफ़ेद डेज़ी के फूल आध्यात्मिकता का भी प्रतिनिधित्व करते है।

डेज़ी के फूल कितने रंग के होते है?

रंग – बिरंगे डेज़ी की लगभग 20 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। जिनमे बैंगनी, लाल, सफेद, गुलाबी, और पीले रंग शामिल है।

क्या डेज़ी और सूरजमुखी का फूल समान हैं?

डेज़ी का पौधा एस्टेरासी परिवार से सम्बंधित है, इसे अनौपचारिक रूप से सूरजमुखी परिवार के साथ भी जोड़ा जाता है। सूरजमुखी और डेज़ी दोनों की पारिवारिक संरचनाओं आमतौर पर एक जैसी होती है।

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