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नरगिस का फूल और पौधे की जानकारी | Daffodil Flower in Hindi

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Daffodil Flower in Hindi
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Daffodil Flower in Hindi – इस लेख में हम डैफोडिल के फूल के बारे में जाएंगे। डेफोडिल के फूल को नरगिस का फूल भी कहा जाता है। यह दिखने में बहुत आकर्षक होता है। Daffodil Flower in Hindi डैफोडिल का फूल गर्म क्षेत्रों की जलवायु में नहीं उगाया जा सकता है।

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इसके अलावा इस यह एक ऐसा फूल है, जो की वर्ष के सभी मौसम में उगाया जा सकता है। इसलिए नरगिस के फूल को बारहमासी फूल की सूचि में भी लिया जाता है।अब जानते है, इससे जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां। इससे पहले डेफोडिल फूल का हिंदी मीनिंग जान लेते है।

Daffodil Flower Meaning in Hindi

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डेफोडिल का फूल खूबसूरत और आकर्षक होता है, इसे हिंदी में नरगिस का फूल कहा जाता है। यह वसंत ऋतू में सबसे पहले खिलने वाले फूलों में से है। जब यह फूल खिलता है, तो सबसे बड़ा संकेत होता है, की सर्दियाँ ख़त्म हो चुकी है। इसलिए नरगिस के फूल को पुनर्जन्म और नई शुरुआत का प्रतिक मानते है।

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डैफोडिल का फूल और पौधे की जानकारी

डेफोडिल के फूल का हिंदी नाम नरगिस है, यह नॉरशिसस “Narcissus” वंश का फूल है। यह फूल Amaryllidaceae कुल के अंतर्गत आता है। यह बहुत ही मधुर सुगंध वाले पुष्प होते है। सामान्यतौर पर यह फूल पीले रंग के ज्यादा देखने को मिलते है।

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लेकिन इसके अलावा भी डेफोडिल के फूल सफ़ेद, नारंगी, और कुछ प्रजातियों में यह दो रंग के भी होते है। जिनमे फूल की पंखुड़ियां सफ़ेद होती है, और इसके बिच वाला प्याला पीले रंग का होता है। पारम्परिक डेफोडिल के फूल सुनहरे और चमकदार होते है।

जिसके ऊपर छह पंखुड़ियां होती है। इस फूल की पत्तियों का आकर लम्बा और पतला होता है। फूल के बिच में एक प्याला होता है, जिसके अंदर तीन से चार पुंकेसर होते है। इन पुंकेसर से मधुमखियां रस लेती है। इन्ही से फूल का परागण होता है।

डेफोडिल का फूल हमेशा समूहों में उगता है। अगर इसका एक पौधा लगाया जाए, तो यह अकेला पौधा पुरे बगीचे में फेल जाता है। इस पौधे का आकर लम्बाई में लगभग 6 से 8 इंच तक होता है। इसके पोधो पर किसी भी तरह की पातियाँ नहीं होती है।

तने चिकने और सीधे होते है। जो की फूलों के खिलने पर झुक जाते है। डेफोडिल के पौधे पर फूल गुच्छों में खिलते है। एक गुच्छे में पांच से सात या उससे भी अधिक फूल खिल सकते है। इसके फूलों का आकर लगभग 2 से 5 इंच तक होता है।

 

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डैफोडिल की प्रजातियां और किस्में

  • जोन्किलिया डैफोडिल्स – इस प्रजाति के पोधो का आकर लगभग 15-30 सेंटीमीटर तक ऊँचा होता है। यह एक मंद सुगंध प्रदान करते है। इसके पौधे पर कई फूल एक साथ खिलते है।
  • टैसेटास – इस प्रजाति के पौधे लगभग 40 से 45 सेंटीमीटर ऊँचे होते है। इसके ऊपर भी कई फूल एक साथ खिलते है।
  • कट-एंड-क्राउन – इस प्रजाति के पोधो के ऊपर सामान्यतौर पर सफ़ेद और पीले रंग के फूल आते है। यह अन्य प्रजातियों और किस्मो की अपेक्षा बड़े फूल प्रदान करता है। इसके पौधा की ऊंचाई लगभग 45 सेंटीमीटर तक हो जाती है, इसका व्यास 15 से 18 सेंटीमीटर के बिच में रहता है।
  • काव्य डैफोडिल्स – इस प्रजाति के पौधे पर तारे के आकार के फूल खिलते है, इनके अंदर बहुत ही मंद सुगंध होती है। इन पोधो का आकर लगभग 30 से 45 सेंटीमीटर तक होता है।
  • जंगली डैफोडील्स – यह प्राकृतिक रूप से उगने वाले पौधे होते है। इनके ऊपर फूलों का आकर छोटा होता है।
  • साइक्लामेन – इन पौधों का आकर लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर होता है, इन पोधो के ऊपर एक फूल उगता है।
  • ट्यूबलर डैफोडिल्स – नरगिस की इस प्रजाति में एकल पीला और सफ़ेद फूल खिलता है। इसके पौधे का आकर लगभग 45 सेंटीमीटर तक होता है।
  • छोटे-मुकुट डैफोडिल्स – डैफोडिल्स की यह प्रजाति एक छोटे मुकुट वाले फूलो को उगाती है, जो की गुच्छों में ना खिलकर एकल खिलता है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 35 सेंटीमीटर तक होती है।
  • बड़े-मुकुट वाले डैफोडिल्स – इस तरह के पौधों में एक बड़ा और एकल फूल खिलता है, जिसके चारो और एक मुकुट होता है। इस पौधे की लम्बाई लगभग 45 से 50 सेंटीमीटर तक होती है।

डैफ़ोडिल्स का पौधा से कैसे उगाये

  • डैफ़ोडिल्स के पौधे को उगाने का सही समय क्या है? डैफोडिल्स के पोधो को उगाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम का होता है।
  • पौधा उगाने के लिए आपको सबसे पहले डैफ़ोडिल्स के स्वस्थ बल्ब को लेना है। बल्ब ज्यादा पतले नहीं होने चाहिए।
  • डैफोडिल के बल्ब को लेने के बाद आपको एक उपजाऊ मिटटी का मिश्रण तैयार करना है। इसके अंदर 50 % बगीचे की सामान्य मिटटी 30 गोबर की पुरानी खाद और 20 % वर्मीकम्पोस्ट लेनी है। अगर वर्मीकम्पोस्ट नहीं है, तो आप इसके छोड़ भी सकते है।
  • मिटटी को अच्छी तरह से मिलकर एक 10 से 12 इंच के गमले में डाले। मिटटी को गमले में डालने के बाद सभी नरगिस के बल्ब को लगभग 4 से 5 इंच की गहराई में दबा दें।
  • इसके बाद गमले को अच्छी तरह से पानी से भर दें। जब तक गमले के निचे के छेद से पानी निकलना शुरू ना हो जाएँ।
  • गमले में बल्ब को लगाने के बाद कुछ दिन के लिए इसे ऐसी जगह पर रख दें जहाँ पर दिन में लगभग 3 से 4 घंटे धुप रहती हो।
  • लगभग एक महीने बाद आपके सभी बल्ब से पौधे निकलना शुरू हो जाएंगे।

 

Daffodil Flower in Hindi

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डैफोडिल के पौधे की देखभाल कैसे करें

  • जिस प्रकार सभी पोधो को उगाने के लिए एक उपजाऊ और अच्छी मिटटी की आवश्यकता होती है। उसी तरह से डैफ़ोडिल के पौधे को लगाने से पहले एक अच्छी मिटटी को तैयार करना बहुत जरुरी होता है।
  • आप पौधों को लगाने के लिए मिटटी के अंदर वर्मीकम्पोस्ट, नीम खली, या सरसो खली को मिटटी में मिला सकते है। इससे मिटटी उपजाऊ और अच्छी रहती है।
  • डैफ़ोडिल का पौधा ज्यादा गर्मी सहन नहीं कर पाता है, इसलिए यह ज्यादा गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में नहीं उगाया जाता है। इसे हमेशा 20 से 27 डिग्री सेल्सियस वाले तापमान के अंदर रखे।
  • पोधो को उगाने से पहले नरगिस के सभी बल्बों को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। जिससे की उनके ऊपर लगी किसी भी प्रकार की कोई फंगस हो तो वह धुल जाए।
  • इसके बीजो को हमेसा गहराई में रोपना चाहिए। इन्हे गमले के अंदर 4 से 5 इंच की गहराई में लगाए। अगर गमला थोड़ा बड़ा है, तो एक गमले में दो या दो से अधिक बल्ब भी लगा सकते है।
  • नरगिस के बल्ब को लगते समय बल्बों की दुरी लगभग पांच इंच रखनी चाहिए।
  • जब पौधा बढ़ना शुरू हो जाएँ, तो आप पौधे को प्रत्येक दिन सुबह के समय पानी दिया करें।
  • जब पौधे पर फूल खिलने का मौसम चला जाता है, तो कुछ लोग इसकी पत्तियों को काट देते है। लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योकिं समय के साथ इसके पाते अपने आप पीले होकर सुख जाते है। जब आपके पौधे के पत्ते पीले होने शुरू हो जाए, तब ही आप पौधे से पत्तियों को अलग करें।
  • डैफ़ोडिल के पौधे में हमेशा गोबर की पुरानी खाद का ही प्रयोग करें। इस पौधे को ज्यादा खाद की जरुरत नहीं होती आप तीन या चार महीने में एक बार एक मुट्ठी खाद डाल सकते है।

Note – यह पोस्ट डैफोडिल फूल Daffodil Flower in Hindi के बारे में थी। जिसमे आपको नरगिस का पौधा कैसे लगाया जाता है, और इसकी देखभाल कैसे की जाती है, सभी कुछ बताया गया है। आपको यह पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो कृपया अपने दोस्तों के साथ इसे जरूर शेयर करें, ध्यानवाद।

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