Banyan Tree in Hindi – आज हम एक ऐसे विशाल पेड़ के बारे में जानेगे। जो की दुनिया के सबसे बड़े पेड़ों में से एक है, जिसे भारत में बरगद का पेड़ Bargad Ka Ped या वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है। बरगद के पेड़ कई ऐसे रोचक तथ्य है, जो की हमारी जानकारी से दूर है। जिनके बारे में आज हम जानने वाले है। इसके अलावा बरगद के फायदे और नुक्सान के बारे में भी जानेगे।
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Banyan Tree Meaning in Hindi
भारत में पाए जाने वाला एक विशाल पेड़ जिसे वट वृक्ष या बरगद का पेड़ कहते है। जिसकी जड़े शाखाओं से निकलती है, और यह धीरे धीरे बड़ी होकर जमीन को छूने लगती है। जमीन में आने के बड़ यह जड़े एक स्तम्भ के रूप में पेड़ के साथ जुड़ जाती है, और एक नए तने को विकसित करती है।
बरगद का पेड़ की जानकारी
बरगद का पेड़ एक विशाल और बड़ी शकाओं वाला वृक्ष है। कुछ लोगो को यह नहीं पता होता है, की भारत का राष्ट्रीय वृक्ष क्या है? बरगद का पेड़ भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है।
बरगद को सन 1950 में भारतीय वृक्ष बनाया गया था। यह भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। इस पेड़ की छाया बहुत ही ठंडी होती है। गर्मियों के दिनों में लोग इसकी छाया में बैठना पसंद करते है।
कुछ पुरानी किवदंतियो के अनुसार, यह पेड़ इतना बड़ा हो सकता है, की इसके चारो और लगभग 80000 से 10000 लोग बहुत आसानी से बैठ सकते है। बरगद के पेड़ को अंग्रेजी भाषा में Banyan Tree कहते है।
कुछ लोगो का ऐसा मानना है, की इस पेड़ का नाम बनिया इस लिए पड़ा क्योकिं पुराने समय में भारत के व्यापारी गर्मियों के दिंनो में रास्ते में इस पेड़ की छाया में आराम करने के लिए बैठा करते थे।
बरगद का पेड़ भारत के अलावा इसके नजदीकी देशो पाकिस्तान, बांग्लादेश, और म्यांमार के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
Banyan Tree Information in Hindi
बरगद का पेड़ स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक पेड़ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 20 से 25 मीटर या इससे अधिक भी जा सकती है। यह वृक्ष सामान्यतौर पर दूसरे बड़े पेड़ो के ऊपर भी उग जाते है। बरगद का अर्थ फिकस बेंगालेंसिस होता है। बरगद की लकड़ी कठोर और मजबूत होती है। जिसका उपयोग फर्नीचर या अन्य उपयोगी वस्तुए बनाने के लिए किया जाता है।
बरगद के पेड़ की जड़े मजबूत होती है, और यह पेड़ की शाखाओं से निचे की और लटकती है। यह वृक्ष के चारो से लटकर हवा में झूलती रहती है। जैसे जैसे पेड़ पुराना पुराना होता जाता है। वैसे वैसे इसकी जड़े बड़ी होकर जमीन को छूने लगती है, और यह जमीन के सहारे एक स्तम्भ बना लेती है।
बरगद का तना सीधा और कठोर होता है। जब इसकी कुछ जड़े पेड़ से लटकर जमीन में घुस जाती है, तो पौधा और भी तेजी से बड़ा होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योकिं इसकी अन्य जड़े भी जमीन से पोषक तत्वों को सोखती है।
बरगद के पत्तो का आकर अंडाकार होता है। जो की बड़े और मोटी चमड़ी वाले होते है। इन पत्तो की ऊपरी सतह चमकदार होती है, और निचला हिस्सा थोड़ा खुरदुरा होता है। इन पत्तो की लम्बाई लगभग 5 इंच से 7 इंच तक होती है। बरगद के पत्तो का शुरूआती रंग लाल होता है। जब पत्ता अपना पूरा आकर ले लेता है, तो यह हरा हो जाता है। जब बरगद के पत्ते को तोड़ा जाता है, तो इसके अंदर से सफ़ेद रंग का दूध जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है।
बरगद के पेड़ पर फल भी लगते है, इसके फलों का आकर गोल होता है, यह छोटे होते है। इन फलों का रंग लाल होता है, जिसके अंदर छोटे छोटे बीज पाए जाते है। बरगद के पेड़ का जीवनकाल कितना होता है? बरगद के पेड़ का जीवनकाल लगभग एक हजार साल या इससे भी अधिक होता है। हालांकि इसका निर्धारण करना मुश्किल है। इसकी आयु का रहस्य इसकी जड़ो में छिपा होता है।
बरगद के पेड़ को हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा महत्त्व दिया गया है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति की बरगद के अलावा पीपल, और नीम भी हिन्दू धर्म के महत्ता वाले वृक्ष है। अनेक व्रत और त्योहारों पर वट वृक्ष को पूजा जाता है।
Name of Banyan Tree Called of Different Languages Hindi, Punjabi, Marathi Etc.
Languages | Names |
Hindi | बरगद, बट, बर, बरगट |
English | Banyan, ईस्ट इण्डियन फिग ट्री |
Punjabi | बरगद (Bargad), बर (Bar) |
Kannada | मरा (Mara), अल (Al), अला (Ala) |
Bengali | बडगाछ (Badgach), बर (Bar), बोट (Bot) |
Oriya | बरो (Boro) |
Tamil | अला (Ala), अलम (Alam) |
Arabic | तईन बनफलिस (Taein banfalis), जतुलेजईब्वा (Jhatulejaibva) |
Sanskrit | वट वृक्ष, न्यग्रोध, स्कन्धज, ध्रुव, क्षीरी, वैश्रवण, वैश्रवणालय, बहुपाद, रक्तफल, शृङ्गी, वास |
Urdu | बर्गोडा (Bargoda) |
Gujarati | वड (Vad), वडलो (Vadlo) |
Malayalam | अला (Ala), पेरल (Peral) |
Konkani | वड (Vad) |
Nepali | बर (Bar) |
Marathi | वड (Wad), वर (War) |
Persian | दरखत्तेरेशा (Darakhteresha) |
Telugu | र्री (Marri), वट वृक्षी (Vati) |
बरगद के पेड़ के फायदे Benefits of Banyan Tree in Hindi
बरगद का पेड़ औषिधीय गुणों से भरपूर है। इसके कई फायदे होते है। हम आपको इस लेख में इसके अंदर पाए जाने वाले तत्वों के बारे में बताएँगे और यह किस लिए फायदेमंद होता है। आईये जानते है बरगद के पेड़ के फायदे।
जोड़ों के दर्द में बरगद के फायदे
कुछ शोधो के मुताबिक पता चला है, की जोड़ो का दर्द शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से होता है। बरगद में कई ऐसे तत्व पाए जाते है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होते है। बरगद की पत्तियों में क्लोरोफॉर्म, ब्यूटेनॉल, और जल की मात्रा पायी जाती है। यह सभी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है। इसके अलावा बरगद में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते है, जो की सूजन को कम करने में सहायक होते है।
त्वचा की फुंसियों में मददगार – बरगद की जड़ त्वचा सम्बन्धी विकारो में लाभदायक होती है। इसके अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते है, जो फुंसियों को ठीक करते है।
दांतो और मसूड़ों को रखे स्वस्थ
बरगद के पेड़ का प्रत्येक अंग उपयोगी होता है। इसके अंदर मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल मुँह के अंदर होने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करते है। बरगद की जड़ नरम जड़ को मंजन की तरह उपयोग करने से मुँह से जुड़ी कई समस्यांए दूर हो जाती है।
बालों को स्वस्थ रखे बरगद
जैसा की आपको ऊपर बताया गया है, की बरगद में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते है। जो की बैक्टीरियल इन्फेक्शन को ख़त्म करने में मददगार होते है। बरगद की छाल और पेड़ की पत्तियों को एक साथ मिलकर लेप बना लें। इस लेप को बालों पर लगाने से बाल स्वस्थ हो जाते है।
बरगद के पेड़ के नुकसान
बरगद के पेड़ के अभी तक किसी भी तरह के नुक्सान नहीं देखे गए है। फिर हमें इसका उपयोग करते समय एक नियंत्रित मात्रा का उपयोग करना चाहिए। बरगद के उपयोग करे से पहले आपको इन बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है।
त्वचा सम्बन्धी या फिर बालों में बरगद का किसी भी तरह से उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, जिससे की आपको किसी भी तरह की समस्यां का सामना ना करना पड़ें।
बरगद की पत्तियों और जड़ो में एक दूध जैसा पदार्थ निकलता है। अगर आपको इस दूध से किसी भी तरह की एलर्जी या अन्य समस्यां होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। या फिर इसका उपयोग करना बंद कर देना चाहिए।
सबसे पुराना बरगद का पेड़ कहां है
बरगद का दुनिया में सबसे पुराना पेड़ आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन कोलकाता (भारत) में स्तिथ है। यह पेड़ दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़ है, इसे 1787 में इस गार्डन में लगाया गया था।
वर्तमान में यह पेड़ इतना फेल चुका है, की इसकी जड़ो से एक बड़ा जंगल तैयार हो गया है। अगर आप इस वट वृक्ष को वास्तव में देखते है, तो आपको विश्वास नहीं होगा की यह एक ही पेड़ है। यह पेड़ 14,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसकी ऊंचाई लगभग 22 से 24 मीटर है।
जिसके ऊपर से लगभग चार हजार जड़े जमीन को छू चुकी है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता की वजह से इस पेड़ को दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ भी केते है। इस पेड़ पर कई तरह के पक्षियां रहते है। अगर इनकी प्रजातियों की बात की जाए तो यह लगभग 80 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियों का घर है।
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बरगद के पेड़ के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बरगद के पेड़ के बारे में क्या खास है?
बरगद का पेड़ अंजीर की तरह से अपनी कलियों को दो बड़ी पत्तियों से ढक लेता है। जब इसकी नई पत्तियां निकलती है, तो इनका शुरूआती रंग लाल होता है। पुराने बरगद का पेड़ अपनी जड़ो को हवा में लटका लेता है, और जैसे जैसे यह पुराना होता रहता है, यह जड़े मोटी और मजबूत होने लगती है।
बरगद के पेड़ पवित्र क्यों हैं?
हिन्दू धर्म में बरगद के पेड़ को पवित्र माना जाता है, क्योकिं इसके अंदर भगवन का वास माना जाता है। इसके अलावा ऐसा मानना भी है, की बरगद के आस पास पूर्वजो और देवताओं का वास होता है। यह वृक्ष आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
क्या हम बरगद के पेड़ के फल खा सकते हैं?
बरगद का पका हुआ फल लाल रंग का होता है, और इसके अंदर किसी भी तरह का विष नहीं होता है। लेकिन इन्हे खाना मुश्किल है, क्योकिं इसका स्वाद अजीब होता है। लेकिन बरगद की पत्तियों को खाने योग्य समझा जाता है, इसकी पत्तियों का उपयोग खाना खाने वाली पत्तल बनाने के लिए भी किया जाता है।
क्या पीपल और बरगद एक ही वृक्ष है?
इन दोनों वृक्षों का परिवार एक है, दोनों वृक्ष मोरसेए Moraceae परिवार के है। लेकिन इनकी प्रजातियां अलग अलग है। जबकि बरगद का वानस्पतिक नाम फिकस बेंथालेंसिस है, और पीपल के पेड़ का वानस्पतिक नाम फिकस धर्मियोसा है।
बरगद के पेड़ की पहचान कैसे करें?
बरगद के पेड़ पर लगने वाले फलों के बीज पक्षी अन्य पेड़ो पर जाकर रख देते है। जिसकी वजह से यह दूसरे पेड़ की शाखाओं पर भी उगने लगता है। इसके अलावा बरगद के पेड़ को हवा में लटकती इसकी जड़ो से भी पहचाना जा सकता है, और इसकी शुरूआती पत्तियों का रंग लाल होता है। यह वट वृक्ष की कुछ मुख्य पहचान है।
बरगद के पेड़ का बोन्साई कैसे उगाते है?
बरगद की बोन्साई बनाने के लिए, एक छोटे पौधे की आवश्यकता होती है। इस पौधे को शुरुआत से ही बोन्साई का आकर दिया जाते है। इसके लिए इसे अलुमिनियम के तार की मदद से आकर दिया जाता है। इसकी जड़ो को पौधे के चारो और फैलाया जाता है। जिससे की एक अच्छे बोन्साई का आकर मिल सके। इस तरह से वट वृक्ष का बोन्साई तैयार कर सकते है।