Saraswati Mata Ki Aarti - ओम जय सरस्वती माता की आरती

पुराणों में सरस्वती माता को व‍िद्या की देवी माना गया है। इनके रूप का वर्णन शुक्लवर्ण, शुक्लाम्बरा, वीणा-पुस्तक-धारिणी तथा श्वेतपद्मासना आद‍ि शब्‍दों से क‍िया गया है।

पुराणों के अनुसार ऐसा भी मन गया है, की सरस्वती सृष्‍ट‍ि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी की जीभ से उत्‍पन्‍न हुई हैं। इस वजह से उनको ब्रह्म पुत्री कहा जाता है।  

सरस्वती माता के बारे में ऐसा भी कहा जाता है, की इन्होने सभी जीव जंतुओं को वाणी दी है। सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है।

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ जय जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी । सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला । शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥ जय जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया । पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो । मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥ जय जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो । ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॥ जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे । हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥ जय जय सरस्वती माता...॥

सरस्वती माता की आरती

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

सरस्वती माता की आरती

जय सरस्वती माता