उत्तराखंड की राजधानी क्या है (Capital of Uttarakhand) उत्तराखंड भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। जो की अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और कई हिमालयी चोटियों के लिए जाना जाना जाता है। उत्तराखंड में घूमने के भी बहुत से पर्यटन स्थल है, जहाँ पर भारतीय पर्यटकों के साथ साथ विदेशी पर्यटक भी आते है।
क्या आप Uttarakhand Ki Rajdhani के बारे में जानते है। अगर नहीं तो आज हम इस लेख में उत्तराखंड की राजधानी कहाँ है, और उत्तराखंड की कितनी राजधानी है। इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में आपको बताने वाले है। हम उत्तराखंड की राजधानी क्या है, यह जानने से पहले उत्तराखंड राज्य के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जान लेते है।
उत्तराखंड का पुराना नाम उत्तरांचल था। इस राज्य का निर्माण 9 नवंबर 2000 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य से विभाजित करके किया गया था। इसके निर्माण के पीछे कई आंदोलन किये गए थे, जिसके बाद उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। सन 2000 से 2006 तक इसे उत्तराँचल के नाम से ही जाना जाता था।
लेकिन जनवरी 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया था। उत्तराखंड राज्य की सीमा पूर्व में में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश, उत्तर में तिब्बत और, दक्षिण में उत्तर प्रदेश से लगी हुई है। प्राचीन साहित्य और हिन्दू ग्रंथो में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखंड के रूप में किया गया था। उत्तराखंड जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है, इस शब्द का अर्थ हिंदी और संस्कृत में उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है।
उत्तराखंड राज्य से भारत की सबसे बड़ी नदियां, और हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र नदियां गंगा और यमुना निकलती है। जिन्हे गंगोत्री और यमनोत्री नाम से भी जाना जाता है, इन नदियों के तट पर कई वैदिक संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण और पवित्र तीर्थ स्थान है। आइये अब जानते है, उत्तराखंड की राजधानी क्या है (Capital of Uttarakhand) –
उत्तराखंड की राजधानी क्या है (Uttarakhand Ki Rajdhani)
उत्तराखंड की दो राजधानियां है, शीतकालीन राजधानी देहरादून, और ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण है। गैरसैंण उत्तराखंड राज्य की ग्रीष्मकालीन अस्थाई राजधानी भराड़ीसैंण के नजदीक स्थित है।
उत्तराखंड के बारे में जानकारी | |
उत्तराखंड राज्य का गठन | 9 नवम्बर 2000 |
उत्तराखंड की राजधानी | देहरादून |
ग्रीष्मकालीन राजधानी | गैरसैंण |
सबसे बड़ा शहर | देहरादून |
उत्तराखंड में जिले | 13 |
कुल क्षेत्रफल | 53,483 किमी² |
जनसंख्या (2011) | 10086292 |
उत्तराखंड की राजभाषा | हिन्दी, संस्कृत |
उत्तराखंड की क्षेत्रीय भाषा | गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी |
उत्तराखंड का राजकीय पक्षी | Himalayan Monal (हिमालयी मोनाल) |
उत्तराखंड का राजकीय फूल | Saussurea Obvallata (ब्रह्म कमल) |
उत्तराखंड का राजकीय पेड़ | Rhododendron Arboreum (रोडोडेंड्रॉन आर्बोरियम) |
आधिकारिक वेबसाइट | https://uk.gov.in |
उत्तराखंड की पहली राजधानी देहरादून के बारे में
देहरादून उत्तराखंड का एक बहुत ही शानदार और खूबसूरत शहर है। जिस समय उत्तर प्रदेश से अलग करके 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बनाया गया था, उस समय देहरादून को उत्तराखंड की अंतरिम राजधानी बनाया गया था। देहरादून अपने पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।
देहरादून का बहुत पुराना है, देहरादून से करीब 56 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ कलसी के पास एक शिलालेख मिला है, जिसके अनुसार तीसरी सदी ईसा पूर्व में देहरादून क्षेत्र पर सम्राट अशोक का अधिकार हुआ करता था। भारत पर आक्रमण करने वाले सभी राजाओं और शासको को देहरादून ने हमेशा से अपनी और आकर्षित किया है, सन 1654 में खलीलुल्लाह खान ने मुग़ल सेना के द्वारा यहाँ पर आक्रमण किया था।
सिरमोर के राजा सुभाक प्रकाश की सहायता से खान गढ़वा के राजा पृथ्वी शाह को हराने में सफल रहे। गद्दी से हटाए गए राजा को दुबारा फिर से इस शर्त के साथ गद्दी दी गयी, की वह नियमित रूप से मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को कर देंगे। इसके बाद सन 1772 में यहाँ पर गुज्जरों ने आक्रमण किया था। जिसके बाद राजा ललत शाह जो पृथ्वी शाह के वंशज थे, उनकी पुत्री की शादी गुलाब सिंह गुज्जर के साथ की थी।
बाद में गुलाब सिंह के पुत्र का देहरादून पर शासन रहा, जिसकी वजह से उनके वंशज नगर में मिल सकते थे। जिस समय देहरादून में गढ़वाल के राजा ललत शाह के पुत्र प्रदुमन शाह के पुत्र का नियंत्रण था, इस समय यहाँ पर रोहिल्ला नजीब के पोते गुलाम कादिर के नेतृत्व में अफगानों का आक्रमण हुआ। इस आक्रमण के दौरान गुरू राम राय और उनके सभी शिष्यों और अनुयायियों सहित मार डाला।
जिन लोगो ने हिन्दू धर्म को त्यागा उन्हें छोड़ दिया गया, जिन लोगो ने हिन्दू धर्म को नहीं त्यागा उन्हें मार दिया गया। शहरनपुर के राजयपाल और अफगान प्रमुख नजीबुदौल्ला ने भी देहरादून पर आक्रमण किया और वह इस योजना में सफल रहे। इसके बाद देहरादून पर सिक्खों, राजपूतों, गोरखाओं, और गुज्जरों के बहुत बार आक्रमण हुए। जिसके बाद यहाँ की उपजाऊ भूमि बंजर भूमि में बदल गयी।
जिन लोगों ने हिन्दू धर्म त्यागने का निर्णय लिया, उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन अन्य लोगों के साथ बहुत निमर्मतापूर्वक व्यवहार किया गया। सहारनपुर के राज्यपाल और अफगान प्रमुख नजीबुदौल्ला भी देहरादून को अपने अधिकार में करने के उद्देश्य में सफल रहा उसके बाद देहरादून पर गुज्जरों, सिक्खों, राजपूतों और गोरखाओं के लगातार आक्रमण हुए और यह उपजाऊ और सुंदर भूमि शिघ्र ही बंजर स्थल में बदल गई।
सन 1815 में ब्रिटिश शासन ने गोरखाओं को हराकर यहाँ पर अपना कब्ज़ा कर लिया। देहरादून का पूरा इतिहास चंदर रोड पर स्थित स्टेट आर्काइव्स में है। यह संस्था दलानवाला में स्थित है। यह एक संस्था या म्यूजियम है, जहाँ पर देहरादून से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां मौजूद है।
उत्तराखंड की दूसरी राजधानी गैरसैंण के बारे में –
गैरसैंण उत्तराखंड के चमोली जिले में स्तिथ एक शानदार शहर है, जो की राज्य के बीचो बिच स्तिथ है। गैरसैंण उत्तराखंड की स्थानीय भाषा से मिलकर बना हुआ है, “गैर” तथा “सैंण”। गैर शब्द का अर्थ गहरा स्थान होता है, और सैंण शब्द का अर्थ मैदानी भू-भाग होता है। जिसका मतलब गैर + सैंण = गैरसैंण है, यानि “गहरे में समतल मैदान में होता है। कुछ लोगो का ऐसा भी मानना है, की यह गैड़ गांव के निचे स्तिथ है, जिसकी वजह से यह गैरसैंण कहलाता है। हालाकिं यह थोड़ा सटीक सा लगता है, लेकिन इसमें थोड़ा संदेह भी है।
गैरसैंण का प्राचीन इतिहास : गैरसैंण उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथो और कथाओं में केदार या केदार खंड के नाम से किया गया है। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग जब सातवीं शताब्दी में भारत आया था, उसने इस क्षेत्र में ब्रह्मपुर नामक राज्य होने का वर्णन किया है। यह क्षेत्र प्राचीन समय से ही भारत की हिमालयी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए है।
कुछ कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है, की यहाँ का पहला शासक यक्षराज कुबेर था। यक्षराज कुबेर के बाद इस क्षेत्र में असुरों का शासन हुआ, जिन्होंने अपनी राजधानी वर्तमान उखीमठ को बनाया था। ऐसा माना जाता है, की महाभारत युद्ध के बाद इस क्षेत्र में कुनिन्दा, किरात, नाग, और खस जरियों के राजाओं का वर्चस्व भी रहा है।
सन 1803 में इस क्षेत्र में एक भयंकर भूकंप आया था, जिसकी वजह से यह पूरा क्षेत्र बिखर गया, और इसकी भौगोलिक सम्पदा पूरी तरह से तहस नहस हो गयी। इसके कुछ समय बाद गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा के नेतृत्व गोरखाओं ने इस क्षेत्र पर आक्रमण करके इसे अपने कब्जे में ले लिया था।
सन 1803 से 1815 तक इस पुरे क्षेत्र में गोरखाओं का राज रहा था। सन 1815 के बाद 14 अगस्त, 1947 तक पुरे भारत में ब्रिटिश शासनकाल रहा। ब्रिटिश शासन के दौरान ही सन 1839 में गढ़वाल जिले का गठन किया गया, जिसके बाद गैरसैंण को कुमाऊं के क्षेत्र से निकाल कर गढ़वाल जिले में स्थान्तरित कर दिया गया। 20 फरवरी 1960 को इसे चमोली जिला बनाकर उसके अंतर्गत कर दिया गया।
उत्तराखंड के चार धाम
उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है। उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ अपनी सांस्कृतिक जीवन शैली और मंदिरो के लिए भी जाना जाता है। जिसे देव भूमि उत्तराखंड के नाम से भी जाना जाता है। सन 1962 से पहले चार धाम की यात्रा करना बहुत ज्यादा कठिन होता था।
लेकिन जब चीन के साथ हुए युद्ध के दौरान सैनिकों ने आवाजाही बढ़ायी यह रस्ते भी तीर्थयात्रियों के लिए आसान हो गए। हालाकिं शुरुआत में उत्तराखंड के चार धाम को छोटा चार धाम के नाम से पुरस्कार जाता था, लेकिन बाद में इसमें से छोटा शब्द को हटा दिया गया और इसे “हिमालय की चार धाम यात्रा” के नाम से जाना जाने लगा। जैसे जैसे तीर्थयात्रियों को यहाँ पर सुविधा मिली श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गयी।
कुछ आंकड़ों के अनुसार प्रतियेक वर्ष 15 अप्रैल से नवंबर तक यहाँ पर 250000 लाख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए आ जाते है। हालाकिं यह संख्या प्रतियेक वर्ष बढ़ रही है। मानसून के दौरान चार धाम की यात्रा ना करने की सलाह दी जाती है, क्योकिं यहाँ पर भूस्लखन का खतरा बना रहता है। आइये जानते है, उत्तराखंड के चार धाम के नाम और उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां –
1. यमुनोत्री
यमुनोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्तिथ चार धामों में से एक है, जो की समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। यमुनोत्री मंदिर देवी यमुना को समर्पित है। यह अगर आप यमुनोत्री आना चाहते है, यहाँ का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है, और सबसे निकटम हवाई अड्डा देहरादून जॉली ग्रांट है। आप ऋषिकेश से भी यहाँ के लिए आ सकते है, ऋषिकेश से यमुनोत्री की दुरी 210 किलोमीटर है, और हरिद्वार से 255 किलोमीटर है।
2. गंगोत्री
गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्तिथ चार धामों दूसरा धाम है, जो की एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। गंगोत्री मंदिर समुद्र तल से 3415 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। मंदिर से करीब 19 किलोमीटर की दुरी पर गोमुख है, जो की गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गंगोत्री मंदिर उत्तरकाशी से 100 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है। गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी की शुरुआत में करवाया गया था। मई से अक्टूबर के महीनो में यहाँ पर तीर्थयात्री गंगा मैया के दर्शन करने के लिए आते है।
3. केदारनाथ
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रपयाग जिले में स्तिथ है, जो की समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। केदारनाथ हिन्दू का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यह हिन्दुओं के प्रसिद्ध मंदिर होने के साथ साथ केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। मंदिर हिमालय की गोद में बसा हुआ है। केदारनाथ के द्वार प्रति वर्ष अप्रैल से नवंबर महीने तक खुले रहते है। पत्थरों से बना मंदिर कत्यूरी शैली को दर्शाता है, इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है, की केदारनाथ का निर्माण पांडवो के पौत्र महाराजा जन्मेजय द्वारा कराया गया था। केदारनाथ मंदिर के अंदर स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।
4. बद्रीनाथ
बद्रीनाथ या बद्रीनारायण मन्दिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्तिथ है, जो की समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। यह मंदिर चमोली में अलकनंदा नदी के तट पर स्तिथ है। जो की हिन्दू धर्म के देवता भगवान् श्री विष्णु जी को समर्पित है। बद्रीनाथ मंदिर चार धाम में से एक है, कुछ प्रमाण के अनुसार ऐसा माना जाता है, की मंदिर का निर्माण 7वीं-9वीं शताब्दी में हुआ था।
नोट – उत्तराखंड की राजधानी क्या है? इस लेख में दी गयी सभी जानकारियां विकिपीडिया से ली गयी है।
मंदिर के आस पास बसे घरो अथवा नगर को बद्रीनाथ कहा जाता है। सर्दियों के दौरान मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते है, अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। 2012 के आंकड़ों के अनुसार यहाँ पर 10.6 लाख तीर्थयात्रियों ने यात्रा की है।
भारत के सभी राज्यों की राजधानी के नाम
भारत के सभी राज्यों की राजधानी के नाम | |
ओडिशा की राजधानी | पश्चिम बंगाल की राजधानी |
पंजाब की राजधानी | त्रिपुरा की राजधानी |
राजस्थान की राजधानी | मणिपुर की राजधानी |
सिक्किम की राजधानी | मेघालय की राजधानी |
आंध्र प्रदेश की राजधानी | हिमाचल प्रदेश की राजधानी |
हरियाणा की राजधानी | झारखण्ड की राजधानी |
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी | कर्नाटक की राजधानी |
असम की राजधानी | केरल की राजधानी |
गोवा की राजधानी | मध्यप्रदेश की राजधानी |
गुजरात की राजधानी | महाराष्ट्र की राजधानी |
बिहार की राजधानी | मिजोरम की राजधानी |
छत्तीसगढ़ की राजधानी | नागालैंड की राजधानी |
उत्तराखंड की राजधानी | तमिलनाडु की राजधानी |
उत्तर प्रदेश की राजधानी | तेलंगाना की राजधानी |
Note – यह लेख उत्तराखंड की राजधानी क्या है (Uttarakhand Ki Rajdhani) इसके बारे में था। जिसमे आपको उत्तराखंड के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गयी है। उत्तराखंड की कैपिटल के अलावा आपको यहाँ पर उत्तराखंड के चार धाम के बारे में भी बताया गया है। जो की उत्तराखंड का सबसे प्रमुख आकर्षण है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।