अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आपने शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के बारे में जरूर सुना होगा। ट्रेडिंग कई प्रकार की होती है जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग आदि। हालांकि आज हम आपको स्विंग ट्रेडिंग से संबंधित जानकारी देने जा रहे हैं।
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स्विंग ट्रेडिंग का अर्थ क्या है?
स्विंग ट्रेडिंग उस ट्रेडिंग को कहा जाता है जहां पर एक निवेशक शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हुए स्टॉक को खरीदता है तथा वे उसी दिन अपने स्टॉक को नहीं बेचता बल्कि उसे होल्ड करके अगले दिन, कुछ दिनों बाद या हफ्ते भर एवं महीने भर के बाद बेचता है जिससे वह शेयर मार्केट की किसी शॉर्ट टर्म मोमेंट में लाभ कमाने की कोशिश करता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग तथा स्विंग ट्रेडिंग में सिर्फ यही अंतर है कि इंट्राडे ट्रेडिंग वाले स्टॉक को उसी दिन राउंड ऑफ करके बेचना होता है जबकि स्विंग ट्रेडिंग वाले अपने मुनाफे के अनुसार अपने स्टॉक को एक दिन,कुछ दिनों तथा हफ्तों, महीने भर के लिए होल्ड कर सकते हैं तथा मुनाफा होने पर बेच सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग किस प्रकार काम करती है?
हमने ऊपर स्विंग ट्रेडिंग का अर्थ समझा है तथा अब हम समझेंगे की स्विंग ट्रेडिंग शेयर मार्केट में किस प्रकार काम करती है। यदि आप स्विंग ट्रेडिंग सीख रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि स्विंग ट्रेडिंग निम्नलिखित 3 तरीकों से काम करती है-
- मार्केट ट्रेंड पर
- स्टॉक की कीमत में वृद्धि-गिरावट
- ट्रेडिंग का चार्ट पेटर्न
ऊपर दिए गए मुख्य तीन तरीकों के अलावा एक निवेशक या ट्रेडर Stock Fundamental Analysis को भी स्विंग ट्रेडिंग के दौरान अपना आता है।
चलिए स्विंग ट्रेडिंग को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं जो इस प्रकार है-
उदाहरण -: अगर आपने आईसीआईसीआई बैंक का एक स्टॉक वर्तमान में ₹500 में खरीदा तथा आपने इसे अगले दिन या कुछ दिनों के लिए होल्ड कर दिया तथा भविष्य में स्टॉक की कीमत ₹600 हो गई तो आपने स्टॉक की कीमत बढ़ने पर उसे बेच दिया तथा इससे आपको ₹100 का मुनाफा हुआ और इस पूरी प्रक्रिया को ही स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है।
स्विंग ट्रेडिंग आफ शेयर, ईटीएफ तथा अन्य सिक्योरिटीज में कर सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग में कितना जोखिम है?
स्विंग ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग होती है तथा जहां शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग होती है तो वहां पर जोखिम भी ज्यादा होता है तथा स्विंग ट्रेडिंग में भी कुछ ऐसा ही है। स्विंग ट्रेडिंग में यदि आपने स्टॉक को 1 दिन के लिए होल्ड कर लिया है तो अगले दिन मार्केट खुलने पर अगर स्टॉक की कीमत में उछाल होता है
तो यह आपके लिए अच्छा है लेकिन मार्केट के बंद होने तक अगर स्टॉक की कीमत में गिरावट देखी जाती है तो यह आपके लिए बेहद ही नुकसानदायक हो सकता है। इसे स्विंग ट्रेडिंग की भाषा में Overnight Risk भी कहते हैं।
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स्विंग ट्रेडिंग से जुड़ी रणनीतियां
स्विंग ट्रेडिंग में लाभ की संभावना 5 से 10% तक ही रहती है। यह लाभ किसी ट्रेडर के लिए कम तो किसी ट्रेडर के लिए ज्यादा हो सकता है। यदि आप स्विंग ट्रेडिंग के द्वारा 7-8% कल आप कमाना चाहते हैं तो आपको 2% से 3% का स्टॉपलॉस भी लगाना पड़ेगा ताकि आप भारी नुकसान से बच सके।
स्टॉप लॉस -: स्टॉप लॉस एक ऐसा प्राइस होता है जहां पर स्टॉक की गिरती हुई कीमतों में एक प्रतिबंध लग जाता है जिसके बाद आपकी स्टॉक की कीमत गिरने से ज्यादा नुकसान नहीं होता है। स्टॉप लॉस को इसीलिए लगाया जाता है ताकि स्टॉक की कीमत में गिरावट से आपको ज्यादा नुकसान ना हो और आपका पैसा एक बार में ट्रेडिंग में ना बर्बाद हो जाए।
यदि आप शेयर मार्केट में अच्छी तरह स्विंग ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको निम्नलिखित रणनीतियों को फॉलो करना होगा-
Support Value And Resistance
Support Value And Resistance स्विंग ट्रेडिंग करने के दौरान अपनाए जाने वाले खास रणनीति है। स्विंग ट्रेडिंग के दौरान सपोर्ट वैल्यू को सेट किया जाता है तथा यह एक ऐसी वैल्यू होती है जो लाभ कमाने में मदद करती है तथा नुकसान से बचाती है। स्विंग ट्रेडिंग ट्रेडर्स को एक ऐसा सपोर्ट होता है
जहां पर वर्तमान स्टॉक की कीमत सपोर्ट वैल्यू से नीचे नहीं जा सकती है क्योंकि यहां पर सेलर्स का दबाव बना रहता है जिस वजह से यहां खरीदारी भी ज्यादा होती है। स्विंग ट्रेडिंग करते समय ट्रेडर्स सपोर्ट वैल्यू के नीचे एक स्टॉपलॉस लगा देता है ताकि उसका नुकसान सीमित हो जाए।
ठीक इसी तरह Resistance भी काम करता है अर्थात स्विंग ट्रेडर वर्तमान स्टॉक कीमत के ऊपर रेजिस्टेंस लगाया जाता है क्योंकि उच्च स्तर पर खरीदारी से ज्यादा बिक्री होती है। सपोर्ट वैल्यू की तरह रजिस्टेंस लेवल को भी वर्तमान स्टॉक कीमत तोड़ नहीं सकती है।
Channel Trading
Channel Trading शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का ही एक भाग होता है तथा यह तब उपयोग में लाया जाता है जब एक ट्रेडर ट्रेंड के हिसाब से स्विंग ट्रेडिंग करना चाहता हों। स्विंग ट्रेडिंग में चैनल ट्रेन मंदी या तेजी के आधार पर किया जाता है। जब स्टॉक की कीमत चैनल टॉपलाइन प्राइस से ऊपर जाती है तो इसमें पोजीशन को होल्ड किया जाता है।
इसके अलावा स्विंग ट्रेडिंग करते हुए मूविंग एवरेज तथा मूविंग एवरेज क्रॉसओवर जैसी नीतियों का भी इस्तेमाल किया जाता है तथा सभी तरह की रणनीतियां स्विंग ट्रेडिंग के द्वारा शेयर मार्केट में स्टॉक से लाभ कमाने के आधार पर ही इस्तेमाल की जाती है।
स्विंग ट्रेडिंग टिप्स
यदि आप शेयर मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग के माध्यम से लाभ कमाना चाहते हैं तो आप निम्नलिखित स्विंग ट्रेडिंग टिप्स को अपना सकते हैं-
- स्विंग ट्रेडिंग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि स्विंग ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म प्लान को फॉलो कर रही होती है तथा इसीलिए आपको चार्ट ट्रेडिंग के पैटर्न को समझना सबसे ज्यादा आवश्यक है क्योंकि ज्यादातर कम अवधि वाले स्टॉक चार्ट के पैटर्न के आधार पर ही काम करते हैं। अगर यदि आप पहले से चाट के पैटर्न को समझ जाएंगे तो आपको अधिक लाभ तथा कम जोखिम उठाना पड़ेगा।
- स्विंग ट्रेडिंग में कीमतों के उतार-चढ़ाव पर नजर रखें।
- आप जो स्टॉक खरीद रही है उसकी वॉल्यूम अच्छी होनी चाहिए यानी कि उस शेयर्स के खरीदने और बेचने की संख्या अधिक होने चाहिए।
- स्विंग ट्रेडिंग करते समय आपको सबसे छोटी कंपनियों के शेयर खरीदने से बचना चाहिए।
- स्विंग ट्रेडिंग करते समय स्टॉप लॉस जरूर लगवाएं ताकि आपका नुकसान सीमित हो सके।
- यदि आपने अपने शेयर्स या स्टॉक को होल्ड कर रखा है तो आपको उस शेयर की कंपनी के द्वारा समय-समय पर की जाने वाली घोषणाओं पर ध्यान रखना चाहिए और समझना चाहिए कि आपकी होल्ड किए गए शेयर पर कंपनी के द्वारा की गई घोषणा का क्या असर पड़ सकता है।
Note : यह लेख Swing Trading क्या है? इसके बारे में था। जिसमे आपको Swing Trading से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया गया है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इस लेख को अपने सभी ऐसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, जो स्टॉक मार्किट के बारे में जानना चाहते है, धन्यवाद।