डॉक्टर (Doctor) कैसे बने डॉक्टर बनने के लिए क्या करे?

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Doctor Kaise Bane in Hindi

डॉक्टर कैसे बनें (Doctor Kaise Bane in Hindi) यह जानना उनके लिये अनिवार्य है जो मेडिकल के इस आकर्षक क्षेत्र में अपना करियर बनाने की सोच रहे हैं। एक डॉक्टर का काम होता है मरीजों को रोगमुक्त करना। और दिनोंदिन जैसे-जैसे एक तरफ़ जनसंख्या भी बढ़ती जा रही है, और दूसरे नयी-नयी बीमारियां भी सामने आती जा रही हैं, डॉक्टर का काम अति महत्वपूर्ण व संवेदनशील होता जा रहा है।

इसीलिये एक करियर के लिहाज़ से जहां डॉक्टरी के पेशे में करने के लिये बहुत कुछ है, वहीं इस क्षेत्र में संभावनायें भी अपार हैं। यही कारण है कि आज विद्दार्थियों के लिये इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट के अलावा और उसके समान ही डॉक्टरी यानी मेडिकल संबंधी पढ़ाई के प्रति एक ख़ास रुझान दिखता है। जिसमें एलोपैथी के सिवा होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, यूनानी आदि के साथ ही अब एक्यूपंचर, नेचुरोपैथी, रेकी वगैरह मान्यता-प्राप्त पद्धतियां भी लोकप्रिय हो रही हैं। ज़ाहिर है कि इसीलिये पहले हमें यह जानकारी होनी आवश्यक है, कि डॉक्टर कैसे बनें।

हालांकि डॉक्टर का कार्य समाज में बहुत महत्वपूर्ण है, इसे बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है, इस क्षेत्र में संभावनायें अपार हैं। तो भी एक सफल डॉक्टर बनना कोई बच्चों का खेल नहीं होता। डॉक्टर बनने के लिये आपको बिना किसी लापरवाही के पूरी लगन से इसकी तैयारी और पढ़ाई करनी होती है। इसलिये भी कि यह एक खर्चीली पढ़ाई है, और हर कोई इसका खर्च वहन करने में समर्थ नहीं होता।

यह बात और है कि यदि आपने बारहवीं दर्ज़े तक विज्ञान विषयों के साथ मेहनत से और ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है, साथ ही तैयारी भी अच्छी की है, और इस तरह प्रवेश-परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, तो आपको मेडिकल की इस पढ़ाई के लिये कोई अच्छा सरकारी कॉलेज आवंटित होता है, और आप पर आर्थिक बोझ खासा कम हो जाता है।

डॉक्टर कैसे बनें (Doctor Kaise Bane in Hindi)

डॉक्टर कैसे बनें इसके लिए आपको निचे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। अगर आप निचे दिए गए सभी महत्वपूर्ण पॉइंट को ध्यानपूर्वक पढ़ते है, तो आपको डॉक्टर बनने के लिए क्या करें इससे सम्बंधित सभी जानकारी मिल जाएंगी। तो आइये जानते है, डॉक्टर कैसे बनें पूरी जानकारी हिंदी में –

1. डॉक्टर कैसे बनें! कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां

एक डॉक्टर बनने के लिये सबसे पहले तो आपको बारहवीं दर्ज़े के स्तर तक जीव-विज्ञान यानी ‘बायो-ग्रुप’ से पढ़ाई करनी होती है। इसमें जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान व अंग्रेजी विषय शामिल हैं। ध्यान रक्खें कि किसी स्तरीय ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षा’ में बैठने के लिये बारहवीं में इन विषयों के साथ आपके पचास फ़ीसदी (50%) अंक होने अनिवार्य हैं। वस्तुतः इस दौरान आपको जीव-विज्ञान के साथ ही रसायन-विज्ञान का अध्ययन भी गौर से करना चाहिये। क्योंकि मुख्यतः और सिद्धांतत: भी, यही दो विषय डॉक्टरी के पेशे में उम्र भर काम आते हैं।

इसके अलावा आपकी अंग्रेजी भाषा पर भी अच्छी पकड़ होनी आवश्यक है। क्योंकि डॉक्टरी की अच्छी पढ़ाई बहुधा अंग्रेजी में ही होती है। ध्यान रखना होगा कि आपकी जड़ जितनी ही मजबूत होती है, आगे का विकास उतना ही सुगम हो जाता है।

2. डॉक्टर बनने के लिये आयोजित होने वाली “मेडिकल प्रवेश परीक्षा” की तैयारी 

बारहवीं यानी 10+2 का स्तर उपरोक्त ढंग से पास कर लेने के बाद डॉक्टर बनने के लिये आपको इसके लिये समय-समय पर आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं में उपस्थित होना होगा, और उसमें सफलता पानी होगी। तभी आप आगे मान्यता-प्राप्त ढंग से डॉक्टरी की पढ़ाई कर सकते हैं।

डॉक्टर बनने के लिये पढ़ाई करने हेतु होने वाली इन प्रवेश परीक्षाओं को पास करना इतना आसान नहीं होता। इसके लिये विशेष रणनीति बनाकर पूरी लगन से तैयारी करनी होती है। इसीलिये बेहतर यही होता है कि यदि हम सोचते हैं कि ‘डॉक्टर कैसे बनें,’ तो हमें इसकी तैयारी इंटरमीडिएट दर्ज़े से ही शुरू कर देनी चाहिये। इसलिये भी, क्योंकि इसके बाद उतना समय नहीं बचता।

हालांकि डॉक्टर बनने की यह तैयारी हमारी बारहवीं की पढ़ाई में आड़े न आने पाये, इसका पूरा ख़याल रखना होगा। क्योंकि अक्सर यह भी देखने में आया है कि विद्दार्थी ने ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षा’ तो उत्तीर्ण कर ली; पर बारहवीं में अटक गया। हमें भूलना नहीं चाहिये कि एक डॉक्टर बनने के लिये बारहवीं पास करना भी अपरिहार्य है। हमें इसी स्तर से हर विषय को रटने की बजाय उसे गौर से समझकर पढ़ना शुरू कर देना चहिये।

डॉक्टर बनने के लिये आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं में सफल होने के लिये आपको अच्छे प्रकाशनों की उम्दा किताबों से अच्छी मदद मिल सकती है। विभिन्न ‘कोचिंग-संस्थान’ भी ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षा’ की तैयारी में काफ़ी सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इसके सिवा अब कोई भी ‘इंटरनेट’ की मदद से घर बैठे अपने स्वाध्याय से ही इन प्रवेश परीक्षाओं की बेहतर तैयारी कर सकता है।

कुल मिलाकर डॉक्टर बनने के लिये होने वाली प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिये सहायक सामग्रियों की कोई कमी नहीं है। बस विद्दार्थी में इस तैयारी के प्रति समर्पण होना चाहिये। फिर ‘डॉक्टर कैसे बनें’ इस सवाल का ज़वाब उसके लिये काफ़ी आसान हो जाता है।

3. डॉक्टर बनने के लिये होने वाली प्रवेश परीक्षाओं हेतु आवेदन करना 

पहले ये प्रवेश परीक्षायें ‘ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट’ यानी एआईपीएमटी इत्यादि कई तरह से होती थीं, पर 2013 से अब इन्हें ‘नीट’ (NEET) के रूप में एकीकृत कर दिया गया है। यानी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिये पहले आपको ‘नीट’ की परीक्षा देनी होगी। नीट यानी ‘नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट’ अर्थात् ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा’ का आयोजन ‘नैशनल टेस्टिंग एजेंसी’ (NTA) की देखरेख में ‘सीबीएसई’ करती है।

‘नीट’ के प्रश्न-पत्र हिंदी और अंग्रेजी समेत ग्यारह भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होते हैं। ‘नीट’ की परीक्षा में शामिल होने के लिये आयु-सीमा 17 से 25 वर्ष की है। साथ ही आरक्षित वर्ग के लिये आयु-सीमा में पांच वर्ष की बढ़ोत्तरी का नियम है।

4. ‘नीट’ परीक्षा का स्वरूप 

यह परीक्षा तीन घंटे की होती है। जिसमें कुल 180 प्रश्नों के लिये 720 अंकों के बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं। अमूमन कुल दो सौ प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें एक सौ अस्सी के ज़वाब देने होते हैं। इस तरह ‘नीट’ की परीक्षा में भौतिक विज्ञान, रसासन विज्ञान, प्राणि-विज्ञान और वनस्पति विज्ञान में प्रत्येक से पैंतालीस प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं।

इसमें ऋणात्मक-अंकेक्षण यानी ‘माइनस-मार्किंग’ का भी प्रावधान होता है। प्रत्येक सही उत्तर पर चार अंक मिलता है, जबकि हर गलत ज़वाब पर एक अंक कट जाता है। ‘नीट’ परीक्षा की तैयारी के दौरान हमें पिछले कुछ वर्षों में आये प्रश्न-पत्र को देख लेना मुफ़ीद रहता है।

इंटरमीडिएट यानी बारहवीं की पढ़ाई पचास फ़ीसदी अंकों के साथ पूरी कर लेने के बाद आप डॉक्टर बनने की पढ़ाई करने के लिये आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के लिये आवेदन करने संबंधी ‘फ़ॉर्म’ भर सकते हैं। आरक्षित वर्ग के लिये दस फ़ीसदी तक छूट भी है। या यदि आप बारहवीं में हैं, और अभी परीक्षायें नहीं हुई हैं, तो भी ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं’ में बैठने के लिये अर्हतायें पूरी करते हैं।

अक्सर ‘नीट’ परीक्षा के परिणाम एक माह बाद ‘स्कोर-कार्ड’ के रूप में ‘ ज़ारी कर दिये जाते हैं। जिसे ‘नीट’ संबंधी आधिकारिक वेबसाइट ‘neet.nta.nic.in’ पर देखा जा सकता है।

5. डॉक्टर बनने के लिये प्रवेश परीक्षा “नीट” के बाद

डॉक्टर बनने के लिये पढ़ाई हेतु होने वाली इस विशेष मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के परिणाम यानी ‘स्कोर-कार्ड’ आने के बाद इसकी ‘काउंसलिंग’ होती है। काउंसलिंग एक ऑनलाइन प्रक्रिया है। जो दो तरह से होती है। एक पंद्रह फ़ीसदी अखिल भारतीय स्तर के लिये; और शेष 85% राज्य-स्तर पर।

‘काउंसलिंग’ के लिये  आपको ‘नीट’ परीक्षा का प्रवेश पत्र यानी ‘एडमिट कार्ड’ और मिले स्कोर कार्ड यानी परीक्षाफल के अलावा दसवीं/बारहवीं के प्रमाण-पत्र, एक आईडी और पासपोर्ट साइज़ फोटो रखनी होगी। अखिल भारतीय स्तर पर ‘मेडिकल काउंसलिंग कमेटी’ यानी ‘एमसीसी’ द्वारा आयोजित इस ‘काउंसलिंग’ में शामिल होने के लिये विभाग की आधिकारिक वेबसाइट mcc.nic.in पर जाकर पंजीकरण यानी ‘रजिस्ट्रेशन’ कराना होता है।

काउंसलिंग के बाद आपको इस प्रवेश परीक्षा में अपनी ‘रैंक’ मिलती है। इसके लिये भी एमसीसी की उसी वेबसाइट पर नज़र रखनी होती है। ख़याल रहे कि ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षा’ नीट में प्राप्त होने वाली इस ‘रैंक’ के आधार पर ही यह तय होता है कि आपको डॉक्टरी की पढ़ाई के लिये कौन सा कॉलेज मिलेगा।

ज़ाहिर है, यदि आपने बढ़िया प्रदर्शन किया है तो आपको कोई अच्छा सरकारी कॉलेज मिल सकता है, जहां आपको शुल्क यानी फ़ीस भी अपेक्षाकृत कम अदा करनी होती है। और इस तरह डॉक्टर बनने की पढ़ाई के लिये आप पर आने वाला आर्थिक बोझ काफ़ी हल्का हो जाता है। गौरतलब है कि विभिन्न बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा डॉक्टर की पढ़ाई के लिये ऋण भी प्रदान किया जाता है; जिसे आप डॉक्टर बनने के बाद अदा कर सकते हैं।

6. डॉक्टर बनने के लिये पढ़ाई

जब आप उक्त ‘मेडिकल प्रवेश परीक्षा’ नीट पास कर लेते हैं, तो किसी मेडिकल कॉलेज अथवा विश्वविद्दालय से डॉक्टरी की पढ़ाई करते हैं। यह अध्ययन लगभग पांच साल का होता है। जिसमें आपका प्रदर्शन मूल रूप से यह तय करेगा कि आप डॉक्टरी के पेशे में कितने सफल रहेंगे। इसलिये डॉक्टर बनने के लिये ज़ुरूरी डिग्री प्रदान करने वाली इस स्तर की पढ़ाई में भी हमें अच्छे अंक लाने ही होते हैं।

डॉक्टर बनने के लिये की जाने वाली पढ़ाई के लिये आप कोई भी विकल्प चुन सकते हैं। जैसे कि — एमबीबीएस, बीडीएस दांतों का बनने के लिये, या फिर होम्योपैथी के डॉक्टर के लिये बीएचएमएस, आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिये बीएएमएस, यूनानी डॉक्टर बनने के लिये बीयूएमएस, अथवा बीएससी इन नर्सिंग आदि सभी डॉक्टर बनने के लिये किये जाने वाले कोर्स हैं।

इस पढ़ाई के बाद डॉक्टर बनने के लिये आपको किसी मेडिकल कॉलेज में एक साल के लिये ‘इंटर्नशिप’ करना होता है। यानी देखें तो 4.5 वर्ष डॉक्टरी की अकादमिक पढ़ाई के बाद एक साल का ‘इंटर्नशिप’ भी जोड़कर डॉक्टर बनने के लिये आपको कुल साढ़े पांच वर्ष का अध्ययन करना होता है।

जिसके बाद आपको ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ अर्थात् एमसीआई द्वारा तत्संबंधी डॉक्टरी की डिग्री प्रदान कर दी जाती है, और फिर आप सरकारी या निजी अस्पतालों में डॉक्टर बन सकते हैं। आप चाहें तो डॉक्टरी की अपनी पढ़ाई स्नातक के बाद परास्नातक स्तर तक ज़ारी रख सकते हैं, और इस तरह एक विशेषज्ञ भी बन सकते हैं।

ऐसे भी तमाम विकल्प मौज़ूद हैं, जहां मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थी ‘नीट’ में सफल हुये बिना ही जा सकते हैं। जैसे कि आप फ्लैबोटोमिस्ट, न्यूट्रीशियनिस्ट अर्थात् पोषण विशेषज्ञ, लैब-तकनीशियन या फिर फिजियोथेरेपी, नर्सिंग, फार्मेसी इत्यादि क्षेत्रों में जा सकते हैं। हालांकि इसमें किसी भी स्थिति में आपको एक मान्यता-प्राप्त डॉक्टर नहीं समझा जायेगा।

इसलिये एक डॉक्टर बनने के लिये हमें व्यवस्था के अंतर्गत ‘नीट’ की प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद किसी मान्यता-प्राप्त ‘मेडिकल कॉलेज’ या विश्वविद्दालय से इसकी डिग्री लेकर ‘इंटर्नशिप’ पूरी करनी होती है। डॉक्टर की समाज में भूमिका एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील जनसेवक की होती है।

एक डॉक्टर को अपनी काबिलियत को तराशते रहने के साथ ही उसे मानवता हेतु समर्पित करने को सदैव तत्पर रहना ज़ुरूरी है। तभी हम एक डॉक्टर के तौर पर अपना करियर सफल बना सकते हैं । उम्मीद है कि यह सवाल अब काफी-कुछ हल हो गया होगा, कि ‘डॉक्टर कैसे बनें!’

टॉप मेडिकल कोर्सिज़ (बिना NEET एग्ज़ाम के)

यहाँ पर कुछ टॉप मेडिकल कोर्स के बारे में आपको बताया गया है। जिन्हे आप बिना NEET एग्जाम पास किये कर सकते है।

  • Bachelor of Naturopathy and Yogic Sciences (BNYS)
  • Bachelor of Occupational Therapy
  • Bachelor of Perfusion Technology
  • Bachelor of Respiratory Therapy
  • Bachelor of Science in Biochemistry
  • Bachelor of Science in Biotechnology
  • Bachelor of Science in Cardiac Technology
  • Bachelor of Science in Cardio-Pulmonary Perfusion Technology
  • Bachelor of Science in Cardiovascular Technology
  • Bachelor of Science in Genetics
  • Bachelor of Science in Microbiology (Non-Clinical)
  • Bachelor of Science in Nutrition and Dietetics
  • Bachelor of Technology in Biomedical Engineering
  • Biomedical engineer
  • Biotechnologist
  • BSc Agricultural Science
  • BSc Anesthesia
  • BSc Audiology / Bachelor in Audiology and Speech Therapy
  • BSc Cardiology/ BSc Cardiac Technology
  • BSc in Medical Imaging Technology
  • BSc in Paramedical Technology
  • BSc Microbiology
  • Cytogeneticist
  • Medical chemistry
  • Medical Transcription Course
  • Micro biolist
  • Physiotherapy
  • Psychologist

डॉक्टर कैसे बनें अन्य क्षेत्रों में

सभी क्षेत्रों के अलग अलग डॉक्टर होते है। अगर आप डॉक्टर की पढ़ाई करना चाहते है, तो आपको यह भी जरूर जानना चाहिए, की विभिन्न क्षेत्रों में डॉक्टरो कैसे बने –

आयुर्वेदिक डॉक्टर कैसे बने?

हालाकिं आज के समय में आयुर्वेदिक डॉक्टर बहुत कम है, क्योकिं आज के समय में बहुत कम लोग आयुर्वेद के बारे में जानते है। लेकिन आपको बता दें, की प्राचीन समय मन सबसे ज्यादा उपचार आयुर्वेदिक की मदद से किये जाते थे। प्राचीन समय में आज की तरह अंग्रेजी दवाई नहीं होती थी, आयुर्वेद डॉक्टर पेड़-पोधो की जड़ो और फूलों आदि से दवाई बनाया करते थे। इसी से सभी लोगो का इलाज होता था।

लेकिन आज के समय में ज़माना पूरी तरह से बदल गया है, अब बहुत कम लोग आयुर्वेद की और जाते है, लेकिन आज भी कुछ लोग है, जो की आयुर्वेद को अपनाते है। आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए आपको आयुर्वेदिक कोर्स को चुनना पड़ता है। इसके बढ़ आप आयुर्वेदिक डॉक्टर बनते है।

आर्मी में डॉक्टर कैसे बनें?

अगर आप आर्मी में डॉक्टर बनना चाहते है, तो इसके लिए आपको MBBS करने के बाद आर्मी ज्वाइन कर सकते है, या इसके अलावा आप आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज से भी MBBS कर सकते है। आर्मी में भर्ती परमानेंट कमीशन (पीसी) से होता है, या फिर शॉर्ट सर्विस कमीशन द्वारा। जो 50% पास आउट होते है,उन्हें एएफ़एमसी डायरेक्टली परमानेंट कमीशन मिलती है, जो बचे हुए होते है, उन्हें शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफर होती है।

जो छात्र डॉक्टर सिविल मेडिकल कॉलेज से पास होकर आते है उन्हें एंट्री एसएससी में मिलती है। एसएससी में 5 साल का मिनिमम कार्यकाल होता है, हालाकिं यह बढ़कर 9 साल तक भी हो सकता है। इसे दो भागो में बात गया है, पहला 5 साल और दूसरा 4 साल। अगर हम SSC के कार्यकाल की बात करें, तो 14 साल होता है। जो एएफ़एमसी वाले ग्रेजुएट्स छात्र होते है, जिन्हे एसएससी ऑफर किया जाता है, उन्हें मिनिमम 7 साल के लिए सर्वे करना होता है।

होम्योपैथी डॉक्टर कैसे बनें?

होम्योपैथी एक बहुत ही असरदार पद्धति है। अगर आप अपनी किसी भी बीमारी का ईलाज होम्योपैथी पद्धति द्वारा करवाते है, तो इसमें थोड़ा समय लगा है, लेकिन यह किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म कर देती है। इसी वजह से होम्योपैथी बहुत तेजी से लोक्रपिय हुई है। होम्योपैथी में बड़ी से बड़ी बिमारियों का ईलाज बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के किया जाता है, और यह बिमारियों को जड़ से खत्म कर देती है।

 

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